राम मंदिर के शिखर पर धर्मध्वजा फहराने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामभक्तों को दी बधाई
अयोध्या, उ.प्र. (प्रभाकर चौरसिया) राम मंदिर के शिखर पर धर्मध्वजा फहराने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज अयोध्या नगरी भारत की सांस्कृतिक चेतना के एक और उत्कर्ष-बिंदु की साक्षी बन रही है। उन्होने पूरे विश्व के करोड़ों रामभक्तों को बधाई दी। पीएम मोदी ने श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर ध्वजारोहण उत्सव का यह क्षण अद्वितीय और अलौकिक है। मोदी ने साधु-संतों के सामने सियावर रामचंद्र की जय-जयकार की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज सदियों के घाव भर रहे हैं। सदियों की वेदना विराम पा रही है और संकल्प सिद्धि को प्राप्त हो रहा है। राम मंदिर के शिखर पर फहरा रहा ये ध्वज भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का ध्वज है। ये ध्वज सदियों से चले आ रहे सपनों का साकार स्वरूप है। 25 नवंबर ऐतिहासिक दिन है। आज सम्पूर्ण भारत,सम्पूर्ण विश्व राममय है। अयोध्या वह भूमि है जहां आदर्श आचरण में बदलते हैं। ये धर्म ध्वजा केवल एक ध्वज नहीं, ये भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का ध्वज है। यह धर्मध्वज राम मंदिर के ध्येय का प्रतीक है। यह ध्वज दूर से ही रामजन्मभूमि का दर्शन कराएगा। युगों युगों तक प्रभु श्रीराम के संदेश को पूरे विश्व में पहुंचाएगा।
पीएम मोदी ने कहा कि मैं करोड़ों रामभक्तों को इस महत्वपूर्ण क्षण के लिए बधाई देता हूं। मैं राम मंदिर से जुड़े हर वास्तुकार और हर योजनाकार का अभिनंदन करता हूं। सभी दानवीरों को आभार व्यक्त करता हूं। इसी अयोध्या से पूरे संसार को बताया कि कैसे एक व्यक्ति अपने संस्कारों से पुरुषोत्तम बनता है। भगवान राम जब वनवास को गए तब युवराज राम थे मगर जब लौटते तो मर्यादा पुरुषोत्तम बनकर आए। इसमें अनेक लोगों का योगदान रहा। सबके सहयोग से हमें 2047 तक विकसित भारत के संकल्प को पूरा करना ही होगा। हमें प्रभु श्रीराम के व्यक्तित्व को आत्मसात करना होगा राम यानि जीवन का सर्वोच्च चरित्र।
हमें अपने अंदर राम को जगाना होगा। अपने भीतर के राम की प्राण प्रतिष्ठा करनी होगी। इस संकल्प के लिए आज से बड़ा सुअवसर कोई नहीं हो सकता। इसलिए, हम संकल्प लें कि अपने भीतर राम जगाएंगे। इस अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी ने लार्ड मैकाले की तरफ से भारत में थोपी गई गुलामी की मानसिकता पर भी प्रहार किया। मोदी ने कहा कि मैकाले ने भारत के लोगों को गुलाम बना दिया। देश के लोगों को विदेश की चीजें बहुत अच्छी लगने लगीं। हमें इस गुलाम मानसिकता से बाहर निकलना होगा तभी देश का विकास हो पाएगा। अगले 10 साल यानी 2027 तक हम इस मानसिकता से निजात पा लेंगे।







































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