सामर्थ्य सेवा के लिए है रौब झाड़ने के लिए नहीं
बस्ती, 21 मार्च। दुर्वासा ऋषि के आशीर्वाद से माता कुन्ती को असाधारण सामर्थ्य प्राप्त हुआ कि अपने मन्त्र के प्रभाव से कुन्ती जब चाहेंगी तब प्रमुख देवताओं को बुला सकती हैं। बिना समय देवताओं को बुलाया तो कुमारावस्था में ही माता बनने का कलंक लगा। सामर्थ्य सेवा के लिए है रौब झाड़ने के लिए नहीं।
यह सद्विचार कथा व्यास पंडित राजेश पाण्डेय सिंटू जी महाराज ने हर्रैया विकासखण्ड के समौड़ी गाँव में श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन व्यक्त किया। कथा व्यास ने कहा कि बिना ईश्वर के संसार अपूर्ण है। भागवत शास्त्र का आदर्श दिव्य है। गोपियों ने घर नहीं छोड़ा, वन नहीं गयीं उन्हें लता, फूल, वृक्ष में कन्हैया दिखाई पड़ते हैं। भक्ति केवल मंदिरों में नहीं जहाँ बैठ जाओ वहीं भक्ति है। दुःख मन का धर्म है, आत्मा का नहीं। सात दिनों में राजा परीक्षित नें सद्गति प्राप्त किया फिर हम सबका उद्धार क्यों नहीं होता। हमें परीक्षित जैसा श्रोता होना चाहिए और गुरु शुकदेव जी जैसा हो तो उद्धार हो जाए। भागवत कथा मनुष्य को निर्भय बनाती है। इस अवसर पर मुख्य यजमान राम सुमति मिश्र, सीता देवी, देवेंद्र नाथ मिश्र श्बाबू जीश् सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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