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यूरिक एसिड को नॉर्मल रखने के लिये ऐसे पकायें दाल

यूरिक एसिड को नॉर्मल रखने के लिये ऐसे पकायें दाल
यूरिक एसिड की समस्या कॉमन हो गई है। खानपान और आधुनिक जीवनशैली इसका कारण है। इसका स्तर काफी ज्यादा बढ़ने की स्थिति को हाइपरयूरिसीमिया कहा जाता है, यह परेशानी तब होती है जब शरीर बहुत अधिक यूरिक एसिड बनाता है या शरीर से पर्याप्त मात्रा में यूरिक एसिड को बाहर निकालने में असमर्थ होता है। ब्लड में यूरिक एसिड बढ़ने का कारण प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थों का काफी अधिक सेवन करना है। 


इसलिए हाई यूरिक एसिड की परेशानी से जूझ रहे मरीजों को प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। इसमें कुछ दालें भी शामिल हैं। हालांकि, अगर आप दाल को सही ढंग से खाते हैं, तो इससे काफी हद तक यूरिक एसिड को बढ़ने से रोका जा सकता है। आइए जानते हैं यूरिक एसिड में कैसे खाएं दाल?


भगोने में बनाएं दाल

आज के समय में अधिकतर लोग दाल को कुकर में पकाते हैं, क्योंकि ऐसा करने से दाल जल्दी और ठीक से पक जाता है। लेकिन अगर आपको यूरिक एसिड की परेशानी है, तो इस स्थिति में दाल को खुले हुए बर्तन में पकाएं। इससे आप दाल पकने के दौरान ऊपर आ रहे झाग को आसानी से निकाल सकते हैं। ऐसा करने से दाल में प्यूरीन की मात्रा कम होती है और आप इसे खा सकते हैं।


पहले भिगोयें

दाल को पकाने से पहले इसे कुछ समय पर भिगोकर रखें। ऐसा करने से दाल में प्यूरीन का स्तर कम हो सकता है। इसे पकाने के लिए आप 1 कटोरी दाल लें, इसे 2 से 3 बार अच्छे से धोएं और करीब 4 से 5 घंटे तक पानी में भिगोकर छोड़ दें। इसके बाद इस दाल को पकाएं। इस तरह से पकी हुई दाल का सेवन करने से शरीर में हाई यूरिक एसिड का स्तर काफी हद तक कम किया जा सकता है। 


दाल में नींबू का रस डालें

शरीर में बढ़ते यूरिक एसिड को अगर आप कम करना चाहते हैं, तो दाल में हमेशा नींबू के रस को मिक्स करके खाएं। नींबू का रस आपके शरीर में बढ़ते यूरिक एसिड के स्तर को कम कर सकता है। साथ ही यह शरीर से टॉक्सिन निकालने में मदद करता है।


कौन सी दाल खायें

यूरिक एसिड में कौन-कौन सी दाल खानी चाहिये, अक्सर ये सवाल पूछे जाते हैं। कुछ दालों में प्यूरीन की मात्रा काफी ज्यादा होती है, इसलिए इन दालों का सेवन करने से बचना चाहिए, जैसे- अरहर की दाल, मसूर की दाल और चने की दाल यूरिक एसिड के मरीजों के लिए है नुकसानदायक है।


उपरोक्त सलाह किसी रोग का इलाज नही है। यह अनुभवों और जानकारियों के आधार पर सार्वजनिक की जा रही है। जरूरी नही है कि सभी पर लागू हो। इसलिये चिकित्सक की परामर्श जरूर लें।

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