बिलकिस बानों प्रकरण में गुजरात सरकार की याचिका खारिज, सरकार पर की गई टिप्पणी हटाने से इनकार Gujarat government's petition rejected in Bilkis Bano case, refusal to remove comments made on government
फैसले की समीक्षा के लिए दाखिल अर्जी में कोई मेरिट नहीं है, जिससे आदेश पर फिर विचार किया जाए। अर्जी खारिज की जाती हैं।’ 8 जनवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ बलात्कार और उसके परिवार की हत्या के दोषी 11 लोगों की समय से पहले रिहाई को रद्द कर दिया था। फैसला सुनाते वक्त जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा- सजा अपराध रोकने के लिए दी जाती है। पीड़ित की तकलीफ की भी चिंता करनी होगी। गुजरात सरकार को रिहाई का फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं है।
उसने अपनी सत्ता और ताकत का दुरुपयोग किया है। बेंच ने सभी 11 दोषियों को 2 सप्ताह में सरेंडर करने को कहा था। बिलकिस बानो केस में गुजरात सरकार ने 11 दोषियों को 15 अगस्त 2022 को रिहा कर दिया था। बिलकिस के 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ 30 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की गई थीं। पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें तुरंत वापस जेल भेजने की मांग की गई थी। दूसरी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के मई में दिए आदेश पर विचार करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार करेगी। बिलकिस ने कहा कि जब केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था, फिर गुजरात सरकार फैसला कैसे ले सकती है?
सत्ता का दुरूपयोग कर इनकी हुई थी रिहाई
बिलकिस बानों के 11 गुनहगारों में जसवंत नई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेशम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मोर्धिया, बकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदना शामिल हैं जिन्हे राज्य सरकार ने सत्ता की ताकत का गलत प्रयोग कर रिहा कर दिया था। रिहाई के बाद इनका फूल मालाओं से स्वागत किया गया था।
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