गौतमबुद्ध नगर में किशोर न्याय बोर्ड में न्याय बिकता है, बोलो खरीदोगे
Justice is for sale at the Juvenile Justice Board in Gautam Buddha Nagar, tell me if you want to buy it.
बुद्ध नगर, संवाददाता (ओ पी श्रीवास्तव)।गौ एक बाल अपचारी को तत्काल जमानत पर रिहा करने के लिए किशोर न्याय बोर्ड के मजिस्ट्रेट के कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों ने तीस हजार रुपए की खुलेआम डिमांड की। जब रूपया नहीं मिला तो बाल अपचारी को जमानत नहीं दी गई और कर्मचारियों द्वारा कहा गया कि अब तो कई महीने बाद जमानत होगी।
यह आरोप है बिहार राज्य के पश्चिम चंपारण जिला निवासी एक बाल अपचारी की मां का। उक्त आरोप के सम्बन्ध में जब राजकीय बाल संरक्षण गृह, फेस दो, नोएडा, जिला गौतम बुद्ध नगर स्थित सम्बंधित बोर्ड के मजिस्ट्रेट से उनके कार्यालय के कर्मी द्वारा रिश्वत मांगे जाने की शिकायत की गई तो मजिस्ट्रेट ने रिश्वत मांगे जाने के आरोप को अत्यंत ही हल्के मे लेते हुए कहा कि ये तो हमारे लड़के हैं, गलती हो जाती है। लेकिन आश्चर्यजनक तरीके से उन्होंने जिस कर्मचारी पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया गया उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई तो बहुत दूर, उस कर्मचारी के खिलाफ एक शब्द तक नहीं कहा।
बल्कि आरोपी कर्मचारी मजिस्ट्रेट के सामने ही खड़ा होकर बेशर्म होकर मुस्कराता रहा। फिलहाल बिहार राज्य निवासी मधू नामक इस महिला ने मामले की शिकायत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित अन्य अधिकारीयों से की हैं। दर असल मामला यह है कि नोएडा के फेस तीन थाना में एक प्रथम सूचना रिपोर्ट धारा 305 ।, 317 (2) बीएनएस के तहत पंजीकृत हुआ है। इसमें वादी अरूण नामक व्यक्ति ने पुलिस को दिए गए तहरीर में कहा है कि उसके निर्माणाधीन मकान से लोहे के सरिया आदि आए दिन चोरी चलें जातें हैं। जिससे वादी काफी परेशान था।
बताया जाता है कि बीते शनिवार की रात करीब नौ बजे के लगभग दो कबाड़ी जो अवैध तरीके से पुश्ता रोड पर स्थानीय पुलिस की शह पर सड़क पर कब्जा करके बड़े पैमाने पर कबाड़ी का काम करते हैं तथा दो बाल अपचारी जिन्हें इन्हीं कबाड़ियों द्वारा लालच देकर चोरी चकारी करवाया जाता है सहित कुल चार लोगों को पकड़ कर लोगों ने पुलिस के हवाले कर दिया। इस मामले में खास बात यह रही कि मुकदमा वादी को कबाड़ियों के मेली मददगारो तथा गैंग के सदस्यों द्वारा काफी डराया और धमकाया भी गया। लेकिन हिम्मत करके कबाड़ियों के खिलाफ तहरीर दी गई।
बहरहाल फेस तीन थाना पुलिस ने न चाहते हुए भी मुकदमा दर्ज कर रविवार को सभी आरोपियों को जेल भेज दिया। अगले दिन सोमवार को एक बाल अपचारी की मां, पुराना कोर्ट फेस दो स्थित बाल संरक्षण एवं सुधार गृह स्थित किशोर न्याय बोर्ड से अपने बच्चे को छुड़ाने हेतु पहुंची। पीड़ित महिला के अनुसार वहां पर कार्यरत कर्मचारियों ने “सेम डे बेल“ कराने के नाम पर तीस हजार रुपए की खुलेआम मांग की तथा कहा कि मजिस्ट्रेट साहब तीस हजार रुपए लेंगे तो अभी तत्काल आरोपी अपचारी को छोड़ देंगे। वरना जमानत में कई महीने लग जाएंगे।
बताया जाता है कि परेशान मां अपने मासूम बच्चे को छुड़ाने के लिए पन्द्रह हजार रुपए देने के लिए किसी प्रकार से तैयार हो गई थी। लेकिन भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे इस किशोर न्याय बोर्ड के कर्मचारी अधिकारी नहीं पसीजे। तीस हजार रुपए पर ही अडिग रहें। परिणामस्वरूप गरीब मां निराश होकर व रोते हुए तथा योगी राज़ की कानून व्यवस्था में भ्रष्टाचार को कोसते हुए लौट गई। बोर्ड में कार्यरत एक महिला पुलिस कर्मचारी ने अपना नाम प्रकाशित नहीं किए जाने की शर्त पर बताया कि यहां बहुत बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है ।
बिना पैसे के उक्त मजिस्ट्रेट कोई काम नहीं करते हैं। चूंकि वह अपनी ऊंची पहुंच के कारण यहां पर तैनात है, इसलिए ये खूलेआम दबंगई दिखाते हैं तथा कर्मचारियों के माध्यम से रिश्वत वसूलते हैं। इस किशोर न्याय बोर्ड के एक कर्मचारी ने अपनी पहचान छिपाने की शर्त पर बताया कि खुद को जिला जज समझने वाले इन मजिस्ट्रेट साहब से हर व्यक्ति परेशान हैं चाहे वह पीड़ित फरियादी हो कर्मचारी। उसने आगे कहा कि हमारे जैसे छोटे कर्मचारी नौकरी जाने की डर से कोई आवाज नहीं उठा पाते है तथा विवश होकर उनके आदेश का पालन करते हैं। वहीं यह भी बताया गया कि यहां पर तैनात न्याय पालिका से आई महिला जज साहब बहुत अच्छी है तथा वह न्याय प्रिय अधिकारी हैं। वह इस समय अवकाश पर है इसलिए ये लोग इस समय खुल कर भ्रष्टाचार का नंगा नाच कर रहे हैं। देखना है कि उत्तर प्रदेश के शासन प्रशासन के जिम्मेदार उक्त सम्बन्ध में कौन सी कार्रवाई करते हैं ।
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