कप्तान सााहब! हरिकान्त गुप्ता हत्याकांड के रहस्य से कब उठेगा परदा Captain sahab! When will the mystery of Harikant Gupta murder case be solved?
बस्ती, 19 अक्टूबर। मुण्डेरवां थाना क्षेत्र के रामपुर रेवटी निवासी हरिकान्त गुप्ता की 03 मई 2024 की रात में गला काटकर हत्या कर दी गई थी। भाई सन्तोष गुप्ता न्याय के लिये दर दर भटक रहा है। उसने कुछ लोगों पर संदेह जाहिर करते हुये पुलिस को कुछ लोगों का नाम भी बताया।
लेकिन पुलिस ने पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया और हत्याकांड एक निर्मम अनसुलझी पहले बनकर रह गया। इस मामले में संतोष पुलिस अधीक्षक और पूर्व आईजी को प्रार्थना पत्र देकर भाई की हत्या का खुलासा करने की मांग किया था। लेकिन पुलिस ने कोई रूचि नही दिखाई। पीड़ित के साथ जिलाध्यक्ष ज्ञानेन्द्र पाण्डेय के साथ आईजी से मिलने गये प्रतिनिधि मंडल से उन्होने कहा था कि हर हत्याकांड का खुलासा हो संभव नही है। आप लोग भी अपने स्तर से पता करिये कोई नई जानकारी मिले तो बताइये। पूर्व कप्तान ने कहा था कि होली बाद लखनऊ से टीम बुलाकर मामले की जांच करायेंगे। लेकिन सब बेनतीजा रहा।
सन्तोष गुप्ता का कहना है उनके भाई घर के बाहर तख्त पर सोये थे। उठकर कब और कहां चले गये ये कोई नही जानता। रात करीब 1.00 बजे घर के बाहर कुछ दूरी पर सो रहे पिता को उन्होने जगाया। पिता ने देखा तो वे पागल समझकर भगाने लगे, बाद में हरिकान्त की बेटी (14) आई और उसने कहा बाबा भगाओ नही ये हमारे पापा हैं। वे खून से लतपथ थे, गला कटा हुआ था। दोनो हाथ पीछे बंधे हुये थे। सन्तोष गुप्ता का कहना है कि अभी हम लोग सोच ही रहे थे कि क्या किया जाये इतनी रात में, बगल के रहने वाले राकेश सिंह व विमल सिंह पुत्र रामचरन सिंह बगैर किसी के बुलाये रात में 1 बजे हमारे घर आ गये।
विमल सिंह बुरी तरह कांप रहे थे, 20 हजार रूपया दिये और खुद ही वाहन की व्यवस्था की। हरिकान्त को मुण्डेरवां थाने पर ले गये, वहां बोला गया पहले इलाज कराओं। कोई पुलिसकर्मी साथ नही आया। उन्हे जिला अस्पताल लाया गया। डाक्टर ने भी बगैर पुलिस के इलाज करना शुरू कर दिया। करीब एक घण्टे बाद उनकी मृत्यु हो गई। पुलिस 6 महीना बाद भी इस मामले में खाली हाथ है। पुलिस ने संदिग्धों के घर की कोई जांच नही की। मामले की लीपापोती करती रही। सन्तोष गुप्ता का ये भी कहना है कि पुलिस ने मामले के खुलासे में दिलचस्पी नही दिखाई तो साफ जाहिर है कि उच्च स्तरीय दबाव और पैसों की लालच में इंसाफ का गला घोंटा जा रहा है और अभियुक्तों को संरक्षण दिया जा रहा है।
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