मुख्यमंत्री माटी कला रोजगार योजना के तहत लाभ पाने के लिये आवेदन करें पात्र Eligible candidates should apply for benefits under Chief Minister Mati Kala Rojgar Yojana.
यह प्रशिक्षण कौशल सुधार योजना के अंतर्गत माटी कला योजना के सामंजस्य से प्रदान किया जाता है। माटी कला योजना प्रशिक्षण के लिये आयु सीमा 18 साल से 45 वर्ष निर्धारित है। उत्तर प्रदेश माटी कला योजना के लिए पात्रता में आवेदनकर्ता को उत्तर प्रदेश राज्य का स्थायी निवासी होना चाहिए। आवेदक बेरोजगार होना चाहिए। उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री माटी कला योजना के कई लाभ है। इससे प्रदेश के बेरोजगारों को रोजगार प्राप्त होगा। माटी व शिल्पकला उद्योगों का विकास होगा तथा व्यवसाय में वृद्धि होगी। लोग प्लास्टिक की जगह मिटटी के बर्तन का अधिक प्रयोग करने को प्रोत्साहित होंगे। मिट्टी के बर्तन के उपयोग में मिटटी में मौजूद 26 पोषक तत्व से स्वास्थ्य ठीक रहेगा। मिट्टी के बर्तन को बढ़ावा देने से विदेशी प्रोडक्ट के आयात पर भी रोक लगेगी। मिट्टी के बर्तन का अधिक प्रयोग होने से प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण पर रोक भी लगेगी।
माटी कला योजना उत्तर प्रदेश के जरिये मिट्टी से बने बर्तन की परंपरा को विलुप्त होने से बचाया जा सकता है। व्यवसाय बनाकर अधिक पैसा कमा सकते हैं। पेशेवर कार्य करने वाले युवा माटी कला योजना का लाभ उठा कर अपने बनाए हुए बर्तन को आसानी से ऑनलाइन भी बेच सकते हैं और अपने बर्तन का इस योजना का सबसे अधिक लाभ हमारे स्वास्थ व पर्यावरण पर होगा। क्योंकि आजकल लोग अधिक से अधिक डिस्पोजेबल उपयोग करते हैं। एक बार प्रयोग करके फेंक देते हैं। डिस्पोजेबल के उपयोग से हमारे शरीर के अंदर हानिकारक कैमिकल पहुंच जाते हैं जिससे हम गंभीर बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिये जाहिर सी बात है कि लोग यदि मड़ प्रोडक्ट का प्रयोग करेंगे तो उनका स्वास्थ्य भी ठीक होगा।
साथ ही डिस्पोजेबल सामान को यूज करने के बाद कूड़े में फेंकने से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। इसलिए मिट्टी के बर्तन को बढ़ावा देने से हम खतरनाक बीमारियों से बच सकते हैं। मिट्टी से बने बर्तन क्रय करने से मिट्टी का काम करने वाले लोगों के व्यवसाय में वृद्धि तथा उन्हें सामाजिक सुरक्षा भी मिलती है। इस योजना का एक और उददेश्य कुम्हारों को नवीन तकनीक के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करना तथा तकनीकी विकास को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत माटीकला कारीगरों के लिये स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिये प्रशिक्षण तथा तकनीकी कार्यशालायें, विकास गतिविधियां संचालित की जा रही है।
माटी कला योजना यूपी के तहत नये प्रशिक्षित कारीगरों को नये डिजाइन के विकास के लिये प्रशिक्षण तथा जरूरी उपकरण उपलब्ध कराये जा रहे हैं। पात्र लाभार्थियों को आवास उपलब्ध कराना भी इस योजना का उददेश्य है। उ0प्र0 माटी कला योजना के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज पासपोर्ट साइज का फोटो आधार कार्ड, स्थायी निवास प्रमाण पत्र जाति प्रमाण पत्र बैंक खाता संलग्न करना होता है। मुख्यमंत्री माटीकला रोजगार योजना-माटीकला से जुड़े ग्रामीण क्षेत्र के परम्परागत कारीगरों, बेरोजगार नवयुवक नवयुवतियों का मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना की तर्ज पर रू0 10 लाख तक का ऋण बैंकों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है।
पूँजीगत ऋण पर 25 प्रतिशत मार्जिन मनी अनुदान के रूप में भुगतान किये जाने का प्रावधान है। विगत वर्षों में प्रदेश में 934 इकाइयों की स्थापना करायी गयी जिसमें ऋण वितरण करते हुए 2802 व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध कराया गया। इस योजनान्तर्गत माटीकला के कार्य में लगे विभिन्न जनपदों के ग्रामीण क्षेत्र के आर्थिक रूप से कमजोर बेरोजगार एवं परम्परागत व अन्य कारीगरों को प्रोत्साहित किये जाने एवं उत्पाद की गुणवता में सुधार लाये जाने के उददेश्य से विद्युत चालित कुम्हारी चाक का निःशुल्क वितरण कराया जाता है। विगत वर्षों में इस कार्यक्रम के अन्तर्गत 15932 लाभार्थियों को प्रशिक्षण व माटीकला टूलकिट्स का वितरण कराया गया।
इससे हजारो व्यक्तियों को प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त हुआ। चालू वित्तीय वर्ष में 2700 लाभार्थियों को विद्युत चालित कुम्हारी चाकों एवं अन्य उपकरणों का वितरण कराते हुए 2325 व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। माटीकला कौशल विकास योजनान्तर्गत उ०प्र० खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड के स्थापित 11 मण्डलीय ग्रामोद्योग प्रशिक्षण केन्द्रों के माध्यम से शिक्षित बेरोजगारों, परम्परागत एवं सुचार गैर परम्परागत कारीगरों उद्यमियों को माटी से उत्पादित उत्पादों की गुणवत्ता तथा अधिक कुशलतापूर्वक कार्य सम्पादित किये जाने के उद्देश्य से प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है। विगत वर्षों में इस कार्यक्रम के अन्तर्गत 6067 लाभार्थियों को माटीकला में व्यवहारिक तथा शिल्पकारी का प्रशिक्षण दिया गया है। प्रदेश में इस पेशे से जुड़े कारीगर, बेरोजगार युवा योजना का लाभ लेते हुए आत्मनिर्भर हो रहे हैं।
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