यूपी को मणिपुर बनने से रोकिये योगी जी!
यूपी के अलीगढ़ में सपा सांसद रामजीलाल सुमन के काफिले पर हुए हमले ने राजनीतिक माहौल को गरम कर दिया है। यह हमला रविवार को उस समय हुआ, जब सुमन अपने काफिले के साथ आगरा से बुलंदशहर जा रहे थे। हमलावरों ने काफिले पर टायर और पत्थर फेंके, जिससे पांच गाड़ियां आपस में टकरा गईं। इस हमले को लेकर विवाद तब और बढ़ गया, जब रामजीलाल सुमन ने इसे एक साजिश करार दिया और कहा कि एक वर्ग के लोग उनकी हत्या की साजिश कर रहे हैं।
सपा सांसद के काफिले पर हुए हमले की जिम्मेदारी करणी सेना ने ली है। इसे लेकर ओकेंद्र राणा ने वीडियो जारी कर कहा कि ये हमला हमारे लोगों ने किया हमने इसकी जिम्मेदारी ली है। उन्होंने कहा कि हमें दुख की बात है कि वह बच गया है। राणा ने कहा कि आज तो सिर्फ कुछ गाड़ियां टूटी हैं लेकिन जब तक हम इसके घुटने नहीं टकवा देंगे तब हम लोग चुप नहीं बैठेंगे। करणी सेना के पदाधिकारी ने कहा कि हम सरकार और प्रशासन से निवेदन करना चाहते हैं कि इसे बचाए नहीं इसने राणा सांगा के साथ पूरे हिन्दू समाज का अपमान किया है।
आप को बता दें कि मेवाड़ के शासक रहे राणा सांगा के खिलाफ टिप्पणी को लेकर निशाने पर आये समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य रामजी लाल सुमन के काफिले पर रविवार को अलीगढ़ और दिल्ली के बीच गभाना टोल बूथ पर करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने ताबड़तोड़ टायर फेंके। इसकी वजह से कई वाहन आपस में टकरा गये। हालांकि इस घटना में सुमन बाल-बाल बच गये। अपर पुलिस अधीक्षक (नगर क्षेत्र) एम.एस. पाठक ने बताया, ’’सपा के राज्यसभा सदस्य रामजी लाल सुमन को इलाके से सुरक्षित निकाल लिया गया। इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ है। कई प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और इनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।’’ टोल बूथ पार करने और बुलंदशहर जिले में प्रवेश करने के बाद पुलिस ने सुमन को आगे बढ़ने से रोक दिया।
आगरा में इससे पहले करणी सेना ने नंगी तलवारें और असलहों के साथ हजारों की संख्या में सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया थां जिस तरह कानून को हाथ मे लेकर दहशत फैलाई गई वह किसी आतंक से कम नही है। इस वक्त देश सीमाओं पर भी तनाव झेल रहा है और देश के अंदर भी माहौल खराब होता जा रहा है। आदित्यनाथ सरकार के दोहरे मापदंड यूपी को दंगों में झोंकने के लिये पर्याप्त हैं। जाति धर्म देखकर अपराधियों के साथ कार्यवाही की जा रही है। यूपी में कानून और शांति व्यवस्था कायम रखनी है तो सरकार को कानून हाथ में लेने वालों से बगैर किसी भेदभाव के सख्ती से निपटना होगा। असलहों के साथ प्रदर्शन, डराना धमकाना, अपहरण, हत्या बलात्कार की घटनायें यूपी को एक भयावह भविष्य की ओर ले जा रही हैं। मीडिया भी चुप है और पुलिस सरकार को खुश करने में जुटी है। याद रहे मीडिया सवाल पूछना बंद कर देता है तो जनता सड़कों पर उतरकर जिम्मेदारी खुद अपने हाथों में ले लेती है। यूपी दूसरा मणिपुर न बन जाये इससे पहले आदित्यनाथ सरकार को गंभीर होना पड़ेगा।
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