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शंकराचार्य ने कही बड़ी बात, शास्त्र सम्मत नही है राम मंदिर पर ध्वजारोहण



शंकराचार्य ने कही बड़ी बात, शास्त्र सम्मत नही है राम मंदिर पर ध्वजारोहण
Shankaracharya said big thing, it is not scriptural to hoist the flag on Ram temple

अयोध्या, उ.प्र.। राम मंदिर के लिए तैयार की गई विशेष धर्मध्वजा जन्मभूमि परिसर पहुंच गई है। 25 नवंबर को मोदी मंदिर के 191 फीट ऊंचे शिखर पर यह ध्वज फहराएंगे। इस कार्यक्रम में शंकराचार्यों को आमंत्रित नहीं किया गया है। अयोध्या में ध्वजारोहण समारोह को लेकर ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि शास्त्रों में कहीं ध्वजारोहण का उल्लेख नहीं मिलता। 


शिखर की पहले प्रतिष्ठा होती है जो यहां नहीं की गई। इसलिए वे सिर्फ उन्हीं आयोजनों में शामिल होते हैं। जहां शास्त्रीय परंपराओं का पालन नजर आए। मनमानी परंपरा का वे समर्थन नहीं करते। अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि परंपरा में ध्वज नीचे से ऊपर चढ़ाकर नहीं लगाया जाता। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जगन्नाथ मंदिर में रोज ध्वज बदला जाता है। जहां व्यक्ति ध्वज लेकर ऊपर चढ़ता है। और वहीं से उसे फहराता है। द्वारका मंदिर में भी दिन में कई बार ध्वज बदलने की प्रथा है। उन्होंने दोहराया कि ध्वजा बदले जाने की प्रक्रिया तब होती है जब पहले उसकी प्रतिष्ठा हो चुकी हो। 


लेकिन यहां शिखर की प्रतिष्ठा के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। सिर्फ ध्वजारोहण और मेहमानों के बुलाए जाने की बात कही जा रही है। इसलिए वे इसमें शामिल नहीं होंगे। आपको बता दें धर्मध्वजा को गुजरात के 6 कारीगरों ने 25 दिन में तैयार किया है। 11 फीट चौड़ा और 22 फीट लंबा यह त्रिस्तरीय ध्वज सूर्योदय की लालिमा जैसा चमकदार केसरिया है। इस पर सूर्यदेव, ॐ और कोविदार वृक्ष की आकृतियां उकेरी गई हैं। ध्वज विशेष पैराशूट फैब्रिक और रेशमी धागों से बनाया गया है। जिसमें तीन परतों का उपयोग हुआ है। शिखर की अधिक ऊंचाई के कारण नायलॉन की डोरी को भी मजबूत रखा गया है। ताकि उसे ऊपर खींचने में अतिरिक्त बल लगे। 


ध्वज में उपयोग की गई हर सामग्री स्वदेशी है। और इसे पूरी तरह हाथ से बनाया गया है। किनारों पर गोल्डन फैब्रिक, अंदर अस्तर और ध्वजदंड पर घुमावदार चैंबर लगाया गया है। जिसमें बॉल बेयरिंग हैं। ताकि तेज हवाओं में भी ध्वज सुरक्षित रह सके। इसी दंड पर धर्मध्वजा स्थापित की जाएगी। समारोह में उन 100 दाताओं को बुलाया गया है। जिन्होंने मंदिर निर्माण में 2 करोड़ से अधिक का योगदान दिया है। लखनऊ, अयोध्या और आसपास के 25 ज़िलों के लोगों व किसानों को भी विशेष तौर पर शामिल किया गया है। पीएम के आगमन को लेकर अयोध्या में अभेद्य सुरक्षा है। पांच दिनों का रूट डायवर्जन प्लान लागू किया गया है।

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