इलाज के दौरान बच्ची की मौत, राजेन्द्रा हॉस्पिटल के डाक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग
Girl dies during treatment, demand for FIR against Rajendra Hospital doctor
बस्ती, 14 नवम्बर। बस्ती जनपद में जनता निजी अस्पतालों के मनमानी की भारी कीमत चुका रही है। कुछ घटनायें तो मानवता को शर्मसार करने वाली हैं। इसी प्रकार का एक मामला बटेला चौराहा के निकट स्थित राजेन्द्रा हास्पिटल का सामने आया है। कोतवाली थाना क्षेत्र के जिगना निवासी विजय कुमार पुत्र कुश प्रकाश ने गुरूवार को पुलिस अधीक्षक को पत्र देकर राजेन्द्रा हास्पिटल के डाक्टर पर लापरवाहीपूर्वक इलाज करने का आरोप लगाया है जिससे उसकी मासूम बच्ची की मौत हो गयी।
पीड़ित ने हास्पिटल के संचालक और डाक्टर के विरूद्ध मुकदमा पंजीकृत कराकर न्याय की गुहार लगाया है। एसपी को दिये पत्र में विजय कुमार ने कहा है कि 26 अक्टूबर 2025 को कैली अस्पताल में नार्मल डिलीवरी से बच्ची पैदा हुई जिसको गन्दा पानी की वजह से कैली अस्पताल द्वारा रेफर कर दिया गया। उसे के०डी० अस्पताल जिगना में भर्ती कराया गया। वहां पर स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण उसने बच्चे को राजेन्द्रा हास्पिटल में भर्ती कराया। लगभग 15 दिनों तक स्थिति सामान्य रही इसके बाद 9.नवम्बर की रात्रि लगभग 2.30 बजे उन्हे बच्ची के मृत्यु की सूचना दी गयी।
डाक्टर ललित द्वारा परिवार के व्यक्ति से मिलने नही दिया गया। तीन दिन से बच्चे के शव की की मांग की जा रही थी तो हास्पिटल के डाक्टर ने 45000 रूपये की मांग की। कहा रुपया दो तो मृतक बच्चे को देखने देगें और उसके बाद सुपुर्द कर देगें। इसके बाद विजय कुमार ने मजबूर होकर 112 पर सूचना दी, मौके पर पुलिस आयी तो मृतक बच्चे को सुपुर्द कराया। इससे पहले भी हास्पिटल के संचालक द्वारा 1,45,000 रूपये की मांग किया गया। देने में असमर्थता जाहिर करने पर संचालक व डाक्टर द्वारा ने गुप्ता दिया और वहां से उसको भगा दिया गया।
पत्र में विजय कुमार ने कहा है कि बच्ची की मौत डाक्टर की लापरवाही के कारण हुआ है। पीड़ित ने राजेन्द्रा हास्पिटल के संचालक व डाक्टर के विरूद्ध एफ०आई०आर० दर्ज कराने की मांग किया है। इस पूरे मामले में आरोपों पर सफाई देते हुये अस्पताल के संचालक डा. ललित ने कहा कि कोई भी चिकित्सक नही चाहता कि उसके मरीज की मौत हो जाये। ऐसे मामलों से चिकित्सक का करियर बरबाद हो जाता है। बच्ची के परिजनों द्वारा लगाये जा रहे इलाज में लापरवाही के आरोप झूठे हैं। अस्पताल की ओर से बच्ची के इलाज में कोई कसर नही छोड़ा गया। बच्चे की प्रीमेच्योर डिलिवरी हुई थी, उसका कम वजन काफी कम था। बच्ची की फेफड़े से खून आ रहा था। परिजनों को बताया गया था कि बच्चा बहुत गंभीर है, जोखिम ज्यादा है। उनकी सहमति से इलाज शुरू किया गया था। कुल 66 हजार खर्च आया था, 38 हजार का भुगतान मिला था, बाकी 28 हजार न देना पड़े इसलिये बच्ची के परिजनों ने पुलिस बुला लिया।

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