बस्ती में बंदरों की समस्या गंभीर, ध्यान दें जिलाधिकारी
Monkey problem is serious, District Magistrate should pay attention
बस्ती, 13 नवम्बर। शहरी इलाके के लोग बंदरों के आतंक से काफी परेशान हैं। लोगों का सड़क पर पैदल चलना और मॉर्निंग वाक पर निकलना मुश्किल हो गया है। बाजार से झोले में कुछ रखकर लोग सुरक्षित अपने घर नही पहुंच पा रहे हैं। बंदर झपट्टा मारकर सामान भी छीन लेते हैं और लोगों को घायल भी कर देते हैं। समस्या दिनोदिन गंभीर होती जा रही है।
झुंड के झुड सैकड़ों की संख्या में बंदर सड़कों पर मोहल्लों की गलियों में देखे जा सकते हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि नगरपालिका और जिला प्रशासन को सिर्फ टैक्स से मतलब है, सुविधाओं के नाम पर संवेदनहीनता चरम पर है। कुछ महीने पहले बंदरों को पकड़ कर अन्यत्र छोड़ने के अभियान चलाया गया, लेकिन यह केवल औपचारिकता बनकर रह गया। इसमे न पारदार्शिता थी और न ही समस्या से निजात दिलाने की इच्छाशक्ति। बस बजट खारिज करना था और कर लिया गया।
अभियान के दौरान नगरपालिका के जिम्मेदारों से बार बार पूछा गया कि इसके लिये क्या बजट आया है, कितना खर्च हुआ अैर कितने बंदरों को पकड़कर कहां छोड़ा गया। अधिकारी गोल मटोल जवाब देते रहे। कुल मिलाकर अभियान कागजी बनकर रह गया। अब फिर बंदरों का आतंक देखा जा रहा है। एक दो नहीं सैकड़ों बंदरों को एक साथ देखा जा सकता है। बंदरों के हमलों और लोगों को दौड़ाने के कारण हो रही दुर्घटनायें बढ़ती जा रही हैं। जिला प्रशासन और नगरपालिका को चाहिये कि समस्या को गंभीरता से लेकर इसका ठोस समाधान निकाले।
































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