मुख्यमंत्री ने जिसकी सक्सेस स्टोरी बताई वह माफिया निकला, देशभर में हो रही चर्चा
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने भरे सदन में जिसकी सक्सेस स्टोरी बताकर उसे महिमांमंडित किया वह एक माफिया निकला। मुख्यमंत्री ने बिना सिर के पैर के बात कह डाली, कहा एक नाविक ने महाकुंभ में 30 करोड़ की आमदनी की। इसने टैक्स कितना सरकार को दिया ये बात सामने नही बाई। चलिये जान लेते हैं कि 130 नावों से 45 दिनों में कुल कितनी आय की जा सकती है। अलग अलग घाटों से संगम तक जाने का किराया 75 से 100 रूपया तय किया गया था। दो नाविकों के साथ कुल 8 लोग बैठ सकते थे। एक नाव करीब 8 चक्कर रोजाना लगा सकती है।
सभी श्रद्धालुओं ने 100 रूपया दिया हो तो कुल 4 करोड़ रूपये से अधिक की आमदनी नही की जा सकती है। यह तभी संभव है जब रंगदारी वसूल की गई हो। कुल मिलाकर सीएम योगी का हीरो हिस्ट्रीसीटर निकला। वह अतीक अहमद का साथी रहा। वह महाकवि सूर्यकान्त निराला के पोते की हत्या में भी शामिल था। यही नही जो मुख्यमंत्री उसका गुणगान कर रहे हैं उन्ही की पुलिस ने महाकुंभ में उसके खिलाफ नाविकों से अवैध वसूली का मुकदमा दर्ज किया था। योगी ने विधानसभा में कहा था कि ‘मैं एक नाविक परिवार की सक्सेस स्टोरी बता रहा हूं, जिनके पास 130 नौकाएं हैं। प्रयागराज महाकुंभ के 45 दिन में इन्होंने शुद्ध 30 करोड़ रुपए की आमदनी की।
इस बयान के बाद मुख्यमंत्री के इस हीरो की चर्चा पूरे देश में होने लगी। इसके बाद जो खुलासा हुआ उसने मुख्यमंत्री द्वारा बताई गई नाविक की सक्सेस स्टोरी को ही पलट कर रख दिया। सच्चाई सामने आई कि नाविक समेत इसका पूरा परिवार ही माफिया है। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने नाम लिए बिना जिस पिंटू माहरा की तारीफ़ की थी, उसका असली नाम अमित माहरा उर्फ़ पिंटू है, करीब तैंतालीस साल के पिंटू के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास और रंगदारी मांगने समेत गंभीर किस्म के 21 आपराधिक मामले दर्ज हैं। उसके खिलाफ साल 2010 और 2016 में गैंगस्टर एक्ट के तहत भी कार्रवाई की गई थी। इसके अलावा साल 2013 और 2015 में गुंडा एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था।
वह कई बार जेल जा चुका है। कई सालों तक जेल में रहने के बाद वह कुछ महीने पहले ही जमानत पर बाहर आया है। आरोप है कि जेल में रहते हुए भी वह लोगों को धमकाने का काम करता था। 11 फरवरी को इसी महाकुंभ में पिंटू माहरा के खिलाफ नाविकों से अवैध वसूली का मुकदमा दर्ज किया गया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा विधानसभा में पिंटू की प्रशंसा किए जाने के बाद यूजर सोशल मीडिया पर यह सवाल पूछ रहे है कि क्या उन्हें इस बारे में पूरी जानकारी थी ? क्या अधिकारियों ने मुख्यमंत्री से पिंटू का सच छुपा लिया ? या फिर महाकुंभ की सफलता को दर्शाने के लिए यह आंकड़ा पेश किया गया ?
जानकारी मिली है कि पिंटू समेत परिवार के ज्यादातर सदस्य शातिर अपराधी हैं, उनकी हिस्ट्री शीट है, कई सदस्य जेल जा चुके हैं, उसकी छवि दबंगों और माफियाओं की है। आरोप है कि यह परिवार सिर्फ दिखाने के लिए नाव चलाता है. जबकि इसका असली काम नाविकों से रंगदारी वसूलने का है। संगम और आसपास के घाटों पर इस परिवार का जबरदस्त आतंक है। प्रयागराज में कहा जाता है कोई भी नाविक इस परिवार के सामने घुटने टेके बिना नाव नहीं चला सकता है। दावा किया जाता है कि माहरा परिवार की दबंगई और रसूख के आगे पुलिस और प्रशासन भी ज्यादातर बैक फुट पर रहता है।
यही वजह है कि महाकुंभ के दौरान भी देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं से नाव से यात्रा कराने के नाम पर मनमानी वसूली की गई। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पोस्ट करते हुए लिखा, “पाताल खोजी पहले पता कर लिया करें फिर महिमा मंडन किया करें.” उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने बिना जांच के पिंटू महारा को सदन में सराहा। पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव ने भी पिंटू मेहरा पर आरोप लगाते हुए कहा कि महाकवि निराला जी के प्रपौत्र अखिलेश त्रिपाठी को बम मार कर सितंबर 2017 में जिस गिरोह ने हत्या किया, उसका सरगना पिंटू माहरा था। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी इस मुद्दे पर योगी पर कटाक्ष किया है। सवाल ये उठता है कि मुख्यमंत्री जैसे पद पर रहते हुये क्या विधानसभा में किसी माफिया का महिमांडन करना उचित है। आखिर मुख्यमंत्री का पिण्टू माहरा की मनगढ़न्त सक्सेस स्टोरी बताने के पीछे क्या उद्देश्य था ?
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