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यातायात के ध्वनि प्रदूषण से आमजन के साथ जीव जंतुओं पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है

यातायात के ध्वनि प्रदूषण से आमजन के साथ जीव जंतुओं पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है 

Traffic noise pollution is having harmful effects on the common people as well as animals.



जयपुर, 30 अगस्त।
राजस्थान में बढ़ते यातायात के ध्वनि प्रदूषण से आमजन के साथ जीव जंतुओं पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है। जिसके चलते कान संबधी बीमारियों के साथ उच्च रक्तचाप, मस्तिष्क पक्षाघात एवं हृदयघात की संभावना कई गुणा तक बढ़ जाती है। यह जानकारी परिवहन आयुक्त की अध्यक्षता में आयोजित क्षेत्रीय एवं जिला परिवहन अधिकारियों की वेब कांफ्रेस में सामने आई।


परिवहन आयुक्त डॉ मनीषा अरोड़ा की अध्यक्षता में आयोजित राज्य स्तरीय वेब कांफ्रेस में इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन के नेशनल इनिशिएटिव फॉर सेफ साउंड अभियान के चेयरमैन और राजस्थान ईएनटी एसोसिएशन के सचिव डॉ पवन सिंघल ने प्रदेश के सभी क्षेत्रीय परिवहन अव जिला परिवहन अधिकारियों को ध्वनि प्रदूषण से मनुष्यों एवं जीव जंतुओं पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक किया। इस दौरान डॉ पवन सिंघल ने सभी अधिकारियों से कहा कि वाहनों से उत्पन्न तेज शोर से ना केवल मनुष्य बल्कि पशु पक्षियों, जलचरों एवं सूक्ष्म जीवों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 


वहीं तेज शोर के कारण सुनने में कमी होना, कान में दर्द होना, असामान्य आवाज़ों( टिनिटस) का आना एवं इर्रिटेशन होता है। जिससे उच्च रक्तचाप, मस्तिष्क पक्षाघात एवं हृदयघात की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त मानसिक विकार जैसे चिड़चिड़ापन, तनाव, डिप्रेशन, स्मरण शक्ति कम होना, नींद में परेशानी होना आदि भी होते हैं। एसिडिटी, आंतों की सूजन, भूख कम लगना तथा नपुंसकता की भी समस्या होती है। डॉ.सिंघल ने सभी से इसकी रोकथाम के लिए कहा कि पहले से ध्वनि प्रदूषण के विरुद्ध व्याप्त नियमों तथा कानूनों का कड़ाई से पालन कराया जाए और इनका उल्लंघन करने वालों का ना सिर्फ़ चालान किया जाये बल्कि उनके वाहन भी जब्त किए जायें। 


इसके उपरांत भी उल्लंघन करने पर सजा का भी प्रावधान हो। तभी हम सब तेज आवाज वाले ध्वनि प्रदूषण से बच सकेंगे। डॉ पवन ने सभी वाहनों से प्रेशर हॉर्न, म्यूजिकल हॉर्न एवं एयर हॉर्न हटवाने और ऐसे वाहनों का चालान करने का सुझाव दिया। इसके साथ ही सभी तरह के वाहनों से साइलेंसर हटाने और साइलेंसर को तेज आवाज के लिए मॉडिफाई करवाने वालों पर भी सख़्त कार्यवाही की जाए। इसमें दुपहिया वाहन वाले भी शामिल है। उन्होने कहा कि आजकल अधिकतर लोग बिना मतलब हॉर्न बजाने वाले वाहनों तथा बिना मरीज़ के एम्बुलेंस का सायरन बजा रहें है। ऐसे चालकों पर भी सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।


राजस्थान में मनाया जाए नो हॉकिंग डे

डॉ.सिंघल ने परिवहन आयुक्त डॉ मनीषा अरोड़ा को यातायात में ध्वनि प्रदूषण कम करने के लिए ज्ञापन दिया। जिसमें कहा गया कि राज्य में हर महीने कम से कम एक दिन ‘नो हॉकिंग डे’ मनाया जाए और प्रत्येक जिले और शहर में कम से कम एक सड़क साइलेंट सड़क(दव ीवदापदह तवंक) कर दी जाये। जिससे आम जन में इसके प्रति जागरूकता फैले और लोग ध्वनि प्रदूषण को रोकने में अपनी सक्रिय भागीदारी निभा सकें। इस कांफ्रेस में राजस्थान के सभी क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी और डीटीओ, जिला परिवहन अधिकारियों ने भाग लिया।


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