चित्रकूट से आया फैसला 41 दिनों में रेपिस्ट को 25 साल की सजा, दूसरी अदालतों के लिये सबक
यूपी डेस्कः अंग्रेजी की एक कहावत है "Justice delayed is justice denied" मसलन न्याय मिलने में देरी का मतलब न्याय की अनदेखी है। आपराधिक या जमीन से मामलों में अदालतों में लम्बी अवधि तक मुकदमे चलते हैं। कई बार फैसले तब आते हैं जब वादी दुनिया में नही रह जाता या फिर उसकी हैसियत मुकदमे की पैरवी में मिट जाती है। ऐसे न्याय का मतलब नही रह जाता।
भारत में तमाम क्षेत्रों में सुधार ुहये हैं और जारी भी हैं लेकिन न्यायिक प्रक्रिया में सुधार किसी का एजेंडा नही है और यह जनता की दुखती नब्ज है। अपराध और राजस्व विवादों में बेतहाशा वृद्धि भी इसी कारण से है। इसी बीच यूपी के चित्रकूट से ऐसा मामला सामने आया जिस पर दूसरी अदालतों को को भी अमल करने की जरूरत है। जिले की एक अदालत ने नाबालिग छात्रा से दुराचार के आरोपी को मात्र 41 दिनों की सुनवाई में दोषी करार देते हुए 25 वर्ष कारावास और 12000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
विशेष लोक अभियोजक तेज प्रताप सिंह ने बताया कि एक व्यक्ति ने मानिकपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि छह अप्रैल को उसकी 12 वर्षीय बेटी अपने भाईयों के साथ घर से लगभग एक किमी. दूर अपने खेत में महुआ बीनने गई थी। इस दौरान वहां एलहा बढैया गांव का निवासी शारदा आया और बेटी का मुंह दबाकर उसे जंगल में उठा ले गया। वहां उसने बेटी के साथ गलत काम किया। जब बेटी ने स्वयं को छुड़ाने की कोशिश की, तो उसके साथ आरोपी ने मारपीट भी की। जिससे उसके शरीर में चोटें भी आईं। रोती-बिलखती खून से लथपथ छात्रा किसी तरह घर पहुंची तो उसने परिजनों को आपबीती बताई। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर दूसरे दिन ही आरोपी युवक को गिरफ्तार कर लिया।
मामले की तेजी से जांच की गई। सबूत जुटाए गए। इसके बाद 11 अप्रैल को कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया। 15 अप्रैल को कोर्ट ने इसका संज्ञान लिया। इसके बाद सुनवाई चलती रही। अपर सत्र न्यायाधीश विशेष (पॉक्सो एक्ट) रेनू मिश्रा की ओर से शुक्रवार को आरोपी शारदा को दोषी करार देते हुए उसे 25 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 12 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। एसपी ने बताया कि पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने में तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक दुर्गविजय सिंह, विवेचक विनय विक्रम सिंह, वर्तमान प्रभारी निरीक्षक श्रीप्रकाश यादव एवं पैरोकार मुख्य आरक्षी अजय कुमार ने अहम भूमिका निभाई। लोक अभियोजक तेज प्रताप सिंह (एडीजीसी) ने मजबूती के साथ पीड़ित परिवार का पक्ष रखा।
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