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रामलीला में इंडियन पब्लिक स्कूल के बाल कलाकारों ने किया मनमोहक अभिनय



रामलीला में इंडियन पब्लिक स्कूल के बाल कलाकारों ने किया मनमोहक अभिनय
Child artists from Indian Public School performed captivatingly in Ramlila.

बस्ती, 06 नवम्बर। सनातन धर्म संस्था द्वारा छठवें वर्ष आयोजित श्री रामलीला महोत्सव के दूसरे दिन इंडियन पब्लिक स्कूल के बाल कलाकारों ने मुनि विश्वामित्र के आगमन, ताडका बध, सुबाहु बध, अहिल्या उद्धार, गंगा अवतरण तक की लीला की और उसके बाद सेंट फ्रांसिस स्कूल बस्ती के बाल कलाकारों द्वारा जनकपुरी में नगर भ्रमण, फुलवारी का मंचन किया गया।


श्रीराम जी, लक्ष्मण जी की आरती व इंडियन पब्लिक स्कूल नचना के बच्चों द्वारा सामूहिक श्री राम स्तुति के साथ आरम्भ हुये श्रीराम लीला में दर्शक जमे रहे। क्षेत्राधिकारी बस्ती सदर सत्येन्द्र भूषण तिवारी ने श्रीराम जी की महिमा, रामलीला के लाभ, अहिल्या विषय मे विविध विन्दुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि श्रीराम जी के जीवन दर्शन का श्रवण, दर्शन करने से जीवन का दुःख दूर होता है। राम व रावण दोनों हम मनुष्यों के अंदर हैं बाहर कुछ नहीं है पर प्रयास ये रहे कि अंतर्द्वद्ध में रामत्व प्रभावी हो। 


ऐसे आयोजन मनोरंजन का नहीं मूल्य का विषय है, अहिल्या का जीवन धैर्य की पराकाष्ठा है। रामायण इस तथ्य का प्रतीक है कि बुराईयों की ताकत क्षीण होती है और ईश्वर अनेकानेक रूप में अवतरित होकर अच्छाईयों को मंच देते हैं। व्यास राजा बाबू पाण्डेय ने कथा सूत्र पर प्रकाश डालते हुये दर्शकों को बताया कि मुनि विश्वामित्र अयोध्या पहुंचे और राजा दशरथ से श्रीराम और लक्ष्मण को यज्ञ रक्षा के लिये मांगा। प्रभु श्री राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के बड़े होने पर अयोध्या में मुनि विश्वामित्र का आगमन होता है। राजा दशरथ उनका खूब स्वागत सत्कार करते हैं। 


मुनि विश्वामित्र राजा दशरथ को बताते हैं कि वन में जब वे यज्ञ करते हैं तो राक्षस उन्हें तहस-नहस कर देते हैं। इसलिए वे यज्ञ की रक्षा के लिए राजा दशरथ से श्री राम और लक्ष्मण को साथ भेजने की बात कहते हैं। गुरु वशिष्ठ के समझाने पर राजा दशरथ श्री राम और लक्ष्मण को मुनि विश्वामित्र के साथ भेज देते हैं। मुनि विश्वामित्र ने रास्ते में श्री राम और लक्ष्मण को बताया कि इस जंगल में ताड़का नाम की राक्षसी का आतंक है जो लोगों को खा जाती है। इसी दौरान उनका सामना ताड़का से हो जाता है। ताड़का उन्हें देख उन पर आक्रमण कर देती है। 


इस पर श्री राम ताड़का का वध कर देते हैं। ताड़का के वध के बाद मुनि विश्वामित्र श्री राम और लक्ष्मण को लेकर आश्रम आ जाते हैं। मुनि विश्वामित्र आश्रम में शिष्यों के साथ यज्ञ कर रहे थे। मारीच और सुबाहु नाम के राक्षस यज्ञ को नष्ट करने के लिए पहुंच जाते हैं। श्री राम लक्ष्मण से उनका भीषण युद्ध होता है। अंत में श्री राम लक्ष्मण दोनों राक्षसों का वध कर देते हैं। आगे जनकपुर के लिए प्रस्थान करते हैं मार्ग में भगवान अपने चरण रज से अहिल्या का उद्धार करते हैं। आगे की लीला में मुनि विश्वामित्र ने दोनो राजकुमारों राम और लक्ष्मण को गङ्गा जी के अवतरण के विषय मे बताया और। 


गंगा नदी में स्नान कर ब्राह्मण पुत्रों को दान दक्षिणा देते हुए आगे की यात्रा में आगे बढ़ते है। मंचन से रामलीला के कलाकारों ने दर्शकों का मन मोह लिया। ताडका बध, सुबाहु बध, अहिल्या उद्धार, गंगावतरण के प्रसंगों ने जहां लोगों को बांधे रखा वहीं जनकपुर के फुलवारी प्रसंग में दर्शकों को मनोहारी दृश्यों का दर्शन हुआ। बीच के कालखंड में एस पी चिल्ड्रेन्स एकेडमी के बच्चों ने श्री कृष्ण अर्जुन संवाद के माध्यम से श्रीमद्भगवत गीता में वर्णित आत्मा और शरीर के विषय में बताया जो बड़ा ही ज्ञानप्रद रहा। लीला में जनकपुर नगर भ्रमण, बालकों से मित्रता, फुलवारी प्रसंग हुआ। इस दौरान उपस्थित श्रद्धालु जय श्री राम का का नारा लगाते हुए। लीला के विभिन्न प्रसंग देख आनंदित हुए।


सेंट फ्रांसिस स्कूल की लीला के आरंभ में भगवान श्री राम गुरु विश्वामित्र के साथ मिथिला पहुँचते हैं और वहाँ राजा जनक उनका स्वागत करते हैं। भगवान जनकपुर के दो बालकों से मित्रता करते हैं और वहाँ के नर नारियों से मिलकर मिथिलापुर के विभिन्न प्रतिष्ठानों,भवनों सहित पूरे नगर का दर्शन करते हैं। गुरु की आज्ञा से दोनों राजकुमार राजा जनक के सुंदर बागीचे में प्रवेश करते हैं। उस बागीचे की सुंदरता को देखकर दोनों मोहित हो जाते हैं। बागीचे में उत्तरी छोर पर स्थित मां गिरिजा का अति शोभायमान मंदिर है। जहां जनक नंदिनी जानकी अपनी सखियों के साथ गौरी पूजन के लिए आती हैं। 


जहां एक बावरी सखी राम और लक्ष्मण की सुंदरता को देखकर मूर्छित हो जाती है और जाकर सीता से प्रभु श्रीराम के सुंदरता का बखान करती है। यह सुनकर सीताजी के भी मन में श्री राम को देखने की इच्छा जागृत हो जाती है। सीता जी जब प्रभु श्री राम के रूप और सौंदर्य को देखती हैं तो मोहित हो जाती हैं। यही स्थिति प्रभु श्रीराम के मन में भी पैदा होती है। दोनों कुछ देर तक एक दूसरे को देखते हैं। तत्पश्चात मां गिरिजा का पूजन करने के बाद सीता जी पुनः महल को लौट जाती हैं और प्रभु श्री राम और लक्ष्मण पुष्प लेकर विश्वामित्र के यहां आश्रम में पहुंच जाते हैं।


लीला के प्रारम्भ में दिनेश चंद्र चौधरी निरीक्षक कोतवाली बस्ती, डॉ शैलेश सिंह, मनीष सिंह, संजय द्विवेदी, रामकमल सिंह, विवेक मिश्र, कैलाश नाथ दूबे, गोपेश्वर त्रिपाठी, कर्नल के सी मिश्र, हरिशंकर त्रिपाठी, सुष्मिता सानू, आर के उस्मानी, सहदेव दूबे, शिक्षक एवं शिक्षिकाओं ने भगवान की आरती की। लीला में डॉ अश्विनी सिंह, डॉ राजन शुक्ल, विनय शुक्ल, अंकुर यादव, अनुराग शुक्ल, सुशील मिश्र, अतुल चित्रगुप्त, विराट पाल सिंह, भोलानाथ चौधरी, अर्पित गौड़, हर्ष, वीरेंद्र सिंह, माही सिंह, डॉ ऋचा ओझा, मान्यता त्रिपाठी,  अभिनव उपाध्याय, डॉ रोहन दूबे, डॉ दुर्गेश पाण्डेय, सी ए अभिषेक मणि त्रिपाठी, चन्दन सिंह, अमन श्रीवास्तव, अभिषेक शाही, अभय त्रिपाठी, महेंद्र यादव, वेद बाबू, सरदार सर्वजीत सिंह, हरीश त्रिपाठी, अनुराग पांडेय, के साथ ही बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे।

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