लोकसभा चुनाव की टाइमिंग पर विचार करना चाहिये इलेक्शन कमीशन को
समीक्षा (अशोक श्रीवास्तव) लोकसभा चुनाव के दौरान हीट वेव के चलते देशभर में सैकड़ों मौतें हुईं और हजारों लोगों का इलाज चल रहा है। इतना ही नही मतदान का प्रतिशत भी प्रभावित हुआ। मौसम सामान्य रहने पर निश्चित रूप से 2 से 5 प्रतिशत वोटिंग ज्यादा होती। दूसरी बात भीषण गर्मी और लू में इंतेजाम भी पर्याप्त नही थे। पोलिंग् पार्टियों के रवानगी स्थल से लेकर मतदान केन्द्र तक व्यवस्था दुरूस्त नही थी।
किसी के बीमार होने पर सीधे सीएचसी या जिला अस्पताल भागना पड़ता था। जबकि चुनाव के दौरान चिकित्सा सेवाओं के लिये गतिमान व्यवस्था लागू करनी चाहिये जिससे बीमार पड़ने पर एम्बुलेंस में ही प्राथमिक स्तर का इलाज हो जाये और इससे पहले कि मरीज सीरियस हो वह जिला अस्पताल या सक्षम अस्पताल पहुंच जाये। देश खूब तरक्की कर रहा है। लेकिन स्वास्थ्य और न्याय से जुड़ी सेवायें पर्याप्त और सुविधाजनक नही हैं। इससे नागरिकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान हीटवेव ने राजनीतिक दलों के नेताओं, समर्थकों और डियूटी में लगे कर्मचारियों को काफी परेशान होना पड़ा। अनेक मौतें हुईं।
ऐसे में भारत निर्वाचन आयोग को इस इलेक्शन की टाइमिंग पर विचार अवश्य करना चाहिये। फर्जी वोटिंग रोकने के लिये आधार को वोटर आईडी से कनेक्ट किया जाना चाहिये, और फ्री एण्ड फेयर इलेक्शन के लिये शत प्रतिशत वीवीपैट की पर्चियों की गणना करवानी चाहिये। चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते रहे, लेकिन आयोग धृतराष्ट्र की भूमिका में सबकुछ देख सुनकर अंजान बना रहा। ईवीएम, हेट स्पीच आदि से जुड़ी सैकड़ों शिकायतों का समाधान नही किया गया। ईवीएम को लेकर चुनाव आयोग पर जनता का विश्वास नही है, ऐसे में मजबूत लोकतंत्र के लिये आयोग को इसकी व्यवस्था करनी चाहिये कि ईवीएम को लेकर लगाये जा रहे आरोप को तार्किक और प्रायोगिक तौर पर खारिज करना चाहिये। जनता का भरोसा डगमगाने लगे तो लोकतंत्र वैसे भी निष्प्राण होकर रह जाता है।
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