सुविधाओं की कमी के चलते परिषदीय विद्यालयों से अभिभावकों का मोह भंग हो रहा है
बनकटी, बस्ती (बीपी लहरी) परिषदीय विद्यालयों की स्थिति सुधारने के लिये शासन पानी की तरह पैसा बहा रहा है। लेकिन अधिकारी बेखौफ होकर अपने फर्ज से गद्दारी कर रहे हैं। ताजा मामला बनकटी ब्लाक का है। सोमवार को मीडिया टीम ने ब्लाक क्षेत्र के प्राथमिक स्कूल ससना का पड़ताल किया। जहां प्रधानाध्यापक कबीन्द्र नाथ चौधरी सहायक शिक्षक जीतेन्द्र कुमार पाण्डेय, व शिक्षा मित्र रेनू दूबे और रसोइया बबीता तथा लक्ष्मी देवी तो मौजूद मिले।
लेकिन पंजीकृत पैंतीस बच्चों के सापेक्ष सिर्फ दो ही बच्चे उपस्थित रहे। वर्ष 2013 से संचालित इस स्कूल में एक मात्र इन्डिया मार्का हैन्ड पम्प है जो प्रदूषित पानी उगल रहा है। इसे रिबोर का इन्तजार है। ्प्रधानाध्यापक ने बताया कि दो माह पहले मामले की सूचना खन्ड शिक्षा अधिकारी को दिया गया है। लेकिन आज तक सुनवाई नहीं हुई। स्कूल के पास आवश्यक भूखण्ड के अभाव के चलते किचन गार्डेन के अलावा बच्चों के शारीरिक विकास हेतु खेल का मैदान तक नहीं है। यहां स्कूल निर्माण कराने का कोई औचित्य ही नहीं था। फिर भी विभाग के तत्कालीन हुक्मरानों ने स्कूल स्थापित कराकर सरकारी धन का दुरोपयोग कर
इसके मीडिया टीम ने प्राथमिक स्कूल सन्डा का भी अवलोकन किया जहां महिला प्रधानाध्यापक ज्योति श्रीवास्तव, सहायक शिक्षक सत्यप्रकाश व दो रसोइया में सरस्वती देवी मौजूद थी। जबकि दूसरी गोदावरी देवी छुट्टी पर रही। यहां पंजीकृत बच्चों की संख्या सैंतीस है। लेकिन उन्तीस ही मौके पर मौजूद रहे। स्कूल की विशेष समस्या परिसर में विद्युत विभाग द्वारा स्थापित ट्रांसफार्मर है जो गम्भीर दुर्घटना को आमंत्रण दे रहा है। इसके अलावा कहने को तो स्कूल की बाउन्ड्रीवाल का निर्माण तो हुआ है लेकिन कमीशनखोरी के चलते उसकी गुणवत्ता ठीक न होने से बेमतलब साबित हो रहा है।
प्रधानाध्यापिका ने बताया कि बाउन्ड्रीवाल में प्रवेश के लिए पहले जो गेट लगाया गया था उसमें प्रयुक्त की गई घटिया निर्माण सामग्री के चलते दूसरे तीसरे दिन ही गेट धराशाई हो गया। वर्ष 2002 के दौरान का निर्माण कराये गये गुम्बदाकार स्कूल भवन की दीवार फटने से बरसात में पानी टपकता है। खडन्जा, इन्टरलाकिंग, फर्श के अभाव में बारिश में परिसर कीचड़ से सराबोर हो जाता है। आवश्यक सुधार की उम्मीद क्षीण हो जाने से अभिभावकों का विश्वास परिषदीय स्कूलों से खत्म हो रहा है। अभिभावकों द्वारा अपने पाल्यों को मजबूरन निजी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजना पड़ रहा है। आरोपों के सम्बन्ध में जब जब जिला बेसिक शिक्षाधिकारी से विभाग का पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने काल रिसीव नहीं किया।
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