समीक्षाः सपा से दूरी बना रहे सामान्य वर्ग के वोटर
Review: General category voters are keeping distance from SP
समीक्षाः समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने पी.डी.ए. का नारा दिया और उस पर लगातार आगे बढ़ रहे हैं। उन्हे भरोसा है कि पी.डी.ए. को एकजुट कर एक बहुत बड़े वोट बैंक पर अपना प्रभाव जमा लेंगे और सत्ता हासिल कर लेंगे। पी.डी.ए. का मतलब पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक है। इसमे शामिल सभी जातियों में इस बात की प्रसन्नता है कि अखिलेश यादव को उनकी चिंता है और उन्हे आगे रखने के जिले सतत प्रयास करेंगे।
लेकिन समाजवादी पार्टी के मुखिया को शायद इस बात का अंदाजा नही है कि उनके पीडीए सिद्धान्त से एक बहुत बड़ा वोट बैंक उनसे दूर हो चुका है। वह है सामान्य जाति। अनेक चर्चाओं में देखा गया है कि सामान्य जाति के लोगों की जुबान पर सहज ही ये बात आ जाती है कि पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों को अखिलेश यादव साथ लेकर चलना चाहते हैं और उनके लिये चिंतन करते हैं। ऐसे में सामान्य जाति के लोगों की जगह कहां है ? क्या अखिलेश यादव को सामान्य वर्ग की जातियों का वोट नही चाहिये या वे उनके खांचे में सेट नही हो पा रहे हैं। इसका जवाब जानने के लिये मीडिया दस्तक न्यूज की ओर से जनता संग्रह कराया गया। दर्शकों का विचार जानने के लिये तीन विकल्प दिये गये।
किसी एक विकल्प पर अपना मत देना था। ये विकल्प हैं 01. अखिलेश को सभी को साथ लेकर चलना चाहिये 02. अखिलेश को पी.डी.ए. सिद्धान्त पर आगे बढ़ना चाहिये 03. अखिलेश को किसी की नही सुननी चाहिये। दो दिन चली वोटिंग में सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया। पहले विकल्प से 85 प्रतिशत लोग सहमत हैं, दूसरे विकल्प से 12 प्रतिशत और आखिरी विकल्प से महज 3 प्रतिशत लोग ही सहमत हैं। अखिलेश यादव को चाहिये कि अपने पीडीए सिद्धान्त पर एक बार व्यापक स्तर पर जनता की राय जरूर लें। कहीं ऐसा न हो देर हो जायें, और एक बहुत बड़ा वोट बैंक उनसे काफी दूर चला जाये।
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