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जिला प्रशासन से नाराज हैं विधायक शलभ मणि, मांस मछली की दुकानें हटवाने की मांग

जिला प्रशासन से नाराज हैं विधायक शलभ मणि, मांस मछली की दुकानें हटवाने की मांग




देवरिया, ब्यूरो (ओ पी श्रीवास्तव)। सदर भाजपा विधायक शलभ मणि त्रिपाठी इन दिनों जिला प्रशासन से काफी नाराज़ हैं। उन्होंने जिला प्रशासन को दो टूक चेतावनी देते हुए कहा है कि शहर में अवैध तरीके से संचालित हो रहे मांस मछली की दुकानों को (विशेष रूप से देवरिया सदर रेलवे स्टेशन के ईर्द-गिर्द सिथत) बंद नहीं किया गया तो वे आर पार की लड़ाई लड़ेंगे। 


हालांकि इस संबंध में नवागत जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने कहा कि अभी-अभी वह आई है और इस प्रकरण में कुछ भी जानकारी नहीं है। जल्द ही विधायक से वार्ता कर इस संबंध में उचित कार्रवाई की जाएगी। विधायक का कहना हैं कि रेलवे स्टेशन के पास दुर्गा जी का मन्दिर है और ठीक मन्दिर के प्रवेश द्वार के सामने खुले आम सड़क किनारे बकरों और मुर्गे मुर्गियों का कत्ल कर उनका मांस बेचा जाता है। विधायक ने कहा है कि सावन महीना शुरू होने से पहले भयंकर दुर्गन्ध एवं गन्दगी से निजात दिलाने हेतु इन्हे हटा दिया जाना अत्यंत आवश्यक है। इन दुकानों को सावन त्योहार शुरू होने के पहले नहीं हटवाया गया तो वो सड़क पर उतरने को मजबूर होंगे। 


विधायक ने संवाददाता से कहा कि इस तरह की दुकानों को बंद करने के लिए पहले भी उनके द्वारा कई बार जिला प्रशासन से निवेदन किया गया है। लेकिन जिला प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद भी इस संबंध में कई बार निर्देर्शित कर चुके हैं कि खुले में मांस नही बिकेगा, बेचने वालों पर सख्ती से कार्रवाई की जाएगी। विधायक ने कहा दुकानों को बंद कराने के लिए सड़क पर उतरना पड़ा तो इसकी पूरी जवाबदेही जिला प्रशासन की होगी।


इस संबंध में विधायक ने मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन, प्रमुख सचिव, मंडलायुक्त, पुलिस अधीक्षक देवरिया को पत्र लिखा है। दूसरे तरफ रेलवे स्टेशन के आसपास स्थित लगभग 100 मीट मछली के दुकानदारों का कहना है कि करीब दो दशक पहले रेलवे स्टेशन के पश्चिम मछली एवं मीट के विक्रय हेतु नगर पालिका परिषद ने दो मजिला बिल्डिंग बनवाई थी। लेकिन वह भ्रष्टाचार के चलते एक साल बाद ध्वस्त हो गई। तब से आज तक नगरपालिका ने वहां पर नई बिल्डिंग नहीं बनवाया। जिस वजह से मजबूरी में सड़क के किनारे मांस मछली बेचने के लिए मजबूर हैं।

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