बस्ती, 09 जून। बदले जमाने में जहां अपने ही अपनों की कद्र नही कर रहे हैं वहीं गैर सामने आकर मददगार साबित हो रहे हैं। कहा गया है जिसका कोई नही उसका तो खुदा है यारों, ये केवल कहा नही है बल्कि सच है। आपने कोरोना जैसी त्रासदी को देखा है। यह वह दौरा था जब लोग हॉस्पिटल से अपनों की लायें नही लाते हैं और उन लाशों का या तो लावारिस में अंतिम संस्कार होता था या फिर कोई समाजसेवी मदद को आगे आता थां। हम बात कर रहे है सामाजिक कार्यकर्ता पत्रकार राजकुमार पाण्डेय की जो “साथी हाथ बढ़ाना“ ट्रस्ट के फाउंडर हैं।
ये निरन्तर समाज में अपने किए गए अच्छे कार्यो को लेकर चर्चा मे बने रहते हैं। ताजा घटना गांव चनईपुर की है। एक 70 वर्षीय विधवा बुजुर्ग महिला को 07 दिन पहले बस्ती रेलवे स्टेशन पर उनके बेटों ने लावारिस हालत में छोड़ दिया। महिला चलने-फिरने में असमर्थ थी। किसी सज्जन ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गयी। कोई अपना उस महिला के अंतिम संस्कार करने को तैयार नहीं था। राजकुमार पाण्डेय ने बस्ती मूड़घाट पर स्वर्गवासी बुजुर्ग महिला का 08 जून को सनातन संस्कृति के रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार कराया। राजकुमार पाण्डेय का यह कार्य समाज के लिये प्रेरणादायी है।