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नंदा बाबा की मौत के बाद उठ रहे अनेक सवाल, सीएम के आने पर हाउस अरेस्ट था नंदा बाबा का परिवार



नंदा बाबा की मौत के बाद उठ रहे अनेक सवाल, सीएम के आने पर हाउस अरेस्ट था नंदा बाबा का परिवार
Nanda Baba's death raised many questions, the CM's arrival was under house arrest Nanda Baba's family

बस्ती, 18 नवम्बर। देशबन्धु नंदानाथ उर्फ यशोदानंद उर्फ नंदा बाबा अब हमारे बीच नही रहे। संत परंपरा से हटकर उनका अंतिम संस्कार किया गया। हालांकि बताया जाता है कि वे नाथ सम्प्रदाय से जुड़े रहे और अपना समूचा जीवन हिन्दुत्व के प्रचार प्रसार व रक्षा में लगा दिया। नंदा बाबा ने जहां टांग अड़ा दिया वे डटे रहे, कई बार प्रशासन को भी घुटनों पर आना पड़ा। उनके निधन से लेकर दाह संस्कार और ब्रह्मभोज तक अनेकों सवाल उठ रहे हैं। नंदा बाबा के रहने पर पिछले कई सालों से उनकी उतनी चर्चा नही हो रही थी जितना उनके न रहने पर हो रही है। 


पुलिस की मौजूदगी में नंदा बाबा के निधन के बाद शहर में उनकी अंतिम यात्रा निकालना, अयोध्या के सरयू घाट तक जाकर दाह संस्कार कराना और मुख्यमंत्री का बस्ती आकर नंदा बाबा को श्रद्धांजलि अर्पित करना, नंदा बाबा की प्रापर्टी से जुड़े एक कथित ट्रस्ट का सामने आना चर्चा मे है। आपको बता दें नंदा बाबा इधर कुछ सालों से अस्वस्थ चल रहे थे। वे रूटीन चेकअप के लिये गोरखपुर जाया करते थे। निधन के दिन भी वे इसी कार्य से गोरखनाथ हॉस्पिटल गये थे। जांच पड़ताल के बाद डाक्टर ने उन्हे स्वस्थ बताकर घर ले जाने की सलाह थी। 


वापस लाते समय नंदा बाबा के साथ उनके साथ परिवार के लवी श्रीवास्तव और एक जगराम नाम के व्यक्ति का होना बताया जा रहा है। हैरानी इस बात की है कि जिस नंदा बाबा को डाक्टर ने स्वस्थ बताकर घर ले जाने की सलाह दिया था, उनकी रास्ते में ही मौत हो गई। बताया गया कि ओड़वारा पहुचकर उन्होने अंतिम सांस लिया। लेकिन ये जानकारी परिवार को देने की बजाय पहले हिन्दूवादी संगठनों और तथाकथित ट्रस्टियों को दी गई। फिलहाल नंदा बाबा के निधन की खबर जंगल मे आग की तरह फैली। सैकड़ों लोग अस्पताल चौराहा स्थित मन्नत की देवी पहुंच गये जहां नंदा बाबा ने आश्रम बना रखा था। 


वहां परिवार के लोग भी पहुंचे। आश्रम मे ही उनकी समाधि तैयार होने लगी। यहां तक परिवार के ही पंकज भइया गोरखनाथ मंदिर के किसी महंत से जानकारी लेकर समाधि का सामान खरीदने बाजार चले गये। कुछ देर बाद लौटे तो प्रोग्राम बदल चुका था। नंदा बाबा के शव को अयोध्या ले जाकर जलाने की सहमति बन चुकी थी। बताया गया कि यह निर्णय उच्चस्तरीय तथाकथित निर्देश पर लिया गया। परिवार के लोग चाहकर भी कुछ नही कर पाये। पुलिस की मौजूदगी में शव यात्रा निकली और अयोध्या ले जाकर नंदा बाबा के शव की अंतिम क्रिया की गयी। जानकार बताते हैं कि नंदा बाबा संत थे, उनके निधन के बाद संत परंपरा का पालन होना चाहिये था। 


समाधि, या फिर जल समाधि उचित था। किसके हस्तक्षेप से नंदा बाबा को अंतिम समय मे संत परंपरा से वचित किया गया ? यह सवाल अनुत्तरित है। 17 नवम्बर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नंदा बाबा को श्रद्धांजलि देने उनके आश्रम पहुचे। जानकारी मिली है कि उन्होने उच्चाधिकारियों से कुछ बातचीत किया और कथित ट्रस्ट को लेकर भी कुछ मार्गदर्शन दिया। यह ट्रस्ट कहां है, कब पंजीकृत हुआ, मुख्य ट्रस्टी कौन है, ट्रस्ट के रजिस्ट्रेशन के पीछे असल मे नीयत क्या है, ये सारे सवाल पब्लिक फोरम मे उठ रहे हैं जो अनुत्तरित हैं। अयोध्या में सरयू तट पर जब नंदा बाबा की लाश जल रही थी उसी वक्त एक वसीयत भी चर्चा मे आया था, जो कुछ वर्ष पहले नंदा बाबा से कराया गया था। यह 27 जून 2025 की है।


चर्चाओं की मानें तो नंदा बाबा की प्रापर्टी को हथियाने की साजिश रची जा चुकी है। परिजनों को दरकिनार कर कोई तीसरा अपना हक जता रहा है और अभिलेख के स्तर पर वह काफी मजबूत भी है। वहीं परिजनों को प्रापर्टी की लालच तो नही है लेकिन वे नंदा बाबा के हिस्से का संत का सम्मान चाहते हैं जिससे समय समय पर उनके योगदान को याद किया जाये और वह दूसरों के लिये प्रेरणा स्रोत बने। लेकिन जिस तरह का परिवेश बन चुका है परिजन नाउम्मीद हो चुके हैं। इतना ही नही मुख्यमंत्री आदित्यनाथ जब नंदा बाबा को श्रद्धांजलि देने बस्ती आये तो नंदा बाबा के परिजनों को हाउस अरेस्ट कर दिया गया। 


सबह से ही पुलिस उनके घर पहुच गई और कहा गया आप हाउस अरेस्ट हैं जब तक मुख्यमंत्री वापस नही चले जाते। सवाल है कि कौन है जो नंदा बाबा के परिजनों को मुख्यमंत्री से दूर रखना चाहता था ? नंदा बाबा के परिजनों की डिमांड से किसे डर है, किसकी क्षति हो सकती है ? क्या मुख्यमंत्री से भी कुछ छिपाने का प्रयास हो रहा है ? ऐसे अनेक सवाल हैं जो लगातार पब्लिक फोरम मे उठ रहे हैं। नंदा बाबा का एक सम्मान है। लाखों हिन्दुओं की भावनायें उनसे जुड़ी हैं, उनके निधन के बाद नंदा बाबा की सोच, उनके विचार जीवित रहने चाहिये। जो वास्तविक संत है उसकी कोई प्रापर्टी नही होती, जो होता है सब समाज को समर्पित होता है। सबकी एक ही डिमांड है नंदा बाबा को एक श्रेष्ठ संत का सम्मान मिले और नाथ सम्प्रदाय से जुड़ा होने के नाते उन्हे गोरखनाथ मंदिर से भी जोड़कर रखा जाये।

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