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दो सितम्बर तक चलेगा अभियान, सप्ताह में चार दिन खिलाई जाएगी फाइलेरिया की दवा

दो सितम्बर तक चलेगा अभियान, सप्ताह में चार दिन खिलाई जाएगी फाइलेरिया की दवा The campaign will run till September 2, filariasis medicine will be administered four days a week.




बस्ती, 10 अगस्त। फाइलेरिया जिसे बोलचाल की भाषा में हाथीपांव भी कहते हैं, एक लाइलाज बीमारी है। मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाली यह बीमारी विश्व में दिव्यांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। इस बीमारी से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम घर घर जाकर दवा खिलाएंगी। दस अगस्त से दो सितम्बर तक फाइलेरिया से बचाव की दवा विभाग की दो सदस्यीय टीम सप्ताह में चार दिन खिलाएगी। 


निर्धारित आयु वर्ग के अनुसार इस दवा का सेवन सभी को करना चाहिए। यह बातें बस्ती मंडल की अपर निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ विनीता राय ने कहीं। वह सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से अपने कार्यालय के सभागार में आयोजित सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान संबंधी एक दिवसीय मीडिया कार्यशाला को सम्बोधित कर रही थीं। कार्यशाला के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन, पाथ और पीसीआई संस्था के प्रतिनिधियों ने भी तकनीकी जानकारियां साझा कीं। इस मौके पर संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य डॉ नीरज कुमार पांडेय ने कहा कि जन जन तक यह संदेश पहुंचना चाहिए कि इस भयावह बीमारी से बचाव का सर्वोत्तम उपाय साल में एक बार लगातार पांच साल तक बचाव की दवा का सेवन करना है। 


अभियान में एक से दो साल तक के बच्चों को सिर्फ पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाई जाती है। गर्भवती और बिस्तर पकड़ चुके अति गंभीर बीमार लोगों को छोड़ कर सभी लोगों को इस दवा का सेवन अवश्य करना है। बस्ती जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आरएस दूबे ने कहा कि लोगों के बीच यह संदेश जरूर जाना चाहिए कि दवा पूरी तरह से सुरक्षित और असरदार है। यह दवा अन्तर्राष्ट्रीय मानकों पर परखी गई है। इसका सेवन खाली पेट नहीं करना है। दवा किसी को देनी भी नहीं है। यह टीम के सामने ही खानी है। लोग खुद तो दवा खाएं हीं दूसरे लोगों को भी दवा खाने के लिए प्रेरित करें। बस्ती जिले के जिला मलेरिया अधिकारी आईए अंसारी ने बताया कि करीब 26.78 लाख की आबादी को 2305 टीम दवा खिलाएंगी। 


यह टीम प्रत्येक सोमवार, मंगलवार, गुरूवार और शुक्रवार को ही दवा का सेवन कराएंगी। दवा खाने के बाद कुछ लोगों में हल्की मितली, सिरदर्द, चक्कर आना जैसे लक्षण आते हैं। इससे घबराना नहीं चाहिए। यह एक अच्छा संकेत हैं और यह तब होता है जब शरीर के भीतर मौजूद माइक्रो फाइलेरिया मरते हैं। संतकबीरनगर जिले के जिला मलेरिया अधिकारी राकेश कुमार ने कहा कि मिथक और भ्रांतियों के कारण कुछ लोग दवा का सेवन नहीं करते हैं और मना करते हैं। सही संदेश पहुंचने पर वह दवा के सेवन के लिए तैयार हो जाते हैं। उनके जिले में करीब दस लाख लोगों को 1103 टीम दवा खिलाएंगी। आभार ज्ञापन करते हुए मंडलीय सर्विलांस अधिकारी डॉ अनिल कुमार चौधरी ने कहा कि मंडल के सभी तीनों जिलों में यह दवा खिलाई जाएगी। 


सिद्धार्थनगर जिले में यह दवा 27.95 लाख लोगों को 2512 टीम खिलाएंगी। इस बार अभियान में आशा कार्यकर्ता के साथ एक पुरुष सदस्य को भी रखा गया है ताकि फाइलेरिया के हाइड्रोसील वाले मरीजों को ढूंढा जा सके और शाम को भी दवा का सेवन कराया जा सके। इस मौके पर शहरी स्वास्थ्य मिशन के मंडलीय समन्वयक दिनकर परवर, जिला समन्वयक सच्चितानंद चौरसिया, मंडलीय क्वालिटी कंसल्टेंट जीशान, डब्ल्यूएचओ के पदाधिकारी डॉ नित्यानंद, पीसीआई के प्रतिनिधि अनुरोधा और पाथ संस्था के प्रतिनिधि अनिल सिंह समेत दर्जनों प्रतिभागी और मीडिया के प्रतिनिधिगण मौजूद रहे।


पांच से पंद्रह साल बाद आता है लक्षण

पत्रकारों द्वारा खुले सत्र में पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए संयुक्त निदेशक डॉ पांडेय ने बताया कि जब कोई संक्रमित मच्छर स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो उसे भी फाइलेरिया संक्रमित कर देता है। संक्रमण मिलने के बावजूद इस बीमारी के लक्षण दिखने में पांच से पंद्रह साल तक का समय लग जाता है और एक बार लक्षण आ जाने पर यह बीमारी ठीक नहीं होती है। इसलिए बचाव की दवा का सेवन कर लेना ही सुरक्षा प्रदान करता है। इस बीमारी के प्रमुख लक्षणों में हाथ, पैर, स्तन व अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील) शामिल है।

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