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दुर्गेश कुमार मिश्र की स्मृति में पुरस्कृत हुये मेधावी

दुर्गेश कुमार मिश्र की स्मृति में पुरस्कृत हुये मेधावी

बस्ती, 03 फरवरी। दुर्गेश कुमार मिश्र सामाजिक एवं साहित्यिक संस्थान द्वारा साहित्यिक संगोष्ठी, राष्ट्रीय कवि सम्मेलन और सारस्वत सम्मान समारोह का आयोजन प्रेस क्लब सभागार में  वरिष्ठ कवि डा. राधेश्याम बंधु की अध्यक्षता और डा. रामकृष्ण लाल जगमग के संयोजन एवं संचालन में किया गया। 



इस अवसर पर संस्थाध्यक्ष डॉ. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र द्वारा इंजीनियर दीपक कुमार मिश्र के सौजन्य से 25 पुस्तकोेें की प्रणेता प्रसिद्ध ंसाहित्यकार प्रोफेसर डॉ0 रेशमी पाण्डा मुखर्जी कोलकाता को अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र, श्रीफल एवं 11 हजार रूपये का पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इसी क्रम में  6 चयनित मेधावी छात्र-छात्राओं को दुर्गेश कुमार मिश्र की स्मृति में दो-दो हजार रूपये का पुरस्कार और प्रमाण-पत्र, स्मृति चिन्ह देकर उत्साहवर्धन किया गया। इसी कड़ी में डॉ. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र कृत‘ सृष्टि का पौराणिक सिद्धान्त’ निबन्ध संग्रह का लोकार्पण किया गया।


मुख्य अतिथि डॉ0 रेशमी पाण्डा मुखर्जी ने कहा कि आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, डा. लक्ष्मीनारायण की धरती पर उन्हें जो सम्मान मिला उससे अभिभूत हूं। कहा कि एक साहित्यकार की भूमिका कभी समाप्त नहीं होती। वह जीवन की जीजिविषा में भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता है। समाज निर्माण और वैचारिक चेतना, मानवीय संवेदना को बचाये बनाये रखने में साहित्यकारों की सदैव अग्रणी भूमिका रही है। युगीन रचनाकार इस दिशा में निरन्तर गतिमान हैं और अपने समय के सत्य को शव्द दे रहे हैं। 


दिल्ली से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार डा. राधेश्याम बंधु ने कहा कि साहित्यकार को सम्मान नवीन ऊर्जा देते है, इससे उसे समाज के प्रति और बेहतर करने का उल्लास बढता है। साहित्य भूषण हरीलाल मिलन ने कहा कि साहित्यकार अपने समय के सत्य का सटीक पारखी है। वह भविष्य दृष्टा भी है। उनकी रचना ‘ कभी सुख, कभी दुःख के किस्से कहेंगे, गजल गीत दोहों की नदियां बहेंगी, मुझे याद करता रहेगा जमाना, मेरे बाद मेरी किताबें रहेंगी’ को श्रोताओें ने सराहा।


संस्थान के अध्यक्ष डा. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र ने कहा कि विदुषी डॉ0 रेशमी पाण्डा मुखर्जी को सम्मानित कर संस्थान स्वयं गौरवान्वित है। इससे और बेहतर कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी। संचालन करते हुये वरिष्ठ कवि डा. रामकृष्णलाल जगमग ने कहा कि बस्ती की धरती पर अनेक स्वनामधन्य रचनाकारांें का आगमन हुआ है। डॉ0 रेशमी पाण्डा मुखर्जी का बस्ती की धरती पर आगमन साहित्य के दो प्रमुख धाराओं के मिलन विन्दु जैसा है। प्रेस क्लब अध्यक्ष विनोद कुमार उपाध्याय ने कहा कि स्मृतियों को आयोजन से जोड़ना बड़ी उपलब्धि है।


इस अवसर पर दुर्गेश कुमार मिश्र की स्मृति में डॉ. हरीलाल मिलन, डा. राधेश्याम ‘बंधु’ डा. ओम प्रकाश वर्मा ‘ओम’ ज्ञानेन्द्र द्विवेदी ‘दीपक’ डा. हेमा पाण्डेय, डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’, विनोद उपाध्याय, हरीराम बंसल, श्याम प्रकाश शर्मा, डा. वी.के. वर्मा, सर्वेश कुमार श्रीवास्तव, डा. कृष्ण प्रसाद मिश्र, दीपक सिंह प्रेमी, रागिनी गुप्ता, सौम्येन्द्र कुमार पाण्डा, स्कन्द कुमार शुक्ल आदि  को अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया।


अर्चना श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती की वंदना से आरम्भ कवि सम्मेलन में अनेक कवियों ने काव्य पाठ किया। डा. हेमा पाण्डेय ने प्रेम और ऋृंगार की रचनाओं ने मन मोह लिया। इसी कड़ी में अफजल हुसेन अफजल, अर्चना श्रीवास्तव, शाद अहमद ‘शाद’ पं. चन्द्रबली मिश्र, सागर ‘गोरखपुरी’ दीपक सिंह प्रेमी, रागिनी गुप्ता, हरिकेश प्रजापति, आदित्यराज, तौव्वाब अली, रहमान अली रहमान आदि ने वर्तमान संगति, विसंगतियों पर रचनायें प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से  रामदत्त जोशी, त्रिपुरारी मिश्र, अमित मिश्र,  बटुकनाथ शुक्ल, डा. दशरथ प्रसाद यादव, डा. कृष्ण प्रसाद मिश्र, हरिराम बंसल, बी.के. मिश्र, विभूति पाण्डेय, राकेश कुमार मिश्र, कुमार शैल सत्यार्थी, हरीराम पाण्डेय के साथ ही बड़ी संख्या में श्रोतागण उपस्थित रहे।

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