फर्जी मुठभेड़ मामले में SO, SOG प्रभारी समेत 12 पुलिसकर्मियों पर एफआईआर का आदेश FIR ordered against 12 policemen including SO, SOG in-charge in fake encounter case
यूपी डेस्कः प्रयागराज के एक युवक को कौशांबी पुलिस ने एक साल पहले मुठभेड़ में विजय कुमार सोनी नाम के एक युवक को गोली मारी थी। बाद में अस्पताल में उसकी मौत हो गई। ये मामला कोर्ट पहुचा था। आरोप लगा कि पुलिस विजय को घर से उठा ले गई और दो दिन बाद फर्जी मुठभेड़ दिखाकर उसे गोली मार दी जिससे उसकी मौत हो गई। कोर्ट ने इस मामले में कौशांबी के चरवा थाने की पुलिस, एसओजी प्रभारी और उनकी टीम पर अपहरण कर हत्या करने की एफआईआरदर्ज करने का आदेश दिया है।
इनके खिलाफ होगी एफआईआर
विनोद कुमार सिंह प्रभारी निरीक्षक थाना चरवा, सिद्धार्थ एसओजी प्रभारी कौशांबी, सुनील कुमार यादव दरोगा, अनिल यादव कांस्टेबल, भानु प्रताप सिंह कांस्टेबल, रामजी पटेल कांस्टेबल, अयोध्या कुमार दरोगा, आशीष तिवारी कांस्टेबल, शिवन गौतम कांस्टेबल, रवि शंकर यादव दरोगा, राधेश्याम कांस्टेबल, रवि शंकर कांस्टेबल
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने कहा दस्तावेज के मुताबिक, घटना 10 सितंबर, 2023 को सुबह 7 बजे हुई। थाना चरवा कौशांबी की पुलिस अचानक अंजू देवी के घर पहुंची, जो प्रयागराज के कोरांव में है। अंजू के बेटे विजय कुमार सोनी को मारने-पीटने लगे। कहा कि लूट के बारे में जानकारी के लिए चरवा थाने चलो। घर पर दो गाड़ियों में करीब 1 दर्जन पुलिस वाले पहुंचे थे। चरवा थाने की पुलिस के साथ एसओजी प्रभारी व उनकी टीम मौजूद थी। दरअसल, थाना चरवा इलाके में 8 सितंबर, 2023 को सोनार के साथ एक लूट की घटना हुई थी। उसी संबंध में विजय से फर्जी बरामदगी दिखाई गई।
विजय को 12 सितंबर, 2023 को 1.33 बजे मुठभेड़ दिखाकर गोली मार दी गई। विजय के दाहिने कंधे में गोली लगी थी। गोली मारने वाली टीम में थाना चरवा प्रभारी निरीक्षक विनोद कुमार सिंह, एसओजी प्रभारी सिद्धार्थ सिंह और उनकी टीम शामिल थी। 21 सितंबर, 2023 को विजय की मौत हो गई। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने कहा कोर्ट ये मान रहा है कि विजय कुमार सोनी को जान से मारने की नीयत से गोली चलाई गई। कोर्ट में विजय की मां अंजू देवी की ओर से धारा 156 (3) के तहत शपथपत्र भी दिया गया। आरोप लगाया गया कि विजय की अपहरण के बाद हत्या की गई। अंजू ने कहा कि मैंने पुलिस आयुक्त प्रयागराज, यूपी के गृह सचिव को रजिस्टर्ड डाक से शिकायत भेजी, मगर कहीं सुनवाई नहीं हुई। मजबूर होकर कोर्ट का रास्ता अपनाना पड़ा।
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