न्याय के लिये भटक रही है बस्ती जनपद का नाम रोशन करने वाली राष्ट्रीय खिलाड़ी हिना खातून
National player Hina Khatoon, who brought glory to Basti district, is wandering for justice
बस्ती, 29 जनवरी। जिसकी सच्चाई, इमानदारी और खुद्दारी पर पूरा बस्ती जनपद गर्व करता है, जिसने अपनी मेहनत के दम पर अनेकों मेडल और सम्मान हासिल किया, जिसने ढेर सारी चुनौतियां का सामना कर, बेहद खराब आर्थिक पारिवारिक पृष्ठभूमि से निकलकर अपनी एक पहचान बनाई उसे अपनी बहन को न्याय दिलाने के दर दर भटकना पड़ रहा है। हम बात कर रहे हैं राष्ट्रीय खिलाड़ी हिना खातून की। जो वर्तमान में बलरामपुर स्टेडिडयम मे हैंडबाल कोच के रूप में अपना योगदान दे रहे हैं। दरअसल इन दिनों हिना अपनी बहन को उसका हक दिलाने के लिये अफसरों की चैखट पर माथा पटक रही है। आश्चर्य है किसी ने बस्ती की बेटी को न्याय दिलाने के लिये गंभीरता नही दिखाई।
क्या है पूरा मामला
हिना खातून की बहन जरीना की शादी लालगंज थाना क्षेत्र के महसों निवासी मो० शकील से हुई है। शकील और जरीना से एक बेटी (रेशमा) है जिसे लेकर वह अपनी मायके में (हिना के घर) रहता है। अभी हाल ही में हिना ने सारा खर्चा खुद उठाकर रेशमा की शादी की है। शकी के पति सगे दो भाई थे, बड़़े भाई वहीद की मृत्यु हो चुकी है। वहीद के 7 लड़के है, जो अपनी मां के साथ रहते है। चूंकि बेटी रेशमा की शादी मायके से करनी थी, इसलिये पति शकील के विक्षिप्त होने के कारण प्रार्थिनी अपनी पुत्री रेशमा की शादी के लिये मायके (मरवटिया) चली गई थी।
वहीं से वैवाहिक कार्यक्रम सम्पन्न कराया। शादी के बाद शकील महसों लौट आये और जरीना मायके में कुछ दिनों के लिए रूक गई, जिसका अनुचित लाभ उठाकर उसके जेठ वहीद के लड़के गुलाम हुसैन, अली हुसैन, आफताब, महमूद, गुलाम रसूल व नूरजहां पत्नी वहीद ने एक षडयंत्र के तहत शकील को बरगला कर कूट-रचना एवं क्षल प्रपंच से उन्हे कब्जे में लेकर उनके नाम की जमीन को नूरजहाँ के नाम दान दिखा कर रजिस्ट्री बैनामा करा लिया। जबकि मो० शकील पूर्ण रूपेण विक्षिप्त है, जिनका मेडिकल रिपोर्ट भी मौजूद है।
क्या कहती है हिना
इस पूरे मामले में हिना खातून का कहना है कि शकील विक्षिप्त है तो उसकी प्रापर्टी का बैनामा कैसे हो सकता है? तथ्यों को छिपाकर, अधिकारियों को गुमराह कर पट्टीदारों ने कूटरचना का सहारा लेकर जमीन हथिया लिया जो पूरी तरह से एक साजिश और बेइमानी है। शकील के विक्षिप्त होने का प्रमाण है तो पुलिस आरोपियों के खिलाफ फोर्जरी का मुकदमा क्यों नही लिख रही है? शकील और उसका परिवार कहां जायेगा ? दोनो की आगे की जिंदगी कैसे कटेगी? हिना खातून का कहना है कि सच्चाई में ताकत होती है, फर्जी बैनामे के जिम्मेदार अफसरों तथा अब न्याय की अनदेखी कर रहे लोगों को सबक सिखाकर दम लेंगे।
अफसरों का नजरिया
पिछले कई दिनों से प्रार्थना पत्र लेकर अफसरों का चक्कर काट रही हिना का अनुभव अफसरों के बारे में अच्छा नही रहा। उसका कहना है कि कोई गंभीरता से बात ही नही सुनता। पुलिस कप्तान ने पहले पागल होने का प्रमाण मांगा, कहा इसके बाद मुकदमा दर्ज करवायेंगे, अब प्रमाण पत्र लाकर दिया तो वे भी टालमटोल कर रहे हैं। 28 जनवरी को तो हद हो गई, हिना अपनी बहन और बहनोई (शकील) को लेकर पुलिस आफिस पहुंची, मौके पर सीओ स्वर्णिमा सिंह मौजूद थीं। उन्होने हिना खातून को देखते ही आफिस से बाहर जाने को कह दिया। जैसे वे पूर्वानुमानों से ग्रस्त रही हों। बाद में हिना उनसे मिली और पूरे मामले की जानकारी। उन्होने कहा मुकदमा कैसे दर्ज हो जायेगा। वह निराश होकर वापस लौट आई।
अफसरों की लापवाही का नतीजा
बड़ा अफसर जब मामलों को गंभीरता से नही लेता तो छोटा तो फरियादी को कुत्ता समझने लगता है। हिना इस मामले में लेकर इससे पहले महसों चैकी गई थी। वहां चैकी इंचार्ज ने बदतमीजी से बात करते हुये कहा तुम तो भाई बड़ी फेमस हो, तुम्हारे साथ कौन लोग हैं, ये तुम्हारे दोस्त हैं। ऐसे अनेक बेहूदा सवाल पूछा जो सामान्यतः एक लड़की से नही पूछना चाहिये। फिलहाल दूसरे पक्ष से चैकी पर एक समझौता हुआ जिसके तहत शकील को मकान में एक छोटा सा कमरा रहने को दिया गया। बाकी मकान खाली करने के लिये 10 दिन का वक्त लिया गया। कुछ ही दिन बाद शकील की गैरमौजूदगी का फायदा उठाकर दूसरे पक्ष ने कमरे का ताला तोड़ दिया। हिना खातून को इसकी जानकारी हुई तो वह फिर महसो पुलिस चैकी पर पहुंची। प्रार्थना पत्र दिया कि कमरे का ताला तोड़ा गया है कार्यवाही की जाये। चैकी इंचार्ज ने कहा अब जाओ दिवानी लड़ो। वहीं जब दूसरे पक्ष ने प्रार्थना पत्र दिया कि हिना खातून ने ही ताला तोड़कर सारा सामान चुरा लिया तो इस पर वह तुरन्त गभीर हो गया और प्रार्थना पत्र को आगे बढ़ा दिया। राष्ट्रीय खिलाड़ी हिना खातून ने चोरी की है या नही इसकी जांच चल रही है।
मर रहा है न्याय
लापरवाह, बेलगाम और संवेदनहीन अफसरों के चलते फरियादी सिर पटक कर मर जाये योगी सरकार के कार्यकाल में लोगों को न्याय नही मिल पा रहा है। न अफसरों का ज़मीर जिंदा रहा और न सरकार का उन पर नियंत्रण, नतीजा ये है कि कदम कदम पर न्याय दम तोड़ रहा है।
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