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हाउस टैक्स, वाटर टैक्स में छूट के नाम पर ठगे तो नही जा रहे भवन स्वामी ?

हाउस टैक्स, वाटर टैक्स में छूट के नाम पर ठगे तो नही जा रहे भवन स्वामी ? Otherwise, are the building owners going to cheat in the name of exemption in house tax and water tax?




बस्ती, 07 अगस्त। नगरपालिका प्रशासन ने भ्रष्टाचार का नायाब तरीका निकाला है। न तो अफसरों की इस पर नजर है और न ही सभासदों का कोई विरोध। लेकिन शहरी क्षेत्र में मकान बनवाकर रहने वाले लोग सुनियोजित तरीके से ठगे जा रहे हैं। भ्रष्टाचार की ये लीक नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन ने तैयार किया था। मौजूदा प्रशासन भी उसी रास्ते पर चल पड़ा है।


हम बात कर रहे हैं नगरपालिका प्रशासन द्वारा हाउस टैक्स व वाटर टैक्स के नाम पर किये जा रहे भ्रष्टाचार की। पूर्व के चेयरमैन पर इसी मद का करोड़ों रूपया डकारने का आरोप है। मौजूदा नगरपालिका प्रशासन भी उसी लीक पर चल रहा है। आपको बता दें अभी हाल ही में नगरपालिका की ओर से नोटिफिकेशन जारी किया गया कि 01 अगस्त 2024 से 30 सितम्बर के बीच हाउस टैक्स व वाटर टैक्स जमा करने वाले भवन स्वामी को 10 फीसदी की छूट दी जायेगी। लेकिन भवन स्वामियों को भेजे गये डिमांड नोटिस में यह छूट नही दर्शाया गया है। सर्वविदित है कि भवन स्वामी इस छूट का लाभ लेना चाहेंगे।



जबकि ऐसा ही नोटिफिकेशन पूर्व की चेयरमैन के कार्यकाल में भी भवन स्वामियों को जारी किया गया था। जब छूट की मांग की गई तो कहा गया बोर्ड की बैठक में पारित हो जायेगा तब छूट की धनराशि वापस की जायेगी या समायोजित की जायेगी। लेकिन किसी को एक रूपया वापस नही मिला और न ही समायोजित किया गया। मौजूदा नगरपालिका प्रशासन भी यही कर रहा है। बोर्ड की बैठक में छूट का प्रस्ताव आया और भवन स्वामियों को छूट का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया लेकिन डिमांड बिल में सम्बन्धित छूट दर्शाया नही गया।



छूट का लाभ पाने के चक्कर में भवनस्वामी हाउस टैक्स व वाटर टैक्स जमा कर रहे हैं लेकिन नगरपालिका का दृष्टिकोण साफ नही है। कहीं ऐसा तो नहीं कि पूर्व की भांति भवन स्वामी भ्रष्टाचार के शिकार हो रहे हैं। देखा जाये तो करोड़ों रूपया इस मद का नगरपालिका प्रशासन डकार चुका है। अब 2019 में जमा कराये गये गृहकर जल कर की छूट वापस करने या अगले बिल में समायोजित करने की मांग उठ रही है। हैरानी इस बात की है कि सभासद मुखर नही हो रहे हैं जबकि उनके ही वार्ड के लोग ठगे गये हैं। जबकि सभासदों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे जमा किये हुये बिल से छूट की 10 फीसद धनराशि वापस करायें या फिर अगले बिल में समायोजित करायें।



पूर्व की चेयरमैन श्रीमती रूपम श्रीवास्तव के परिवार की ओर से इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया है। उनकी ओर से इस बावत नगरपालिका को नोटिस भेजी गई है। जमा राशि को समायोजित करने की मांग उठ रही है। स्थानीय प्रशासन को इस पूरे मामले में दखल देकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिये जिससे नगरपालिका की आय भी प्रभावित न हो और भवन स्वामी ठगे भी न जायें। पूरे प्रकरण में चेयरमैन प्रतिनिधि अंकुर वर्मा से बात की गई तो उन्होने कहा करंट बिल में 10 प्रतिशत की छूट दी जा रही है, पुराने बकाये में कोई छूट देश् नही है। उन्होने कहा छूट के साथ ही डिमांड बिल भवनस्वामियों को भेजी गई है।

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