‘‘लिव इन’’ समझदारी या चरित्रहीनता ?
अशोक श्रीवास्तव की समीक्षाः
बदलते जमाने मे युवक युवतियां शादी से पहले ही एक साथ रहना चाहती हैं। इस रिश्ते को लिव इन रिलेशनशिप नाम दिया गया है। हालांकि इस रिश्ते को भारत में सामाजिक मान्यता नही मिली है, लेकिन कुछ मामलों में कोर्ट ने इसे जायज ठहराया है। सामान्य बातचीत के तरीकों में इसे पार्टनर के साथ रहते हुये सेक्सुअल रिलेशन बनाना कहते हैं वहीं कुछ लोग आसान या तुरन्त समझने वाली भाषा में अक्सर कहते हैं ‘‘पहले इस्तेमाल करो, फिर विश्वास करो’’।
वाशिंग पाउडर या किसी उत्पाद को बेंचने के लिये कहा गया ये वाक्य क्या महिलाओं या लड़कियों पर लाग होता है और यदि लागू होता है तो इस्तेमाल करने के बाद पसंद न आने पर पार्टनर को धोखा देने की पूरी आजादी है। ऐसे अनके सवाल जेहन में उठते हैं और बगैर किसी माकूल जवाब के शांत हो जाते हैं। किन्तु वैचारिक रूप से समृद्ध समाज में ऐसे किसी भी संवेदनशील मुद्दे पर हम बहंस को बीच में नही छोड़ सकते हैं। अनेकों मामले ऐसे सामने आते हैं जब शादी का वादा कर युवक युवतियां लिव इन मे रहने लगते हैं और बाद में वादे से मुकर जाते हैं। इसके बाद युवती पुलिस थानो मे शादी का झांसा देकर शारीरिक सम्बन्ध बनाने का आरोप लगाते हुये तहरीर लेकर पहुंचती है।
हालांकि कोर्ट ने इस मामले में साफ कहा है कि सहमति से बनाया गया शारीरिक सम्बन्ध दुष्कर्म की श्रेणी में नही आता। आप खुद सोचिये कोई शादी का वादा करे तो क्या शादी से पहले उसके साथ अंतरंग सम्बन्ध बनाना उचित है। इसे उचित ठहराने पर अपराधों की बाढ़ आ जायेगी और भारतीय सभ्यता तथा सामाजिक ताना बाना पूरी तरह ध्वस्त हो जायेगा। हम चाहते हैं कि लिव इन रिलेशनशिप समाज पर कलंक और अभिशाप बन जाये इससे पहले इस पर विस्तार से सकारात्मक बहंस होनी चाहिये जो किसी नतीजे पर पहुंचे और इसे उचित या अनुचित ठहराया जा सके। हम अपने इस आर्टिकल में आपको बतायेंगे लिव इन रिलेशनशिप क्या है इसके फायदे और नुकसान क्या हैं, इस दौरान पैदा हुई संतान का सम्पत्ति पर किना अधिकार है। लेकिन इसमे आपके विचार भी खुलकर सामने आने चाहिये।
क्या है लिव-इन रिलेशनशिप
यह एक ऐसा संबंध है जिसमें दो जवान लड़का लड़की जिनकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक होती है एक साथ बिना शादी के एक ही घर मे रहते हैं और एक-दूसरे के साथ भावनात्मक, शारीरिक और सामाजिक रुप से जुड़े होते है। इस प्रकार की कोई भी परंपरा या रिवाज हमारे देश में पहले नही रही है, लेकिन आजकल के लड़के लड़कियां एक दूसरे के साथ पूरा जीवन बिताने से पहले आपस में एक दूसरे को जानने समझने के लिए लिव-इन रिलेशनशिप में आते है। ऐसे कई मामलों में बाद में चलकर शादी हो जाती है और कई मामलों में शारीरिक व भावनात्मक सम्बन्ध बनाकर दोनो पार्टनर एक झटके में एक दूसरे से अलग हो जाते हैं। कई बार मामले कोर्ट कचहरी तक पहुंच जाते हैं।
भारतीय कानून और लिव इन रिलेशनशिप
भारत में लिव-इन रिलेशनशिप के लिए अलगे से कोई विशेष कानून नहीं है, लेकिन कानून की नजर में इसे एक वैध संबंध माना जाता है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि जब दो जवान लड़का लड़की बिना शादी के एक साथ रहते हैं, तो इसे एक कानूनी संबंध के रूप में देखा जा सकता है। कोई व्यक्ति अपने पार्टनर के द्वारा हिंसा का शिकार होता है तो वह घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत सुरक्षा ले सकता है। दोनों पार्टनर ने मिलकर कोई संपत्ति खरीदी है तो दोनों का उस पर बराबर का अधिकार हो सकता है। अगर लिव-इन रिलेशनशिप में बच्चा होता है तो दोनों पार्टनर उस बच्चे की देखभाल और पालन-पोषण के लिए जिम्मेदार होंगे और उनकी सम्पत्ति पर उसका हक होगा।
शादी किए बिना एक साथ रहना आजकल के युवा लड़का लड़की के लिए एक आम सी बात हो गई है। इसके फायदे भी हैं और नुकसान भी। आइये पहले फायदे पर एक नजर डालते हैं।
फायदे
इस रिश्ते में शादी से लड़का व लड़की दोनों एक साथ एक ही घर में एक साथ रहते है, वो भी बिना किसी कानूनी रिश्ते के। इस दौरान वो एक साथ रहकर एक दूसरे की आदतें, पसंद-नापसंद और जीवन जीने के तरीके को समझ सकते है। एक साथ रहने से दोनों पार्टनर एक-दूसरे पर निर्भर रहना सीखते हैं और आत्मनिर्भर बनते हैं। एक-दूसरे के साथ रहकर वे शारीरिक व मानसिक दोनों तरह से जुड़ कर अपने संबंधों को मजबूत बना सकते है। अगर कभी दोनों अलग होना चाहे तो उन्हें किसी कानूनी अनुमति की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। जैसे शादी के बाद तलाक लेना आदि।
नुकसान
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लड़का लड़की को समाज व लोगों की तरफ से बहुत सारी बाते सुनने को मिलती है। उन्हे समाज से मिल रहे तिरस्कार को सहन करना पड़ता है। यहां तक घर से बाहर निकलने पर किराये का मकान तक कोई नही देना चाहता। ज्यादातर मामलों में परिवार वाले ही इस रिश्ते को स्वीकार नहीं करते हैं, जिसके कारण कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार ऐसे मामलों में देखा जाता है कि लड़का लड़की दोनों एक दूसरे के साथ संबंध बनाकर या फायदा उठाकर एक दूसरे से अलग हो जाते हैं।
फिलहाल एक सभ्य समाज में शादी से पहले लड़के लड़की का एक साथ रहने को मान्यता नही मिल सकती है। जो लोग लिव इन रिलेशन में रहते हैं उन्हें समाज में नीची नज़रों से देखा जाता है। ऐसे लोगों को भारतीय संस्कृति में चरित्रहीन बताया गया है। हमारा मानना है कि बगैर एक कमरे में साथ रहे भी पार्टनर को, उसकी सोच को और उसके जीवन जीने के तरीकों को समझा जा सकता है। इसके लिये शारीरिक सम्बन्ध बनाना जरूरी नही है। दो चाहने वालों को एक दूसरे के निकट लाने और उन्हे समझने के लिये शारीरिक सम्बन्धों की नही वास्तविक चाहत और एक दूसरे के प्रति समर्पण की जयरत होती है। इसमे किसी भी किस्म की लालच रिश्तों को अनचाहे मुकमा तक पहुंचा देती है चाहे वह शारीरिक चाहत हो या फिर धन दौलत की। हमारा मानना है कि लिव इन रिलेशनशिप को लेकर समाज में एक बड़ी छिड़नी चाहिये जो युवाओं का मार्गदर्शन करे और उन्हे उचित अनुचित मे फर्क करने की शक्ति दे।
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