आर्थिक संकट के बीच अंजली और रंजन पाण्डेय का हुआ चयन Anjali and Ranjan Pandey were selected amid economic crisis.
प्रवीन कुमार गुप्त ने वर्ष 2023 में विद्यालय के प्रधानाचार्य रहते इण्टर के विद्यार्थियों के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश हेतु आवश्यक सीयूईटी परीक्षा की तैयारी हेतु अतिरिक्त कक्षाओं का संचालन प्रारम्भ किया और स्वयं ही कक्षाएं लेने लगे। इसी बीच प्रशासनिक व्यस्तताओं के चलते जब कक्षाएं लेने में बाधा आने लगी तो उन्होंने प्रधानाचार्य के पद से त्यागपत्र देकर पुनः शिक्षण कार्य में जुट गए। जिसका परिणाम यह हुआ कि सीसूईटी और यूजी परीक्षा देने वाले 5 छात्राओं में से एक अंजली पुत्री राम शंकर का राजनीति विज्ञान में 100ः अंको के साथ का देश के सर्वश्रेष्ठ कालेज हिन्दू कालेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) में स्नातक में सीट आवंटित हुई।
एक और छात्रा रंजन पाण्डेय पुत्री अशोक कुमार पाण्डेय का राजनीति विज्ञान में 97ः अंको के साथ देश के दूसरे सर्वश्रेष्ठ कालेज-मिरांडा हाउस( दिल्ली विश्वविद्यालय) में स्नातक पाठ्यक्रम में सीट आवंटित हुई। इसके साथ ही 2 अन्य छात्राओं क्रमशः संगम और वंदना को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में स्नातक पाठ्यक्रम में सीट आवंटित हो गई। देश के दो सर्वश्रेष्ठ कालेज में ग्रामीण पृष्ठभूमि के इन प्रतिभावन किंतु आर्थिक रुप से अत्यन्त कमजोर दो छात्राओं क्रमशः अंजली और रंजन पाण्डेय के चयन के बाद इन बच्चियों के सामने सबसे बडी समस्या कालेज की फीस, हॉस्टल और दिल्ली में अन्य खर्चों के लिए धन की कमी थी।
प्रवीन गुप्त ने अपने शुभ चिंतकों, मित्रो जनपद के अन्य शिक्षकों और समाजसेवीयों से इन होनहार छात्राओं के आर्थिक मदद की अपील की। उनके इस पुनीत कार्य में डिब्रूगढ विश्वविद्यालय, असम के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. एस एस दास, विद्यालय के सहायक अध्यापक शंभूनाथ, नितिन भट्ट, शैलेंद्र कुमार, श्रीमती प्रतिमा, दिलेश्वरी इण्टर कालेज रूधौली के प्रधानाचार्य अरूण कुमार मिश्र, देशराज नारंग इण्टर कालेज के प्रवक्ता श्री राम रक्षा ने पूरा सहयोग दिया। गुरू को भारतीय मनीषा में इसीलिये सर्वोच्च स्थान है कि गुरू कृपा हो जाय तो कुछ भी असंभव नहीं रहता। उम्मीद है कि उनके मार्ग दर्शन में जनता इण्टर कालेज के अनेक छात्रों का भविष्य संवरेगा और उम्मीदों को उपलब्धियों का नया आकाश मिलेगा। स्थान, स्थिति, परिस्थिति के द्वंद में एक नया सूरज उगेगा, अंधकार छटेगा, ज्ञान के प्रकाश से जीवन संवरेगा। यदि स्थानीय और शासन स्तर पर सहयोग की पहल हो तो कई चेहरों पर मुस्कान आ सकती है।
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