साधारण व्यक्ति नही हैं अमिताभ ठाकुर,
जानिये क्यों हैं सरकार के रडार पर
अशोक श्रीवास्तव की समीक्षाः वाराणसी जिले की स्पेशल सीजेएम कोर्ट में शुक्रवार 19 दिसंबर को पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को पेश किया गया। इससे पूर्व न्यायालय परिसर छावनी में तब्दील हो गया। सैकड़ो की संख्या में सुरक्षा बल कोर्ट रूम के बाहर से लेकर न्यायालय परिसर तक तैनात किये गये। सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा तेज हो रही है।
अमिताभ ठाकुर को किसी दुर्दान्त अपराधी या आतंकवादी की तरह पेश किया जा रहा है। सैकड़ो पुलिसकर्मियों को देखकर अधिवक्ता भी हैरान थे। पूरे परिसर मे पुलिस की सीटियां गूंज रही थीं। मीडिया को भी अमिताभ ठाकुर से दूर रखा गया। एक घंटे तक न्यायालय परिसर में हलचल मची रही। कोर्ट रूम के बाहर बड़ी संख्या मे मीडियाकर्मी जमे थे लेकिन उन्हे अमिताभ ठाकुर से बात नही करने दिया गया। दरअसल ये पूरा मामला कोडीन कफ सिरप केस से जुड़ा है।
चौक थाना क्षेत्र के बड़ी पियरी निवासी हिन्दू युवा वाहिनी के नेता और वीडीए के मानद सदस्य अम्बरीष सिंह भोला ने चौक थाने में 9 दिसंबर को प्राथमिकी दर्ज कराई थी। अमिताभ ठाकुर पर आरोप है कि उन्होंने बीते 30 नवंबर को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें ठाकुर ने अम्बरीष सिंह भोला पर आपराधिक मामलों में संलिप्त होने के झूठे आरोप लगाए गए थे। कहा जा रहा है हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं के जमा होने के कारण अमिताभ ठाकुर की पेशी के समय पुलिस फोर्स बढ़ा दी गई।
आपको बता दें अमिताभ ठाकुर की गिरफ्तारी करीब 26 साल पुराने एक केस को लेकर हुई है, जिसमें उन पर सरकारी पद के दुरुपयोग और फर्जी दस्तावेजों के जरिए औद्योगिक प्लॉट खरीदने और बेचने के आरोप हैं। हालांकि अमिताभ ठाकुर का कहना है कि वे इस प्लाट को वर्षों पूर्व सरेंडर कर चुके हैं। अमिताभ ठाकुर का जन्म झारखंड के बोकारो में हुआ था। उन्होंने कानपुर आईआईटी से इंजीनियरिंग की डिग्री ली है। अमिताभ ठाकुर 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उनकी पहली पोस्टिंग गोरखपुर में बतौर एडिशनल एसपी हुई थी। बाद में पिथौरागढ़, बस्ती समेत यूपी के कई जिलों में एसपी रहे।
23 मार्च 2021 को गृह मंत्रालय ने उन्हें जबरन रिटायर कर दिया था। इसके बाद उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी आजाद अधिकार सेना बनाई, जिसके वे राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। अमिताभ ठाकुर की पत्नी डॉ. नूतन ठाकुर जानी-मानी सोशल एक्टिविस्ट हैं। अमिताभ ठाकुर की पहचान इमानदार और तेज तर्राक अफसरों में रही है। वे सत्ता के खांचे मे कभी सेट नही हो पाये, चाहे मुलायम सिंह की सरकार रही हो या फिर आदित्यनाथ की।
पूर्व आईपीएव अमिताभ ठाकुर चाहते तो सत्ता के गलियारों मे चहलकदमी कर कुछ प्रभावशाली नेताओं की उंगली पकड़कर किसी बोर्ड के चेयरमैन बन सकते थे। लेकिन अमिताभ ठाकुर साधारण व्यक्ति नही है, एक बड़ा तबका आज इनके जज्बे को सलाम कर रहा है। उन्होंने संघर्ष का रास्ता अख्तियार किया और हर प्रकार के जुल्म, अत्याचार और भ्रष्टाचार को लेकर सत्ता की आखों में आखें डालकर सवाल कर रहे हैं और दो दो हाथ करने को तैयार रहते हैं।
अमिताभ ठाकुर यूं ही नहीं सरकार के रडार पर हैं। वह अकेले ऐसे नेता हैं जो सीधे सरकार से लड़ रहे हैं। बरेली हिंसा के बाद मुख्यमंत्री ने वर्ग विशेष के लिए “गर्मी निकाल कर जहन्नुम पहुंचा देने जैसा शब्द का इस्तेमाल“ किया था तो अकेले अमिताभ ठाकुर ने राज्यपाल को पत्र लिखकर योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की थी। 14 अगस्त को अंजना ओम कश्यप ने इसी शीर्षक के साथ ब्लैक एंड व्हाइट शो किया था जिसके बाद अमिताभ ठाकुर ने उत्तर प्रदेश के गोमतीनगर थाने में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की। अमिताभ ठाकुर ने स्मिता प्रकाश के खिलाफ केस दर्ज कराया है।
जब अतीक अहमद के बेटे की तलाशी का वीडियो जेल से लीक हुआ तब अमिताभ ठाकुर ने कहा था कि अली की तलाशी का जो वीडियो सामने आया है, उसे सार्वजनिक किए जाने का आरोप अपने आप में अत्यंत गंभीर है। कफ सीरप कांड मे उन्होने वाराणसी के अम्बरीश सिंह भोला का नाम लिया तो सरकार पूरी तरह बिदक गई। देवरिया मे प्लाट का खरीद फरोख्त तो एक बहाना है। अब आप समझ गये होंगे अमिताभ ठाकुर सरकार के रडार पर क्यों हैं। फिलहाल ऐसे संघर्षों को नियति भी सेल्यूट करती है। एक बड़ी चर्चा इस बात को लेकर भी है कहीं ऐसा तो नही कि अमिताभ ठाकुर को पेशी पर ले जाने वाली पुलिस की गाड़ी पलट जायेगी, या फिर आजम खान की तरह इनका जीवन जेल मे तो नही कटेगा।












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