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शिवेन्द्र पाण्डेय का हुआ आईएएस में चयन, खुशी से झूम उठे इलाके के लोग




शिवेन्द्र पाण्डेय का हुआ आईएएस में चयन, खुशी से झूम उठे इलाके के लोग
Shivendra Pandey selected for IAS, people of the area rejoice

रुधौली, बस्ती (अनूप बरनवाल) रुधौली थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत सिसवारी खुर्द के राजस्व गांव भीटा माफी निवासी किसान पुत्र शिवेंद्र पांडेय उर्फ शुभम ने देश की सबसे कठिन मानी जाने वाली आईएएस परीक्षा पास कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। शुभम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राथमिक विद्यालय हटवा से प्राप्त की। इसके बाद इंडियन पब्लिक स्कूल, बस्ती से हाईस्कूल एवं इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की। 


उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से बीटेक की डिग्री हासिल की और फिर दिल्ली में अपने बड़े भाई सत्य प्रकाश पांडेय के साथ रहकर चार वर्षों तक यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की। इंडियन पब्लिक स्कूल के प्रबंधक कैलाशनाथ दूबे ने शिवेन्द्र की सफलता पर प्रसन्नता  व्यक्त करते हुये कहा कि हम अपने विद्यालय के हर बच्चे के भीतर एक कामयाब इंसान की छबि देखते हैं। पढ़ाई लिचाई के अलावा कई और परिस्थितियां होती हैं जो व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती हैं। शिवेन्द्र की कामयाबी ने विद्यालय परिवार को सम्पूर्णता का अहसास कराया है। 


इससे हमे अपना काम पहले से ज्यादा मेहनत और लगन से करने की प्रेरणा मिली है। शुभम के पिता देवनाथ पांडेय शुद्ध रूप से खेती-किसानी कर परिवार का पालन-पोषण करते हैं, जबकि मां मंजू पांडेय प्राथमिक विद्यालय नरही में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। बड़े भाई अभय पांडेय सोनू नकहा बाजार में खाद-बीज भंडार का संचालन करते हैं। परीक्षा परिणाम घोषित हुआ और शुभम का नाम चयनित अभ्यर्थियों की सूची में आया, तो परिवार और गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। 


लोगों ने मिठाई बांटकर, आतिशबाजी कर और एक-दूसरे को गले लगाकर जश्न मनाया। गांव के लोगों ने बताया कि शुभम बचपन से ही “डीएम साहब” के नाम से मशहूर था और उसका सपना था कि एक दिन वह देश की सेवा प्रशासनिक अधिकारी के रूप में करे। शुभम के छोटे भाई दीपंकर पांडेय बीटेक की तैयारी में जुटे हैं, जबकि बहन बीएड के बाद शिक्षा क्षेत्र की प्रतियोगी परीक्षाएं दे रही हैं। आईएएस में चयन के बाद परिजनो समेत इलाके के लोग और शिवेन्द्र के शिक्षक उन्हे बधाइयां दे रहे हैं। गांव में देर रात तक जश्न का माहौल बना रहा। लोग किसान पुत्र की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहे हैं।


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