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कर्ज के दलदल में फंसे सराफा कारोबारी दम्पति ने गंगा नदी में कूदकर सुसाइड कर लिया

कर्ज के दलदल में फंसे सराफा कारोबारी दम्पति ने गंगा नदी में कूदकर सुसाइड कर लिया A bullion businessman couple trapped in the quagmire of debt committed suicide by jumping into the Ganga river.



यूपी डेस्कः
सहारनपुर में कर्ज के बोझ चलते सराफा कारोबारी दम्पति ने हरिद्वार में गंगा में कूदकर सुसाइड कर लिया। बताया जा रहा है कर्ज की रकम 10-15 करोड़ पहुच चुकी थी। जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक सौरभ का सराफा कारोबार था। साथ ही वह गोल्ड कमेटी भी चलाता था। सहारनपुर के करीब 1 हजार लोगों का सोना और करोड़ों की रकम सौरभ के पास जमा थी। वह 5 कमेटी पूरी भी कर चुके थे। 


मतलब लोगों के सोने के जेवर और जमा पैसा वापस भी कर चुके थे। गोल्ड कमेटी को चलाने में सौरभ का सपोर्ट सहारनपुर का एक बड़ा सराफा कारोबारी कर रहा था। सौरभ ने गोल्ड कमेटी में शामिल करीब 100 लोगों को सोना देने के लिए बड़े सराफा कारोबारी से करीब 6 से 7 करोड़ का सोना बुक किया। यहां एक नई कहानी सामने आई कि सौरभ जिस सराफा के पास लोगों का पैसा डिपॉजिट कर रहा था उसका बेटा करीब 20 दिन पहले 7 करोड़ रुपए लेकर दुबई चला गया। सराफा कारोबारी ने सौरभ को गोल्ड और उसका डिपॉजिट पैसा वापस करने से फिलहाल मना कर दिया। 


इसके बाद सौरभ बेहद दबाव में आ गया। लोग उससे सोना और पैसा मांग रहे थे। मगर वह कुछ भी वापस देने की स्थिति में नहीं था। सौरभ ने ज्यादातर लोगों को 11 अगस्त का समय दिया था। उसने कहा था कि वह सबका सोना और पैसा वापस कर देगा। मगर सौरभ काफी कोशिश के बाद भी कहीं से पैसों का इंतजाम नहीं कर पाया। वायदे से 2 दिन पहले ही सौरभ पत्नी मोना को साथ लेकर बाइक से हरिद्वार पहुंचा। 


उससे पहले अपनी 12 साल की बेटी श्रद्धा और 8 साल के दिव्यांग बेटे संयम को नाना-नानी के घर छोड़ दिया। बच्चों को नाना-नानी के घर छोड़ने से पहले उसने और मोना ने बच्चों को बहुत प्यार किया। उनका माथा चूमा। फिर ये कहकर निकल गए वो एक-दो दिन में वापस आ जाएंगे। बेटी को कहा- भाई का ख्याल रखना। वहीं सास-ससुर से कहा बच्चों को किसी बात की कमी न हो। खूब अच्छे से पढ़ाना। लेकिन ससुराल के लोग ये बात समझ नहीं सके कि वो उनकी आखिरी विदाई थी। बेटा संयम एक पैर से दिव्यांग है। मुखाग्नि देने के लिए उसको शमशान लाया गया। उस बच्चे को देखकर हर किसी की आंखें नम थीं।


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