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नोयडा में जमीनों व फ्लैट्स की खरीद में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी

नोयडा में जमीनों व फ्लैट्स की खरीद में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी
राज्य संवाददाता, दिल्ली एनसीआर (ओ पी श्रीवास्तव)। उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने गौतमबुद्ध नगर के सम्पूर्ण विकास और उन्नति के लिए दर्जनों आई0ए0एस0 और आई0पी0एस0 अफसरों को यहां तैनात कर रखा है तथा विकास को तेज गति प्रदान करने के उद्देश्य से तीन विकास प्राधिकरण भी यहां पर स्थापित कर दिया है। लेकिन जिस रफ्तार से यहां विकास हो रहा है कमोबेश यहां पर जमीनो, फ्लैटों और मकानों को लेकर बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, जालसाजी व रिश्वतखोरी भी हो रही है। इसमें कहीं ना कहीं सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों की संलिप्तता भी स्पष्ट रूप से सन्देह के घेरे में दृष्टिगोचर हो रही है। आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री ने यदि स्वयं गौतमबुद्ध नगर में हो रहे भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों पर नकेल नहीं कसी तो महाकुंभ प्रयागराज की भांति उनकी साख पर बट्टा लगना लाजिमी है।



बताया जाता है कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में जमीन फ्लैटों और भवनों के रेट लगातार आसमान छूते जा रहे हैं। नोएडा में जमीन के रेट आम व्यक्ति की पहुँच से काफी दूर हो चूके हैं। चाहे प्राधिकरण से जमीन खरीदना हो या फिर बाजार से री सेल में खरीदी जाए। करोड़ों रुपए एक सौ वर्ग मीटर के प्लॉट की कीमत चुकाने पड़ते हैं। जानकारी के अनुसार ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण भी नोएडा प्राधिकरण की तरह ही ई ऑक्शन प्रणाली पर आगे बढ़ रहा। ई ऑक्शन के तहत कोई भी व्यक्ति किसी भी भूखंड पर कितने भी रुपए की बोली लगा सकता है। ऐसे में जिन लोगों के पास सीमित धन है वो अपना हाथ खींच लेते हैं।


यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में भी आवासीय और ओद्यौगिक भूखंड लेने वालों की कतार लगातार लंबी होती जा रही है। प्रॉपर्टी बाजार में यमुना प्राधिकरण का क्षेत्र इस वक्त काफी हॉट बना हुआ है। ऐसे में यह भी जमीन खरीदना बेहद मुश्किल है। इसीलिए जो लोग नोएडा-ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में घर बनाने का सपना देखते हैं वो सस्ते दामों के चक्कर में भू माफियाओं के चंगुल में आसानी से आ जाते हैं। दरअसल भू माफिया डूब क्षेत्र में या प्राधिकरण के अधिसूचित या अर्जित क्षेत्र में छोटे छोटे भूखंड और बिल्डिंग तथा कॉलोनी बनाकर बेच डालते हैं। सबसे जरूरी है ये जानना कि अवैध जमीन पर कॉलोनियों के काटने का काम कैसे होता है। सबसे पहले भू माफिया देखते हैं कि किस जमीन पर प्राधिकरण ने मुआवजा दिया है या नहीं?


सूत्रों द्वारा कहा जाता है कि यदि जमीन का किसान ने मुआवजा नहीं लिया तो किसान से खेत का कुछ बयाना देकर सौदा कर लेते है। फिर प्रशासन के अधिकारियों से साठगांठ करके उस जमीन को सम्बन्धित तहसील के निचले स्तर के अधिकारियों व कर्मचारियों से साठ गांठ कर उसे आबादी में दर्ज कराया जाता है फिर उस पर प्लॉटिंग शुरू हो जाती है। जानकारों के अनुसार कई स्थानों पर बिल्डर अवैध तरीके से दो तीन साल में बिल्डिंग खड़ा कर लेते हैं और प्राधिकरण वाले बिल्डरों से मोटी रकम लेकर मौन साध लेते हैं। दिखावे के लिए ध्वस्तीकरण का नोटिस भेज कर पांच पांच वर्षों तक चुप हो जाते हैं।


यहां यक्ष प्रश्न यह है कि भू माफिया द्वारा किए जा रहे अवैधानिक कार्य के बारे में उस वक्त सब कुछ जानते समझते हुए भी प्राधिकरण के उच्च व वरिष्ठ जिम्मेदार अफसर भी लाखों करोड़ों रुपए की रिश्वत रूपी भांग धतूरा स्मैक आदि खाकर गहरी नींद में होते हैं और मौन साधे रहते हैं। बताया जाता है कि जब भोले भाले लोग इस जमीन या भवन या फ्लैट को खरीद लेते हैं। तब शुरू हो जाता है नोटिस भेजने और नोटिस चस्पा करने तथा बुलडोजर चलाने का ड्रामा। प्राधिकरण भूमाफिया तथा बिल्डर के खिलाफ कार्रवाई न कर बुलडोजर चलवाता है और आम निरीह गरीबों के सपने चकना चूर हो जाते है। सवाल ये भी उठता है कि भूमि जब प्राधिकरण की अर्जित या अधिसूचित क्षेत्र है तो अफसर क्यों चुप रह जाते हैं ? 


इन  बेईमान कर्मचारियों और अधिकारियों से देश एवं प्रदेश की राजधानी में बैठे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारीयों तथा जन प्रतिनिधियों द्वारा क्यों नहीं सवाल पूछा जाता हैं और दंडित किया जाता है? बताते हैं कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि नोएडा प्राधिकरण में भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार फैला है। भरोसे मद सूत्रों ने बताया कि नोएडा के गांव बरौला, सलारपुर, हाजीपुर सोरखा, सर्फाबाद बहलोलपुर, गढ़ी चौखनडी आदि गांवों में प्राधिकरण की जमीन पर भू माफियाओं ने कब्जे किया और उसे बेच डाला। कुछ बिल्डरों ने पांच पांच मंजिला इमारत खड़ी कर दर्जनों फ्लैटों का निर्माण कर सीधे साधे लोगों को झूठे सब्ज बाग़ दिखा कर व मीठी वाणी बोलकर व शासन प्रशासन को मिला कर फ्लैट की रजिस्ट्री कर दिया। रजिस्ट्री विभाग वाले भी बिना पढ़े व अध्ययन किए ही डीड की रजिस्ट्री कर डालते हैं।


कहते हैं कि ऐसे बिल्डर व भू माफिया एन बीएफसी (नान बैंकिंग फाइनेंस कंपनीज) से मिली भगत कर भोले भाले ग्राहकों को अस्सी प्रतिशत तक लोन भी दिलवा दिया करते हैं। इसी तरह से ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में लगातार भूमाफिया दूसरों की जमीन पर कब्जा करके कॉलोनाइजरों के साथ अवैध रूप से प्लॉटिंग कर रहे हैं। इनकी शिकायतें भी होती है। मगर कार्रवाई के नाम पर ढाक के तीन पात। बताया जा रहा है कि कॉलोनाइजर खुलकर जेवर एअरपोर्ट के नाम पर कालोनियां काटकर बेच रहे हैं। दिल्ली व तमाम उन इलाकों से लोगों को अपनी गाड़ियों से ही लाकर जमीन दिखाते हैं और मीठी-मीठी बातें करते हुए फ्लैट व प्लॉट बेच देते है। 


दिखावटी रूप से प्राधिकरण के अफसर कभी कभी कार्रवाई करते नजर आते हैं। यदि आप कोई फ्लैट मकान या भूखंड खरीद रहे हैं तो जांच पड़ताल करना बहुत ज़रूरी है। ज्यादातर कॉलोनाइजरों ने तहसीलदार स्तर का पत्र हाथ में रखा है और बताते हैं कि ये जमीन आबादी में दर्ज है, इसलिए इस जमीन का प्राधिकरण से कोई लेना देना नहीं। ग्रेटर नोएडा में भी ठीक ऐसे ही अलग अलग गांव देखने को मिल रहा है। खासतौर से सैनी सुनपुरा आमका, वैदपुरा तथा ग्रेनो वेस्ट के अन्य गांव है। जहाँ जमकर कॉलोनी काटी जा रही है। इस संबंध में जिला अधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने बताया कि प्राधिकरण वाले बिल्डरों और भूमाफिया से मिले रहते हैं तथा कानूनी कार्रवाई करने में कोताही करते हैं। 


उन्होंने कहा कि इस संबंध में सैकड़ों शिकायतें प्रति माह आती है। जहां तक सम्भव हो पाता है लोगों की मदद की जाती है। नोएडा प्राधिकरण के ओ एस डी अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि प्राधिकरण के पास अलग से कोई एनफोर्समेंट विभाग नहीं है। जब प्राधिकरण का गठन हुआ था और उस समय जो संख्या राजस्व कर्मचारियो की थी वहीं संख्या आज भी है। नोटिस भेजा जाता है और कार्यवाही भी की जाती है लेकिन कर्मचारियों की संख्या कम होने से त्वरित कार्रवाई नहीं हो पाती है। वर्क सर्किल पांच के वरिष्ठ प्रबंधक श्री सोनकर ने बताया कि उनको तीन चार महीने हुए हैं यहां आए हुए। ज्यादा जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि अवैध रूप से बने बिल्डिंगों पर ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की प्रक्रिया चल रही है। सबसे बड़ी बात नोएडा प्राधिकरण के सीइओ डाक्टर एम् लोकेश ने कहा कि यदि कोई भी भूमि या भवन या फ्लैट अथवा बिल्डिंग ग़ैर क़ानूनी तरीके से प्राधिकरण की प्रावधानों के विरुद्ध बनीं है तो उसे हर हाल में गिरना ही है। उन्होंने भूमाफिया और बिल्डरों को चेतावनी देते हुए कहा कि वे ग़ैर क़ानूनी तरीके से भूमि भवन व फ्लैट खरीदने बेचने का काम बन्द कर दें वरना उन्हें जेल भेजने में देर नहीं लगेगी।

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