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टीबी के बैक्टीरिया शरीर के किसी भी भाग को प्रभावित कर सकते हैं

टीबी के बैक्टीरिया शरीर के किसी भी भाग को प्रभावित कर सकते हैं



बस्ती 19 जुलाई।
टीबी रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नाम के बैक्टीरिया से फैलता है। टीबी के फैलने के पीछे का मुख्य कारण है हवा। टीबी संक्रमित ब्यक्ति के खांसने और छींकने से दूसरे व्यक्ति में यह संक्रमण फैल सकती है। यह बातें आज हर्रैया ब्लॉक के महुआपार ग्रामसभा के पंचायत भवन में आयोजित सामुदायिक बैठक एवं टीबी स्क्रीनिंग कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक राहुल श्रीवास्तव ने कही।


उन्होंने कहा कि आमतौर पर टीबी की बैक्टीरिया फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन टीबी के बैक्टीरिया शरीर के किसी भी भाग जैसे किडनी, रीढ़ और मस्तिष्क को प्रभावित कर सकते हैं। बाल और नाखून को छोड़कर टीबी किसी भी भाग में हो सकती है। यदि टीबी से संक्रमित ब्यक्ति को ठीक से इलाज नहीं मिलता है तो टीबी की बीमारी उस व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। राहुल ने कहा कि टीबी बैक्टीरिया के कारण होता है, जो सर्दी या फ्लू की तरह हवा के माध्यम से फैलता है। आपको टीबी तभी होता है जब आप ऐसे लोगों के संपर्क में आते हैं, जिन्हें यह रोग है। 


यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ घूम रहे हैं, जिसे टीबी है और उसने मुंह पर हाथ रखे बिना छींक मार दी और आपके ऊपर उस छींक की कुछ बूंदे गई, तो आप भी उस रोग से पीड़ित हो सकते हैं। टीबी के इलाज के साथ-साथ बचाव भी उतना ही महत्वपूर्ण है। यदि किसी को टीबी है, तो अपनी सभी दवाएं समय पर लें ताकि यह सक्रिय और संक्रामक न हो और मरीज जल्दी स्वस्थ हो जाए। एक्टिव टीबी के संबंध में रोगी को स्वयं ही दूसरे लोगों के संपर्क में आने से बचना चाहिए। हंसते, छींकते या खांसते समय अपना मुंह ढक लेंना चाहिए और किसी से मिलने पर सर्जिकल मास्क ज़रूर लगाना चाहिए।


साथ ही अपने खानपान का विशेष ख्याल रखना चाहिए और सबसे ज़रूरी है कि समय समय पर डॉक्टर से सलाह लेकर उनकी बात माने साथ ही अपने इलाज के कोर्स को पूरा करना चाहिए। वरिष्ठ टीबी प्रयोगशाला पर्यवेक्षक संजय कुमार पाण्डेय ने कहा कि टीबी इलाज में सबसे पहले मरीज की हिस्ट्री लेते हुए यह पता किया जाता है कि मरीज किसी संक्रमण के सम्पर्क में था या नही फिर बीमारी की पुष्टि के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट किया जाता है। टीबी मरीज के खांसी के नमूने का प्रयोगशाला में परीक्षण किया जाता है, फेफड़े में टीबी के लक्षण की जांच के लिए छाती का एक्स रे किया जाता है और मस्तिष्क तथा रीढ़ की हड्डी में टीबी संक्रमण की जांच के लिए सीटी स्कैन या एमआरआई किया जाता है।


उन्होंने कहा कि जांच और उपचार कराने से आप स्वयं, अपने परिवार, मित्रों और अपने समुदाय को सुरक्षित रख सकते हैं। यदि आपका टीबी स्किन टेस्ट या ब्लड टेस्ट पॉजिटिव है, तो इसका मतलब है कि आप उस बैक्टीरिया के संपर्क में आ चुके हैं जो टीबी का कारण बनता है। सक्रिय टीबी संक्रमण का पता लगाने के लिए छाती का एक्स-रे और बलगम के नमूने का जांच कराना होता है। जांच हेतु गाढ़ा बलगम देना होता है जिसे आप अपने फेफड़ों से खांसकर बाहर निकालते हैं। थूक या लार नही देना होता है। इस दौरान बीसीपीएम जन्मेजय उपाध्याय, सीएचओ पूजा वर्मा, एएनएम सुशीला, आशा ज्ञानमती, किरन सिंह, दीपिका, सीमा सिंह, नीलम वर्मा, पदमावती देवी, आंगनबाड़ी पुष्पा देवी, नीतू तिवारी, उषा देवी, प्रभावती देवी, माया देवी, सुमन देवी, माधुरी, सहिदुंन्निशा, सुशीला, यशोदा, कुसुम, ठकुरा देवी, लालमती, झीना, पुष्पा, सुनील कुमार, रामजुडावन, संतोष कुमार, हृदयराम, अशरफी लाल, जटाशंकर सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे। 

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