भागवत शास्त्र का आदर्श दिव्य है- आचार्य देवर्षि त्रिपाठी
The ideal of Bhagwat Shastra is divine- Acharya Devarshi Tripathi
बस्ती, 21 जनवरी। श्री बाबा झुंगीनाथ धाम में 7 दिवसीय श्रीविष्णु महायज्ञ संत सम्मेलन में श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन व्यासपीठ से आचार्य देवर्षि त्रिपाठी ने कहा कि बिना ईश्वर के संसार अपूर्ण है। परमात्मा श्रीकृष्ण परिपूर्ण आनन्द स्वरूप है। भागवत शास्त्र का आदर्श दिव्य है। गोपियों ने घर नहीं छोड़ा, स्वधर्म का त्याग नहीं किया फिर भी वे श्रीभगवान को प्राप्त करने में सफल रहीं।
महात्मा जी ने कहा कि दुःख में जो साथ दे वह ईश्वर और सुख में साथ देना वाला जीव है। श्रीकृष्ण की वन्दना से पाप जलते हैं। महात्मा जी ने कहा कि भागवत मनुष्य को निर्भय बनाता है। मनुष्य ईश्वर का भय नहीं रखता इसीलिये दुःखी है। भागवत के भगवान इतने सरल हैं कि वे सबके साथ बोलने को तत्पर है किन्तु अपने स्वार्थो में लिपटा हुआ जीव तो जगत के स्वामी की भी उपेक्षा कर देता है। महात्मा सन्तोष शुक्ल ने कहा कि सात दिन के भीतर परीक्षित को मुक्ति मिली। निश्चित था कि ठीक सातवे दिन उनका काल आने वाला है किन्तु हम काल को भूल जाते हैं। वक्ता शुकदेव जी जैसा अवधूत और श्रोता परीक्षित जैसा अधिकारी हो तो मुक्ति मिल जाती है।
कथा महिमा का वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि भागवत कथा का आनन्द ब्रम्हानन्द से भी श्रेष्ठ है। योगी तो केवल अपना उद्धार करता है किन्तु सतसंगी साथ में आये सभी का उद्धार करते हैं। श्रीराम कथा में मुख्य यजमान संयोजक धु्रवचन्द्र पाठक, मुख्य यजमान गुरू प्रसाद गुप्ता, शिवमूरत यादव, रामसुन्दर, उदयनरायन पाठक, ओम प्रकाश पाठक, परमात्मा सिंह, अनिल पाठक, मनोज विश्वकर्मा, नरेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी, त्रियुगी नारायण त्रिपाठी, हृदयराम गुप्ता, पिन्टू मिश्रा, बब्लू उपाध्याय, रामसेवक गौड़, उर्मिला त्रिपाठी, बीरेन्द्र ओझा, अमरजीत सिंह, शुभम पाठक, राम बहोरे, उमेश दुबे सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रोता उपस्थित रहे।
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