कहा कि महान ग्रंथ श्रीरामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने कुल 12 ग्रंथों की रचना की। सबसे अधिक ख्याति उनके द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस को मिली,ये उन्होंने सरल अवधि भाषा में लिखी। श्रीरामचरितमानस के बाद हनुमान चालीसा उनकी लोकप्रिय रचना है। डा. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने भगवान शिव और माता पार्वती के मार्गदर्शन से अपने जीवन में सगुण रामभक्ति की धारा को ऐसा प्रवाहित किया कि वह धारा आज भी प्रवाहित हो रही है। रामभक्ति के द्वारा न केवल अपना ही जीवन कृतार्थ किया अपितु जन-जन को श्रीराम के आदर्शों से बांधने का प्रयास किया।
गोष्ठी को डी.के. मिश्र, अर्चना श्रीवास्तव, डा. सत्यव्रत, डा. ज्ञानेन्द्र द्विवेदी ‘दीपक’ रमाकान्त द्विवेदी, डा. सतीश चन्द्र, श्याम प्रकाश शर्मा आदि ने कहा कि गोस्वामी गोस्वामी तुलसीदास जी का जीवन एक प्रेरणा का स्रोत है। वे हिंदी साहित्य के महान कवि और संत थे, जिनकी काव्य रचनाएँ विशेष रूप से भगवान राम के प्रति उनकी गहरी भक्ति को दर्शाती हैं। उनके श्रीराम चरित मानस की प्रतिष्ठा आस्थावनों के हृदय में है। कार्यक्रम संयोजक डॉ. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास का जीवन और उनके ग्रंथ हमारे लिए सदैव प्रेरणा के स्रोत रहेंगे, और हम उनकी उपासना के माध्यम से उनके दिखाए मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं।
अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ कवि डा. रामनरेश सिंह ‘मंजुल’ ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीराम चरित मानस और हनुमान चालीसा सहित अन्य ग्रन्थों के द्वारा भारतीय मनीषा पर बड़ा उपकार किया है। विचार गोष्ठी के बाद डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ के संचालन में आयोजित कवि सम्मेलन में डा. ज्ञानेन्द्र द्विवेदी ‘दीपक’ विनोद कुमार उपाध्याय, डा. राजेन्द्र सिंह ‘राही’, डा. अफजल हुसेन अफजल, हरिकेश प्रजापति, अर्चना श्रीवास्तव, शबीहा खातून, जगदम्बा प्रसाद भावुक, सागर गोरखपुरी, पं. चन्द्रबली मिश्र, अजमत अली सिद्दीकी, अशरफ अली, लल्लन प्रसाद मिश्र, दीपक सिंह प्रेमी, अजीत राज आदि ने रचनाओं के माध्यम से गोस्वामी तुलसीदास को नमन् किया। संस्थान की ओर से रमाकान्त द्विवेदी को उनके शैक्षणिक योगदान के लिये सम्मानित किया गया।
Post a Comment
0 Comments