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अकारण मीटर बदलकर विभाग को चूना लगा रहे विद्युत विभाग के अधिकारी

अकारण मीटर बदलकर विभाग को चूना लगा रहे विद्युत विभाग के अधिकारी

Electricity department officials are polluting the department by changing meters without any reason.



बनकटी, बस्ती।
विद्युत विभाग के एस.डी.ओ. द्वारा अतिरिक्त आमदनी करने की नीयत से प्रायोजित तरीके से उपभोक्ताओं को नाजायज लाभ पहुंचाकर विभाग के राजस्व को जमकर चूना लगाया जा रहा है। इसके बावजूद उच्चधिकारी मूकदर्शक बने हुये हैं। मामला विद्युत वितरण खण्ड तीन के विद्युत उपकेन्द्र बनकटी का है। जानकारी के अनुसार उपखण्ड क्षेत्र के ग्राम बनकटवा निवासी उपभोक्ता राम किशोर मौर्य के मीटर की रीडिंग अप्रैल 2024 की यूनिट 8755 थी। 


मई में 8944 यूनिट बी.आर. करने के बाद जून में 3846 और जुलाई में आई.डी.एफ. कर उस मीटर को अकारण बदल दिया गया। दूसरे उपभोक्ता ग्राम खकुआ निवासी राम अपरबल तिवारी का खाता सं. 8942923000 पुराना मीटर सं. 5511128251 रीडिंग 25459 यूनिट बी.आर. के बाद यूनिट 4000 के बाद आई.डी.एफ. कर अकारण नया मीटर सं. 66687518 लगाया गया। ग्राम फर्दा निवासी सन्त राम के खाता सं. 2466493000 पुराना मीटर सं. 55511070784 बी.आर. के बाद अकारण मीटर बदलवा दिया गया। परन्तु कनेक्शन जोड़ा नहीं गया। 


इसी गांव के महिला उपभोक्ता मंजू देवी पुराना मीटर नं. 152690 को अकारण बदल कर नया मीटर नं. 12812124 लगवा कर नाजायज लाभ दिया गया है। ग्राम कुम्हिया निवासी उपभोक्ता गायत्री देवी पत्नी गंगाराम का पुराना मीटर नं. 010791 को अकारण बदलकर नया मीटर नं.582494 दिया गया है। इसी गांव की उपभोक्ता सीमा देवी का पुराना मीटर 38767445 एन.पी.एस. कम्पनी का अकारण नया मीटर सं.582064 लगवाया गया है। ग्राम हलुआ पार निवासी यदुनन्दन पाल का पुराना मीटर 2502990 के स्थान पर अकारण नया मीटर नं. 4577115 लगवाया गया है। 


इसी तरह से विद्युत उपकेंद्र बनकटी अन्तर्गत बानपुर फीडर के ग्राम खरवनियां में दस उपभोक्ताओं के हर दृष्टि कोण से बेहतर मीटर को नियम विरुद्ध बदलकर उपभोक्ताओं को नाजायज लाभ निजी स्वार्थ के वशीभूत होकर पहुंचाकर सरकार के राजस्व को व्यापक चूना लगाया गया है। सूत्रों ने तो यह भी बताया कि ग्राम बानपुर में नियम विरुद्ध दर्जनों घरों से ए.सी.का बेखौफ प्रयोग हो रहा है जिसमें एस.डी.ओ.की सांठ-गांठ से इन्कार नहीं किया जा सकता है जो किसी बड़े भ्रष्टाचार से कम नहीं है। कुल मिलाकर विभाग के अधिकारी ही विभाग के राजस्व को दीमक की तरह चाट रहे हैं। जो निन्दनीय व दुर्भाग्य पूर्ण है। अब सवाल उठता है कि जब विभाग का लेखा-जोखा आन लाइन विभाग के साइड पर उपलब्ध है तो विभाग के हुक्मरानों की खामोशी मामले में क्यों है ? 

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