प्रधानमंत्री का ‘‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’’ अभियान संकट में.. बचेंगी तब पढ़ेंगी बेटियां... Prime Minister's "Beti Bachao, Beti Padhao" campaign is in trouble. Only then will daughters study...
अभिभावकों के समक्ष यह सवाल उत्पन्न हो गया है कि वे अपनी बेटियों की अस्मत बचाएं या फिर पढ़ाई के लिये स्कूलो में भेजें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का “बेटी बचाएं, बेटी पढ़ाए“ अभियान पर संकट मड़रा रहा है। यह अतिशयोक्ति नहीं है बल्कि सच्चाई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीते 72 घंटे पहले सिंघम कहे जाने वाले पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा के कप्तानी में महुआडीह थाने के अंतर्गत एक स्कूल में पढ़ने वाली नाबालिग छात्रा, जो उस समय खाकी वर्दी में थी (क्योंकि वह नेशनल कैडेट कोर एनसीसी की ट्रेनिंग ले रही थी) के साथ लोमहर्षक घटना होते-होते बच गई।
क्योंकि उसके ऊपर मोटरसाइकिल सवार मनबढ़ मनचलों ने तेजाब फेंक कर उसकी जिंदगी को बर्बाद करने की पूरी पूरी कोशिश की। परन्तु ऊपर वाले का शुक्र रहा की नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) की वह छात्रा तेजाब फेंकते वक्त जमीन पर बैठ गई और बाल बाल बच गई। इस मामले में पुलिस की भूमिका अत्यंत ही घटिया स्तर का रही। क्योंकि पुलिस ने यह दावा किया की छात्रा के ऊपर फेंका गया पदार्थ तेजाब नहीं था। कोई अन्य तरल पदार्थ था। इसी तर्क के साथ पुलिस ने अपने दायित्व का निर्वहन कर दिया।
शायद इसी का नतीजा था कि इस घटना के बीते हुए अभी 24 घंटे भी नहीं हुए थे कि पुलिस अधीक्षक श्री शर्मा के अधीन तरकुलवा थाना क्षेत्र के अंतर्गत भी इसी तरह की एक और घटना को मोटरसाइकिल सवार चार पांच मनचलों ने खुलेआम अंजाम दिया। घटनाक्रम के मुताबिक यहां पर भी एक स्कूल से लौट रही दो छात्राओं को आतताईयो ने दिनदहाड़े पीछा कर उनको पकड़ने की कोशिश की और पापा बचाओ .....पापा बचाओ ..... की गुहार लगाते हुए बदहवास होकर वे भागने लगी। बताया जाता है कि इस दौरान एक छात्रा अपनी साईकिल छोड़कर भाग खड़ी हुई जबकि दूसरी मासूम बेटी घबराहट में खेत में जाकर साइकिल सहित गिर पड़ी और चोटिल हो गई।
शोर सुनकर जब तक लोग पहुंचते हैवानियत पर उतारू अपराधी मोटरसाइकिल से भाग खड़े हुए। पूरी घटना एक सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई और पुलिस के सामने कुतर्क गढ़ने का कोई रास्ता नहीं बचा। वरना इस मामले में भी पुलिस लीपा पोती कर देती। दुसरी तरफ पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा ने घटना के बाद वीडियो जारी कर कहा था कि अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस की पांच टीमों का गठन किया गया है। लेकिन यहां यह बता दे कि इस मामले में 24 घंटे बाद भी पुलिस की टीमों ने किसी भी आरोपी को पकड़ने में सफलता हासिल नहीं की है।
आश्चर्य है की पूरी देवरिया जिले की कमान इस समय एक महिला डीएम दिव्या मित्तल के ही हाथ में है लेकिन इस महिला डीएम ने समाचार लिखे जाने तक पीड़ित छात्राओं से मिलकर उनका दुख दर्द जानने की कोशिश तक नहीं की। जबकि दिखाने के लिए यह महिला डीएम एक छात्रा को एक दिन के लिए अपनी कुर्सी पर बैठा कर झूठी शोहरत प्राप्त करने का प्रयास कर चुकी हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि अपराधियों में कानून का जरा भी भय नहीं है और वे खुलेआम अपराध पर अपराध करते जा रहे हैं। जबकि हमारे कप्तान साहब बड़े समाचार पत्र के एक बहुत बड़े ब्यूरो चीफ की स्कूटर पर बैठकर अपना फोटो खिंचवाकर खुद की वाह वाही लूटने में व्यस्त रहते हैं। लगता है कि देवरिया की देवतुल्य जनता अब देवी देवताओं के भरोसे ही रहने वाली है। लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं जो मीडिया दस्तक न्यूज में दिल्ली से राज्य संवाददाता की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
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