Type Here to Get Search Results !

Bottom Ad

अर्चना श्रीवास्तव की रचना ‘‘ कश्मीर की घाटी कलंकित फिर हुई है ’’

अर्चना श्रीवास्तव की रचना ‘‘ कश्मीर की घाटी कलंकित फिर हुई है ’’


कश्मीर की घाटी कलंकित फिर हुई है। 
रक्त रंजित यह धरा फिर हुई है। 
ऊरी कठुआ पुलवामा अब पहलगाम थर्राया है। 
नदियाँ वहाँ की फिर से खूं से लाल हुई है। 
निकले थे नवयुगल सफर में छूटा था घर उनका 
पता नहीं था उनको यह आखिरी सफर है उनका। 
स्वर्ग से प्यारी धरती पर ही टूटा था दम उनका। 
हत्यारों तुम हमें बताओ आखिर क्या कसूर था उनका। 

जाति धर्म पर गोली मारो यह तो युद्ध नहीं है। 
ऐसे काम वही करता है जिसका खून ही शुद्ध नहीं है। 
कब तक मरते रहें निरीह साहब हमको बतलाओ ना। 
ठोस फैसला लेकर आर-पार निपटाओ ना। 

हमने ही तुम्हें बनाया हम ही तुम्हें मिटाएंगे। 
इस दुनिया के मानचित्र से तेरा नाम हटाएंगे। 
बहुत हो गया अब ना सहेंगे तेरी काली करतूतों को। 
खून से लथपथ इन लाशों पर तेरे ही शीश चढ़ाएंगे। 

टेढ़ी अगर नजर जो कर दी मेरे हिंदुस्तान ने। 
नहीं रहेगा चित्र तुम्हारा दुनिया और जहांन में। 
 
                                          अर्चना श्रीवास्तव 
                                     बस्ती, उ.प्र.88876 96977




Post a Comment

0 Comments

Top Post Ad

Below Post Ad

 

 

Bottom Ad