पत्रिका की कवर स्टोरी को लेकर सड़क पर उतरी सपा, लखनऊ से नोयडा तक जोरदार विरोध प्रदर्शन
SP takes to the streets over India Today cover story, protests from Lucknow to Noida
लखनऊ, उ.प्र.। बुधवार को राजधानी लखनऊ में अचानक सियासी माहौल गरम हो गया। दरअसल समाजवादी पार्टी छात्र सभा के कार्यकर्ताओं ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी एक निजी पत्रिका में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके परिवार पर की गई टिप्पणी से बुरी तरह नाराज़ थे। यह पूरा विवाद देश के प्रसिद्ध मीडिया ग्रुप की एक कवर स्टोरी को लेकर शुरू हुआ।
इसमें ’गांधारी के श्राप’ का जिक्र करते हुए उसे सीधे तौर पर मुलायम सिंह यादव के परिवार से जोड़ दिया गया है। इस आपत्तिजनक तुलना से आक्रोशित होकर, सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ताओं ने लखनऊ के हजरतगंज चौराहे पर हल्ला बोल दिया और पत्रिका को जलाकर अपना विरोध दर्ज कराया। मीडिया ग्रुप ने अपनी कवर स्टोरी में महाभारत के एक प्रसंग का सहारा लिया है। स्टोरी के मुताबिक, गांधारी ने भगवान कृष्ण को श्राप दिया था कि यदुवंश आपसी लड़ाई के चलते नष्ट हो जाएगा, और पत्रिका ने इसी श्राप का असर मुलायम सिंह यादव के वंश में भी बताया।
पत्रिका मे यह भी लिखा गया कि इसी श्राप के चलते यादव परिवार में आपस में जमकर सिर फुटव्वल है और परिवार की राजनीति का ग्राफ पतन की ओर है। इस तुलना ने समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावनाओं को बुरी तरह आहत किया है और वे इसे पार्टी नेतृत्व का अपमान मान रहे हैं। इस स्टोरी के चलते समाजवादी पार्टी के विरोध प्रदर्शन की आग लखनऊ से लेकर नोएडा तक फैल गई। सैकड़ों की संख्या में पहुंचे समाजवादी पार्टी छात्र सभा के कार्यकर्ताओं ने हजरतगंज चौराहे पर जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने पत्रिका को जलाकर अपना आक्रोश व्यक्त किया और मीडिया ग्रुप के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
उग्र प्रदर्शन को देखते हुये पुलिस तुरंत हरकत में आई और प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर उन्हें इको गार्डन भेज दिया। जिस पत्रिका ने आपत्तिजनक टिप्पणी की गयी है उसका दफ्तर नोयडा मे हैं। वहाँ बड़ी संख्या में यूपी पुलिस सुरक्षा के लिए तैनात कर दी गई है। इस पूरे विवाद पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने पत्रिका की टिप्पणी के विरोध में दो द्वीट किए हैं, हालाँकि उन द्वीट में क्या कहा गया है, यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है, लेकिन उनके विरोध प्रदर्शन को उनका समर्थन साफ़ दिखाई देता है। कार्यकर्ताओं का मानना है कि इस तरह की व्यक्तिगत टिप्पणियाँ पूरी तरह से गलत और दुर्भावना से ग्रसित है। इस घटना ने एक बार फिर मीडिया की रिपोर्टिंग की सीमा और नैतिकता पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है।







































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