सीमित उद्देश्यों पर कार्य कर रहे व्यापारी संगठन, निजी स्वार्थ सर्वोपरि
बस्ती, 16 अप्रैल। जनपद के व्यापारी संगठन इस वक्त चर्चा मे हैं। बारी बारी से सम्मेलन आदि करके अपनी ताकत और एकजुटता दिखा रहे हैं। संगठन के पदाधिकारी व्यापारियों के लिये खून का एक एक कतरा देने को कहते हैं लेकिन उनका उद्देश्य व्यापारियों का भला करना नही है बल्कि वे अपना नाम बड़ा करने और संगठन की आड़ में खुद तरह तरह का फायदा उठाने के चक्कर में सक्रिय रहते हैं।
ज्यादातर संगठन सत्ता से जुड़े हैं, उनके पदाधिकारी मलाई काट रहे हैं। जो सत्ता से नही जुडे हैं वे अपने व्यापारी भाइयों से संगठन के नाम पर मदद लेकर निजी स्वार्थ हल कर रहे हैं। कहने को जनपद में आधा दर्जन संगठन हैं। बस्ती उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल को सबसे सक्रिय माना जाता है। हरैया कस्बे के गल्ला मंडी में घटी घटना में एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई। इसमे दो मासूम बच्चे और मां शामिल हैं। इस हृदय विदारक घटना ने जनपदवासियों का दिल दहला दिया। अनेक नेता, समाजसेवी पीड़ित परिवार को ढाढ़स बंधाने पहुंचे। लेकिन व्यापारी संगठनों को सांप सूंघ गया।
पीड़ित परिवार पर मानों बज्रपात हुआ हो। उसे आर्थिक मदद देने की बात तो बहुत दूर है व्यापारी नेता शोक संवेदना व्यक्त करने भी नही पहुंचे। बातें इतनी बड़ी बड़ी होती हैं कि जैसे संगठन के पदाधिकारी ही व्यापारियों के विघ्नहर्ता हों। कोई अधिकारी इनके प्रतिष्ठा पर पहुंचकर जांच पड़ताल कर ले तो व्यापारी एक ही आवाज में बोलने लगते हैं और अधिकारियों को भ्रष्ट बताते हुये उनके खिलाफ मोर्चा खोल देते हैं। व्यापारियों के उत्पीड़न के मामले संगठनों तक बहुत कम पहुंचते हैं क्योंकि व्यापारी अधिकारियों को खुश करके अपना काम निकालना बेहतर समझता है।
हाल ही में बस्ती उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल ने ‘व्यापारी महाकुंभ’ का आयोजन किया। इसमें राज्यसभा सांसद राधा मोहनदास अग्रवाल और शोहरतगढ़ विधायक पहुंचे ही नहीं। मंच पर परस्पर अतिथियों का परस्पर विरोधी बयान छाया रहा। एक ने सत्ता की तारीफ में कसीदे पढ़़े, दूसरे ने सत्ता की आलोचना की। सुनील सिंघी नें कहा केन्द्र, राज्य की सरकारें व्यापारिक हितोें के लिये प्रतिबद्ध है। जबकि महेन्द्र जैन ने कहा कठिन दौर से गुजर रहे हैं व्यापारी, उत्पीड़न पर चुप है सरकारें। परस्पतर विरोधी बयानों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन व्यापारियों का उद्देश्य कितना पवित्र होगा।
सूत्रों की माने तो अनेक व्यापारी संगठन की ताकत से अपने अवैध व्यापार भी संचालित कर रहे हैं। अधिकारियों को अर्दब में रखते हैं ताकि इनका कारोबार चलता रहे और अधिकारी इनके विरूद्ध प्रवर्तन की कार्यवाही न करे। शहर में धड़ल्ले से प्रतिबन्धित पालीथीन का इस्तेमाल हो रहा है। सड़क की पटरियों का भी सौदा हो चुका है, लेकिन सम्बन्धित महकमे के अधिकारी व्यापारी संगठनों के भय से प्रवर्तन की कार्यवाही करने से परहेज करते हैं। बेहतर होगा कि अपनी राजनीति चमकाने और निजी स्वार्थ की मानसिकता से बाहर निकलकर व्यापारियों के हित की लड़ाई लड़ी जाये और उनके साथ सुख दुख में खड़े हों।
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