बस्ती में धड़ल्ले से हो रहा है प्रतिबन्धित पालीथीन का इस्तेमाल, प्रशासन मूंकदर्शक
Banned polythene is being used indiscriminately in the colony, administration remains a mute spectator
बस्ती, 10 दिसम्बर। शहर में प्रतिबन्धित सिंगल यूज पालीथीन का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है। किराने की दुकानों से लेकर सब्जी, नानवेज व रोजमर्रा के प्रयोग की अन्य वस्तुयें प्रतिबन्धित पालीथीन में रखकर बेंची जा रही है। सुप्रीम कोर्ट से लेकर शासन तक हर स्तर पर इसे प्रयोग करने की मनाही है, लेकिन अफसरों की लापरवाही के चलते बस्ती शहर तकं धड़ल्ले से इसका इस्तेमाल हो रहा है।
स्थानीय स्तर पर जब भी इसका प्रयोग रोकने के लिये अभियान चलाया जाता है तो आम जनता की जुबान पर एक ही बात होती है कि प्रतिबन्धित है तो कहां से आ रही है। मसलन इसे कारखानों में ही सरकार क्यों नही प्रतिबन्धित कर देती। हालांकि ऐसा कहने से समस्या हल नही होगी। प्रशासनिक व व्यक्तिगत स्तर पर हमे खुद जागरूक होकर इसके इस्तेमाल को रोकना होगा। बदलते जमाने में पालीथीन जितना सुविधाजनक है उतना ही नुकसानदायक भी। पर्यावरण को इससे भारी नुकसान हो रहा है। हमें प्रतिबंधित पॉलिथीन का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए ताकि हम पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचा सकें। पॉलीथिन और प्लास्टिक गांव से लेकर शहर तक लोगों की सेहत बिगाड़ रहे हैं।
शहर का ड्रेनेज सिस्टम अक्सर पॉलिथीन से भरा मिलता है। इसके चलते नालियां जाम हो जाती हैं। इसका प्रयोग तेजी से बढा है। प्लास्टिक के गिलासों में चाय या फिर गर्म दूध का सेवन करने से उसका केमिकल लोगों के पेट में चला जाता है। इससे डायरिया के साथ-साथ अन्य गंभीर बीमारियां हो रही हैं। पॉलिथीन का बढ़ता हुआ उपयोग न केवल वर्तमान के लिए बल्कि भविष्य के लिए भी खतरनाक होता जा रहा है। यह समस्या देश भर में गंभीर रूप ले चुकी है। पहले जब खरीदारी करने जाते थे तो कपड़े का थैला साथ लेकर आते थे। किंतु आज खाली हाथ जाकर दुकानदार से पॉलिथीन मांग कर सामान उसमे रखकर घर कर ले आते हैं। पहले अखबार के लिफाफे होते थे।
किंतु उसके स्थान पर आज पॉलिथीन का उपयोग धड़ल्ले से बेरोकटोक किया जा रहा है। स्मरण रहे कि पृथ्वी तल पर जमा पॉलिथीन जमीन का जल सूखने की क्षमता खत्म कर रही है इससे भूगर्भ जल का स्तर गिरता जा रहा है सुविधा के लिए बनाई गई पॉलिथीन आज सबसे बड़ी असुविधा का कारण बन गई है। प्राकृतिक तरीके से नष्ट न होने के कारण यह धरती की उपजाऊ क्षमता को भी धीरे-धीरे खत्म कर रही है। राज्य सरकार या भारत सरकार ज्यादातर जगहों पर पॉलिथीन को प्रतिबन्धित कर देती है परंतु कुछ समय बाद चुपके से इसका प्रयोग फिर शुरू हो जाता है। शासन को पहले यह समझना चाहिए कि जो बड़ी कंपनियों के प्रोडक्ट पॉलिथीन में आते हैं जिनमें आधे से ज्यादा हवा भरी होती है उन पर लगाम लगानी चाहिए। इसके बाद छोटे स्तर पर सरकार अपना आदेश गरीबों पर लागू करा सकती है। इसमे दोहरा मापदंड लागू करने से सरकार कभी भी सफल नहीं होगी।
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