अहसास, सद्भावना व प्रेम से भरी हैं अजीत की गजलें- रघुवंशमणि
Ajit's ghazals are full of feelings, goodwill and love - Raghuvanshmani
अजीत श्रीवास्तव कृत गजल संग्रह ‘‘शब्दों को जोड़ जोड़ के’’ का हुआ लोकार्पण
The Ghazal collection "Shabdon Ko Jod Jod Ke" written by Ajit Srivastava was launched
कल्पना नहीं यथार्थ को स्पर्श करती हैं अजीत की गजलें- मंजुल
Ajit's ghazals do not touch imagination but reality - Manjul
बस्ती, 09 दिसम्बर। प्रेस क्लब सभागार में वरिष्ठ कवि डा. अजीत कुमार श्रीवास्तव ‘राज’ कृत गजल संग्रह ‘‘शब्दों को जोड़ जोड़ के’’ का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर अनेक वरिष्ठ रचनाकारों ने अपनी रचनायें पढ़ी और ग़जल संग्रह की समीक्षा की। कार्यक्रम का संचालन प्रेस क्लब अध्यक्ष विनोद कुमार उपाध्याय ने किया। डा. अजीत श्रीवास्तव ने ‘‘शब्दों को जोड़ जोड़ के’’ को सम्मानित पाठकों के बीच लाने में मिले सहयोग व अपनी गजल यात्रा पर विस्तार से अपने अनुभव साझा किये।
डा. अजीत ने सलीम बस्तवी व हरीश दरवेश को अपना प्रेरणास्रोत बताया। अध्यक्षता कर रहे प्रोफेसर रघुवंश मणि ने कहा कि ग़़ज़़ल लिखना कठिन कार्य है, किंतु अजीत श्रीवास्तव ने यह जोखिम उठाया है। उन्होंने अरबी फारसी को संदर्भित करते हुये हिंदी ग़ज़ल की यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अजीत की अधिकांश ग़ज़लें रोमान और यथार्थ के टकराव का नतीजा है तथा ग़ज़ल संग्रह के कुछ ग़ज़लों का उद्धरण देकर इस पुस्तक की सार्थकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने अजीत श्रीवास्तव की कविता को संभावना से परिपूर्ण बताया।
मुख्य अतिथि साहित्य भूषण डॉ राम नरेश सिंह ’मंजुल’ ने कहा यह रचना ग़ज़ल की कसौटी को परिभाषित करती है। ग़ज़लकार की पहली शर्त भोगकर लिखना है, वह अजीत ग़ज़ल में देखने को मिलता है। उनका दर्द कल्पना नहीं बल्कि यथार्थ का है। विशिष्ट अतिथि डॉ मुकेश मिश्र ने कहा अजीत के ग़ज़लों में एहसास, संवेदना, प्रेम का भाव भरा पड़ा है। उनकी ग़ज़ल एक लिटमस पेपर की तरह है जिस पर प्रयोग करना जोखिम भरा है। ‘‘शब्दों को जोड़ जोड़ के’’ वर्तमान और भविष्य के बहुत से संदर्भों को समसमायिक रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास है जिसमें उन्हें सफलता मिली है।
विशिष्ट अतिथि हरीश दरवेश ने कहा कि अजीत का गजल संग्रह पढ़कर लगा कि ग़ज़ल पर आज भी बहुत काम हो रहा है। उन्होंने अपनी ग़ज़लों में अपने तमाम अनुभवों को बड़े सलीके से प्रस्तुत किया है। इनके अन्दर का शायर समाज को भी बहुत अंदर तक देखता है। विशिष्ट अतिथि डॉ वी के वर्मा ने कहां की किसी भी रचनाकार के जीवन में वह दिन सबसे प्रसन्नता का दिन होता है जब उसकी किसी सचना संग्रहित होकर एक पुस्तक का रूप लेती है। ’शब्दों को जोड़ जोड़ के’ काव्य की कसौटी पर न केवल खरी उतरता है बल्कि उन्हें हिंदी काव्य के जिस आसन पर बैठती है वह तक पहुंचने के लिए बड़े-बड़े रचनाकार को लोहा लेना पड़ता है।
श्याम प्रकाश शर्मा, चंद्र बली मिश्र, बी एन शुक्ल, डॉ राम कृष्ण लाल जगमग, तौआब अली, परमानंद श्रीवास्तव, डॉ राजेन्द्र सिंह राही, आदि ने अपने वक्तव्य दिये। कार्यक्रम में प्रमोद श्रीवास्तव,, डीएस लाल श्रीवास्तव, अशोक श्रीवास्तव, सिंह प्रेमी, शाद अहमद शाद, आदित्य राज, सागर गोरखपुरी, राधेश्याम श्रीवास्तव, सुमन श्रीवास्तव, सुनीता श्रीवास्तव, रामसजन यादव, रत्नेन्द्र पाण्डेय, अनूप श्रीवास्तव, हरिकेश प्रजापति, संदीप शुक्ल, संदीप गोयल, सर्वेश श्रीवास्तव, अनुराग श्रीवास्तव, लवकुश सिंह, मयंक श्रीवास्तव, अफजल हुसेन अफजल आदि गणमान्य शामिल रहे।
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