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सामाजिक न्याय के पुरोधा थे कांशीराम- ज्ञानेन्द्र

सामाजिक न्याय के पुरोधा थे कांशीराम- ज्ञानेन्द्र
बस्ती, 15 मार्च।
कांशीराम की 91 वीं जयंती पर कांग्रेस के लोगों ने उन्हे याद किया। पार्टी दफ्तर पर आयोजित गोष्ठी को सम्बोधित करते हुये जिलाध्यक्ष ज्ञानेन्द्र पाण्डेय ‘ज्ञानू’ ने कहा कांशीराम ने उत्तर भारत में पहली बार दलितों को शून्य से सत्ता के शिखर तक पहुंचाया। दलित समाज को एकजुट करके राजनीतिक गठजोड़ तैयार करने वाले कांशीराम ने सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति शुरू की थी। 


1958 में कांशीराम पुणे में डीआरडीओ में लैब असिस्टेंट के पद पर कार्यरत थे। उनके प्रयासों का ही परिणाम था कि बसपा ने उत्तर प्रदेश में कई बार सरकार बनाया। प्रवक्ता मो. रफीक खां ने कहा कांशीराम समाज के शोषित, वंचित और पीड़ितों की आवाज थे। पूर्व विधानसभा प्रत्याशी डा. आलोकरंजन वर्मा ने कहा कि सामाजिक परिवर्तन के सूत्रधार कांशीराम ने पिछड़ों, दलितों को एकजुट कर उन्हे उनका राजनीतिक हक दिलाया। 


कांशीराम नेता कम समाज सुधारक ज्यादा थे। गोष्ठी को सुरेन्द्र मिश्रा, डीएन शास्त्री, भूमिधर गुप्ता, संनील कुमार पाण्डेय सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने सम्बोधित किया और कांशीराम को सामाजिक न्याय का पुरोधा बताया। कार्यक्रम का संचालन महासचिव गंगा प्रसाद मिश्रा ने किया। इस अवसर पर लक्ष्मी यादव, आशुतोष पाण्डेय एडवोकेट, ज्ञानप्रकाश पाण्डेय, शेर मोहम्मद, गुड्डू सोनकर, रामबाबू, डा. मारूफ अली, अलीम अख्तर, अशोक श्रीवास्तव, इजहार अहमद, सर्वेश शुक्ला, आनंद कुमार आदि मौजूद रहे।




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