हिंसा में 4 की मौत, कौन देगा संभल से उठ रहे सवालों का जवाब 4 killed in violence, who will answer the questions arising from Sambhal
यूपी डेस्कः संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को हुई हिंसा में संभल हिंसा में नईम अहमद, बिलाल अंसारी, नोमान और कैफ की मौत हुई है। सीओ अनुज चौधरी और एसपी के च्त्व् के पैर में गोली लगी। एसपी समेत 22 अन्य पुलिसककिर्मयों के घायल होने की खबर है। हिंसा के आरोप में पुलिस ने 21 लोगों को गिरफ्तार किया है।
400 से ज्यादा लोग पुलिस के रडार पर हैं। सभी मृतकों को देर रात ही सुपुर्दे खाक कर दिया गया। 24 घंटे के लिए संभल तहसील में इंटरनेट बंद किया गया है। सभी स्कूल आज बंद रहेंगे। डीएम राजेंद्र पैंसिया ने एक दिसंबर तक संभल जिले में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है। शहर में अघोषित कर्फ्यू है। एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने कहा, आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई होगी। एनएसए लगाया जाएगा। मृतकों के परिजनों का दावा है कि पुलिस की गोली से मौत हुई है। हालांकि कमिश्नर ने कहा, ’पुलिस फायरिंग में कोई मौत नहीं है। हमलावरों की फायरिंग में युवकों की जान गई है।
लापरवाही
स्थानीय प्रशासन ने इतनी बड़ी कार्यवाही से पहले पीस कमेटी की बैठक नही की। दोनो पक्षों को बैठाकर वस्तुस्थिति व कोर्ट के आदेश से वाकिफ कराना चाहिये था। साथ ही सर्वे को अंजाम देते वक्त भीड़ को रोकने की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिये थी। सर्वे के वक्त दोनो पक्षों के पाच पांच लोगों को मौके पर रहने की इजाजत देनी चाहिये थी। सर्वे टीम के साथ जाने वालों ने धार्मिक नारेबाजी क्यों की ? पुलिस ने पत्थरबाजों को गिरफ्तार करने के लिये कमर से नीचे गोली मारने की बजाय सीधे छाती में गोली क्यों मारी ? पूरे एरिया को बैरिकेड क्यों नही किया ? मीडिया दस्तक इन आरापों की पुष्टि नही करता, लेकिन ऐसे आरोप लग रहे हैं तो संभल हिंसा का कम जिम्मेदार जिला प्रशासन नही है।
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