बस्ती में होटल क्लार्क के उद्घाटन पर बोले युवा उद्यमी डा.राकेश‘‘परिवार ही प्रेरणास्रोत’’
बस्ती, 08 अप्रैल। जनपद मुख्यालय के मालवीय रोड स्थित सुबाष तिराहे पर सांमवार को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होटल क्लार्क इन (Clarks inn) का भव्य उद्घाटन हुआ। युवा उद्यमी एवं आईटी सेक्टर की कम्पनी क्वान्टम ग्रुप के चेयरमैन डा. राकेश श्रीवास्तव की माता जी ने दीप जलाकर व फीता काटकर होटल का भव्य शुभारम्भ किया। इस अवसर पर शहर की नामचीन हस्तियां मौजूद रहीं। होटल क्लार्क इन बस्ती का पहला प्रोजेक्ट है जिसे किसी युवा उद्यमी ने यहां शुरू किया, वरना इतना बड़ा निवेश करने वालों ने गैर जनपदों और गैर प्रान्तों की ओर रूख कर लिया। शायद यही कारण है कि बस्ती का विकास एक सीमित दायरे में हुआ। हालांकि डा. राकेश का व्यापार भी कई देशों में फैला है। लेकिन वर्षों पुराना वादा था कि बस्ती को कुछ बड़ा करके दिया जाये जो आज पूरा हुआ।
पिता का था सपना
उद्घाटन के उपरान्त दूसरे दिन मंगलवार को डा. राकेश श्रीवास्तव ने होटल के सभागार में पत्रकारों से बातचीत के दौरान अपने उद्गार साझा करते हुये कहा कहा पिताजी हमेशा कहते थे, बाबू का बेटा बाबू बने यह जरूरी नही है। उसे कई गुना बड़ा करने को सोचना चाहिये। डा. राकेश ने कहा वह अपने पिता से प्रेरित हैं, जो अक्सर कहा करते थे, जॉब मांगने वाला नही जॉब देने वाला बनो। पिताजी से मिली इसी प्रेरणा का नतीजा है कि पढ़ाई पूरी करने के बाद नोकरी की ओर स्ख नही किया। व्यापार के क्षेंत्र में गये खास तौर से स्मार्ट व्यापार। आज सैकड़ों लोगों का नेटवर्क है। इसमे शामिल लोगों का परिवार होटल्स या क्वान्टम ग्रुप से मिलने वाली तनख्वाह से चल रहा है।
युवाओं के लिये संदेश
पत्रकार वार्ता के दौरान डा. राकेश ने कहा युवा अवस्था उम्र का ऐसा मोड़ है जहां व्यक्ति जो ठान ले उसे कर दिखायेगा। जरूरी नही कि एक दो प्रयास में व्यक्ति कामयाब हो जाये, उसें प्रयास करना नही छोड़ना चाहिये। राकेश ने साफ कहा कि वक्त बदल चुका है, नौकरी से सामान्य जीवन भी जीना मुश्किल है। कुछ बड़ा करना है तो व्यापार सबसे बढ़िया विकल्प है। इसमें आजादी होती है और उन्नति के लिये सामने आसमान जैसी ऊंचाइयां, जितनी चाहो अपनी हाईट खुद ही तय कर लो।
शार्टकट खतरनाक
डा. राकेश ने कहा आजकल ज्यादातर युवा शार्टकट अपनाकर जीवन खराब कर लेते हैं। शार्टकट में चमत्कार होते हैं कामयाबियां नही आतीं। कामयाबी तो हमेशा संघर्षों की पीठ पर बैठकर आती है, हमारे परिवार और खुद हमे संघर्षों के दिन याद हैं। संघर्ष से स्वाभिमान, स्वाभिमान से खुद्दारी, चरित्र और अनुशासन आता है जो किसी व्यक्ति को कामयाब बनाने में रॉ मैटेरियल्स जैसा काम करते हैं। डा. राकेश ने कहा कामयाबी एक प्रक्रिया है जो पूरी होने के बाद आती है।
लोग आगे नही बढ़ने देना चाहते
डा. राकेश ने कहा लोग आगे बढ़ना नही चाहते और जो लोग आगे बढ़ना चाहते हैं उन्हे आगे बढ़ने नही देना चाहते। बस्ती में हमनें जो प्रोजेक्ट शुरू किया उसे छः महीनें मे भी पूरा कर सकते थे। लेकिन लोग चुनौतियां खड़ी करते गये और हम उनका सामना करते गये। इसमे करीब 10 साल लग गये। होटल शुरू करने में इतनी देरी होने से जो नुकसान हुआ उसका अंदाजा नही लगा सकते। बस्ती जैसे जिलों में बड़ा इनवेस्मेन्ट क्यों नही आ रहा है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। जब तक बड़े प्राजेक्ट नही शुरू होंगे कोई जिला या प्रदेश तरक्की नही कर सकता। सरकार को ऐसी पॉलिसी तय करनी चाहिये जिसमें स्टार्टअप बेहद आसान हो ओर युवाओं को जोखिम सें उबारने की व्यवस्था हो।
उद्देश्य पर फोकस
डा. राकेश श्रीवास्तव ने कहा इतना बढ़िया बस्ती जैसे शहर में खोलने का उद्देश्य महज व्यापार नही है और न ही यहां से मोटा मुनाफा कमाकर हमे बाहर ले जाकर निवेश करना है। होटल क्लार्क्स के टैरिफ बस्ती जैसे लोकेशन को ध्यान में रखकर तय किया जा रहा है जिसे लोग आसानी से चुकाकर उच्च श्रेणी की सुविधायें प्राप्त कर सकें। जहां तक लाभ हानि की बात है तो हमारे पास और भी प्रोजेक्ट हैं जो हमारा स्वाभिमान कायम रखने और सैकड़ों सहयोगियों का परिवार चलाने में सक्षम हैं।
परिवार को बताया प्रेरणास्रोत
युवा उद्यमी डा. राकेश ने कहा माता पिता, बहने और हमेशा साये की तरह साथ रहने वाला अनुज आशीष श्रीवास्तव उनके प्रेरणास्रोत हैं। इनके साथ ही उनके नेटवर्क में शामिल मैन पॉवर जो उनके हर काम को आसान बना देता है उनकी कामयाबी में चार चांद लगाते हैं। इसका दिनोदिन विस्तार हो रहा है और हम भी लगातार बड़स सोचते जा रहे हैं।
होटल में सुविधायें
डा. राकेश ने कहा होटल में सुरक्षा (इलेक्ट्रिक, फायर) तथा ब्राण्ड के मानकों का ध्यान रखा गया है। इसके अंदर तीन रेस्टोरेन्ट, डायनिंग हाल, मीटिंग हाल, हवादार कमरे, मनोरंजन, बार, लॉबी, लिफ्ट, स्वच्छता, सेल्फ डिपेन्डेन्ट पॉवर आदि सुविधायें उपलब्ध हैं।
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