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जानकारी के बाद भी नही छोड़ रहे तंबाकू

जानकारी के बाद भी नही छोड़ रहे तंबाकू
राजस्थान डेस्क, 30 मई। राजस्थान के युवा वर्ग में तंबाकू व धूम्रपान उत्पादों का बढ़ता हुआ क्रेज उनके जीवन के नर्क बनाने का काम कर रहा है। जिसके चलते प्रदेश में अकारण ही करीब 78 हजार से अधिक लोग मौत का शिकार हो रहे है। इन अकारण होने वाली मौतों में युवा भी शामिल है। जबकि 73 प्रतिशत से अधिक युवा मानते है कि तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों का उपयोग हानिकारक है। 


वहीं देशभर में प्रतिवर्ष 13.5 लाख से अधिक लोग तंबाकू से होने वाली बीमारियों से दम तोड़ रहें है। आज विश्व कैंसर दिवस पर देश, प्रदेश सहित दुनिया भर में वर्ष 2025 की थीम ’’अनमास्किंग द अपील : तम्बाकू और निकोटीन उत्पादों पर उद्योग की रणनीति को उजागर करना” पर चर्चा की जा रही है।


डब्ल्यूएचओ की थीम -अनमास्किंग द अपील

सवाई मानसिंह चिकित्सालय जयपुर के नाक कान गला रोग विभाग के वरिष्ठ आचार्य डा.पवन सिंघल ने बताया कि डब्ल्यूएचओ ने 2025 के विश्व तंबाकू निषेध दिवस (डब्ल्यूएनटीडी) अभियान के लिए थीम की घोषणा की है। जिसमें “अनमास्किंग द अपील (अपील का पर्दाफाश)ः तम्बाकू और निकोटीन उत्पादों पर उद्योग की रणनीति को उजागर करना” (आकर्षण को बेनकाब करनाः तंबाकू और निकोटीन उत्पादों पर उद्योग की भ्रामक रणनीतियों का खुलासा) के अनुरूप स्कूल, कॉलेज के छात्रों में तम्बाकू के हानिकारक प्रभावों और तम्बाकू और निकोटीन उद्योग द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली भ्रामक मार्केंटिंग रणनीतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। 


इस वर्ष अभियान उन रणनीतियों को उजागर करने पर ध्यान केंद्रित करेगा जो तंबाकू और निकोटीन उद्योग अपने हानिकारक उत्पादों को आकर्षक बनाने के लिए उपयोग करते हैं। आज सार्वजनिक स्वास्थ्य की मुख्य चुनौतियों में से एक है तम्बाकू, निकोटीन और इससे जुड़े उत्पादों का आकर्षण, खास तौर पर युवा दर्शकों के लिए। उद्योग लगातार इन उत्पादों को आकर्षक बनाने के तरीके खोजने की कोशिश करता है, जिसमें स्वाद और अन्य ऐसे तत्व शामिल होते हैं जो उनकी गंध, स्वाद या रूप-रंग को बदल देते हैं। इन एडिटिव्स को तम्बाकू की कठोरता को छिपाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे इसकी स्वादिष्टता बढ़ जाती है, खास तौर पर युवा लोगों के बीच।


जानकारी के बाद भी नही छोड़ रहे तंबाकू

सवाई मान सिंह चिकित्सालय जयपुर के नाक कान गला रोग विभाग के वरिष्ठ आचार्य डा.पवन सिंघल ने बताया कि ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे (जीवाईटीएस 2019) के अनुसार तंबाकू उधोग अपने उत्पादों के प्रचार के नायाब तरीकों से युवा किशोरकृकिशोरियों को अपनी और आकर्षित करते है। जिसका सीधा असर युवा वर्ग पर देखने को मिल रहा है। अस्पताल में प्रतिदिन ओपीडी में मुंह व गले की जांच कराने जो रोगी आ रहे है उनमें अधिकतर युवा भी शामिल होते है। जीवाईटीएस सर्वे में सामने आया कि प्रदेश में करीब 74.3 प्रतिशत किशोर एवं किशोरियों ने तंबाकू एवं अन्य संबंधित उत्पादों के प्रचार प्रसार को देखा है। 


वहीं 15.6 प्रतिशत किशोर एवं किशोरियों को ई सिगरेट के बारे में किसी तरह की जानकारी है। इसमें 17.2 प्रतिशत किशोर एवं 13.7 प्रतिशत किशोरियां शामिल है। प्रदेश में 13 से 15 साल के बच्चे जो तंबाकू उत्पादों का सेवन करते है। उसमें 16.3 प्रतिशत किशोर तंबाकू उत्पादों का सेवन किसी न किसी रूप में कर चुके हैं। इस दौरान पाया गया कि ग्रामीण क्षेत्र में 12.1 प्रतिशत यूजर है, वहीं शहरी क्षेत्र में इसका प्रतिशत 5.6 है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (गेट्स) के अनुसार प्रदेश में तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों से होने वाले रोगों से प्रतिवर्ष 78 हजार से अधिक लोगों की अकारण ही मौत हो जाती है और देशभर में 13.5 लाख व विश्व भर में 80 लाख लोगों की जान इससे जाती है। वहीं प्रदेशभर में 350 से अधिक बच्चे और देशभर में 5500 से अधिक बच्चे प्रतिदिन तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों का सेवन शुरू करते है।

 

पुरुष तंबाकू यूजर ज्यादा

डॉ.सिंघल बतातें है कि प्रदेश में चबाने वाले तंबाकू का सेवन महिलाओं की अपेक्षा पुरुष ज्यादा करते है। इसकी जानकारी भी गेट्स सर्वे में आई है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे, 2017 के अनुसार राजस्थान में वर्तमान में 24.7 प्रतिशत लोग (5 में से 2 पुरुष, 10 में से 1 महिला यूजर) किसी न किसी रूप में तंबाकू उत्पादों का उपभोग करते है। जिसमें 13.2 प्रतिशत लोग धूम्रपान के रूप में तंबाकू का सेवन करते है,जिसमें 22.0 प्रतिशत पुरुष,3.7 प्रतिशत महिलाएं शामिल है। यहाँ पर 14.1 प्रतिशत लोग चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का प्रयोग करते है, जिसमें 22.0 प्रतिशत पुरुष व 5.8 प्रतिशत महिलाएं शामिल है।


तंबाकू कैंसर का प्रमुख कारक

डॉ.सिंघल ने बताया कि भारत में चबाने वाले तंबाकू से धूम्रपान की तुलना की जाती है।  जबकि मुंह और गले में जो कैंसर होता है उसका शत प्रतिशत कारण तंबाकू का उपयोग है। यह लत के लिए सस्ता और आसानी से उपलब्ध है और पिछले दो दशकों में इसकी बढ़ती खपत से मुंह के कैंसर में खतरनाक ढंग से वृद्धि हुई है। इसलिए सभी तरह के शैक्षिक संस्थानों को तंबाकू मुक्त करना जरूरी है, ताकि बच्चे तंबाकू के उपयोग को शुरू नहीं कर सकें।


13.5 लाख लोग गंवा रहे जान

सुखम फाउंडेशन के ट्रस्टी श्याम मारु बतातें है कि तंबाकू के उपयोग के कारण हर साल भारत में 13.5 लाख लोग प्रतिवर्ष मर रहे हैं,जो कैंसर का एक प्रमुख कारण है। उन्होने कहा,हमें कैंसर को कम करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए, खासतौर पर जो रोकथाम योग्य हैं। स्वस्थ समाज के लिए सभी निवारक उपायों के लिए हमारा ध्यान युवाओं पर होना चाहिए। इसके लिए समाज के सभी वर्गों को साथ आना होगा तभी इस पर रोक संभव हो सकेगी।


26.7 करोड़ तंबाकू यूजर

ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे, 2017, 18 के मुताबिक, भारत में 26.7 करोड़ (28.6 प्रतिशत) वयस्क (15 वर्ष से अधिक) तंबाकू उपयोगकर्ता हैं। भारत में 21.4 प्रतिशत चबाने वाले तंबाकू का उपयोग होता है,जबकि 10.7 प्रतिशत धूम्रपान सिगरेट और बिड़ी का। देश में प्रतिदिन 5500 बच्चे तंबाकू का उपयोग शुरू करते हैं और इनमें से ज्यादातर आजीवन इसके आदी हो जाते हैं। यह अत्यंत चिंताजनक बात है। भारत सरकार ने गुटका, स्वाद, पैकिंग चबाने वाले तंबाकू पर प्रतिबंध लगाकर ऐतिहासिक निर्णय लिया है। वास्तव में,23 सितंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार भारत में जुड़वां पैक सहित धुएं रहित तम्बाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।


ई सिगरेट पर पूर्ण प्रतिबंध हो

राजस्थान सहित देशभर में ई सिगरेट का प्रचलन भी तेज गति से समय के साथ बढ़ता जा रहा है। इसका आसानी से मिलना भी इसका मुख्य कारण है। खासतौर पर स्कूल,कालेज,कोचिंग संस्थान के युवा में ई सिगरेट का बड़ा प्रचलन देखा जा सकता है। वहीं निजी कंपनियों में कार्यरत कार्मिक भी इसके यूजर है। राजस्थान के ईएनटी चिकित्सकों, सुखम फाउंडेशन, एसोसियेशन ऑफ आटोलंरेंगोलेजिस्ट ऑफ इंडिया (एओआई) की और से प्रदेश भर में तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों की रोकथाम व पीड़ितों के निरंतर काउंसलिंग जैसे कार्य किए जा रहे है।


इंसान से लेकर पर्यावरण तक को कैंसर

तंबाकू के सेवन से मुंह का कैंसर, फैफड़े, हृदय, गले का कैंसर तो होता ही है,इसके साथ यह हमारे पर्यावरण को भी कैंसर बनाता जा रहा है। हवा से लेकर पानी तक पर भी इसका प्रभाव सामने आ रहा है। सिगरेट के बट माइक्रोप्लास्टिक से जुड़े प्रदूषण की बड़ी समस्या बनता जा रहा है।


विटामिन वाले उत्पादों का करें सेवन

जो लोग तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों का सेवन करते है वे विटामिन सी से भरपूर फल खाना शुरू करें। संतरा, नींबू, आंवला और अमरूद और सेब आदि खाने से तंबाकू की आदत से छुटकारा मिल सकता है। विटामिन सी भी निकोटीन से शरीर को डिटॉक्स कर उसकी तलब कम करता है।


सामान्य जीवन के लिए यह करें

धूम्रपान की लत से बचने के लिए व्यस्त रहना बेहद जरूरी है। इसलिए आप अपने दिन की शुरुआत सुबह के नाश्ते, कसरत, ध्यान और काम से शुरू करें। जिससे धूम्रपान करने की इच्छा से बचा जा सके। इससे आप सामान्य जीवन जी सकेंगे। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें डा.पवन सिंघल 94140 43435


जी रहे सामान्य जिंदगी

प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत 58 वर्षीय अश्विनी शर्मा जो दोस्तों के साथ कभी कभार तंबाकू व चबाने वाले उत्पादों का उपभोग करते थे। उनको वर्ष 2017 में मुंह में छाला होने का पता चला, जिसके बाद चिकित्सकों को दिखाया और इसकी बायोप्सी कराई। जिसकी रिपोर्ट आने पर पता चला कि कैंसर है,तो माता पिता, बेटा, पत्नी सहित पूरा परिवार ही सदमे में आ गया। जिसके बाद जयपुर व दिल्ली के चिकित्सकों को दिखाया। लेकिन सभी चिकित्सकों ने 10 से 12 लाख रुपये का पैकेज बताया। काफी दिन बीत जाने के बाद अंत में सवाई मानसिंह अस्पताल के डा.पवन सिंघल को दिखाया।


चिकित्सक ने दिखाई जीने की राह

अश्विनी शर्मा बतातें है कि जब दिल्ली व जयपुर के चिकित्सकों को जांच कराई तो किसी ने भी सरकारी अस्पताल में इलाज की सलाह नहीं दी। लेकिन सवाई मानसिंह अस्पताल के चिकित्सक डा.पवन सिंघल ने जांच की और पूरा इलाज कराने की सलाह दी। उन्होंने ऑपरेशन के बाद की स्थिति जैसे चेहरे की विकृति, भोजन ग्रहण करने की स्थिति सहित सारी बातों को समझाया और हौसला दिलाया। जिसके बाद ऑपरेशन भी सफल हुआ और आज 8 साल बाद भी उनकी चिकित्सीय सलाह के अनुसार आरामदायक सामान्य जिंदगी का सफर चला रहा हूं। किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है। शर्मा बतातें है कि मेरे लिए,डॉ.पवन सिंघल भगवान का रूप है। इसलिए आमजन से अपील करता हूं कि तंबाकू या अन्य किसी तरह का निकोटीन उत्पादों का सेवन ना करें। इनसे जिंदगी नरक बनने के सिवाय कुछ नही है। 


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