ठंड मे होती हैं ये 5 खतरनाक बीमारियां,
जानें बचाव के तरीके- डा. वी.के. वर्मा
सर्दी के मौसम मे ठंडी हवा, कोहरा और प्रदूषण कई बीमारियां साथ लाता है। खासतौर से छोटे बच्चे और बुजुर्ग ज्यादा बीमार पड़ते हैं। कारण ये है कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अपेक्षाकृत कम होती है। सर्दी मे होने वाली बामारियों और इनसे बचाव के बारे मे मीडिया दस्तक ने बस्ती के जिला अस्पताल मे सेवायें दे रहे आयुष चिकित्साधिकारी डा. वी.के. वर्मा से विस्तार से जानकारी प्राप्त की। जनहित मे इसे सार्वजनिक किया जा रहा है। आइए जानते हैं सर्दियों में सबसे ज्यादा होने वाली 5 खतरनाक बीमारियां कौन हैं।
अस्थमा का अटैक
ठंडी हवा और धुआं, कोहरा अस्थमा के मरीजों के लिए घातक होता होता है। इस मौसम मे सांस की नली सिकुड़ जाती है जिससे दमा का दौरा पड़ सकता है। रात में खांसी आती है और सांस फूलने लगता है। बच्चों और बुजुर्गों के लिये यह बहुत गंभीर मामला हो जाता है।
हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा
डा. वर्मा का कहना है कि ठंड में खून गाढ़ा हो जाता है और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। दिल पर जोर पड़ने लगता है। इसलिए सर्दियों में हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक के केस लगभग 30-40 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं। बुजुर्गों को सुबह जल्दी टहलने से बचना चाहिए क्योंकि ठंडी हवा दिल को नुकसान पहुंचाती है।
सर्दी-जुकाम और फ्लू (इन्फ्लूएंजा)
सर्दी में वायरस सबसे तेजी से फैलते हैं. नाक बहना, गला खराब, बुखार, खांसी ये आम बात हैं, लेकिन बच्चों और बूढ़ों में ये निमोनिया तक ले जा सकते हैं. हर साल लाखों लोग फ्लू की वजह से अस्पताल पहुंचते हैं और गंभीर मामलों में कई लोगों की जान चली जाती है।
निमोनिया (फेफड़ों में इन्फेक्शन)
ठंड में फेफड़े कमजोर पड़ जाते हैं। आरम्भ मे अगर सर्दी-खांसी का इलाज न हो तो बैक्टीरिया या वायरस फेफड़ों में संक्रमण फैला देते हैं। बच्चों और 60 साल से ऊपर वालों में निमोनिया जानलेवा हो सकता है। सांस लेने में तकलीफ, तेज बुखार और सीने में दर्द इसके लक्षण हैं।
ब्रोंकाइटिस
सर्दी में ब्रोंकाइटिस यानी सांस की नली में सूजन बहुत आम है। लंबे समय तक खांसी, बलगम और सांस लेने में तकलीफ होती है। अगर इलाज न हो तो ये क्रॉनिक बन सकती है और बुजुर्गों के लिए बहुत खतरनाक है। तीन महीने से अधिक समय तक बलगम का बनना, सुबह के समय ज्यादा परेशान करने वाली गंभीर खांसी तथा बार-बार सांस का संक्रमण होना ब्रोंकाइटिस के लक्षण हैं।
होम्योपैथी में उपचार
एकोनाइट, एन्टिम टार्ट, आर्सेनिक एलबम, हीपरसल्फ, एलियम सिपा, पल्सेटिला, स्पोंजिया, इपोटोरियम पर्फ, नैट्रमसल्फ, बेलाडोना, जेलसीमियम, नक्सबोम, सल्फर, नैट्रमफास आदि दवायें लक्षणानुसार चिकित्सक के परामर्श पर उचित मात्रा व क्षमता अनुसार ली जा सकती हैं।
ठंड से बचने के घरेलू उपाय
डा. वी.के. वर्मा ने बताया कि उपरोक्त रोगों के सामान्य लक्षणों के दिखने पर ही हम सतर्क हो जायें तो बीमारी से बचाव किया जा सकता है। खास तौर से ध्यान देने वाली बात ये है कि गर्म पेय का सेवन करें, सरसों के तेल से मालिश करें, गर्म कपड़े पहनें, गुनगुना पानी पिएं, बच्चों व बूढ़ों को बाहर कम निकालें, पौष्टिक आहार लें, शरीर को एक्टिव रखें,. गर्म पानी से स्नान करें, शहद का सेवन करें, हल्दी-दूध लें, नींद पूरी लें, टीकाकरण (फ्लू और निमोनिया का टीका) जरूर करवाएं, घर में हीटर या अंगीठी जलाते समय हवा का आवागमन बनाये रखें।
इक्सपर्ट परिचय
डा. वी.के. वर्मा, जिला अस्पताल बस्ती में तैनात आयुष विभाग के नोडल अधिकारी हैं। आपने करीब 35 साल के चिकित्सा अनुभवों के आधार पर लाखों रोगियों का सफल इलाज किया है। इन्होने बस्ती से फैजाबाद मार्ग पर पटेल एस.एम.एच. हॉस्पिटल एवं पैरामेडिकल कालेज, बसुआपार में डा. वी.के. वर्मा इन्स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस सहित कई विद्यालयों की स्थापना की है। खास बात ये है कि इनके अस्पताल में दवाओं के अतिरिक्त रोगियों से कोई चार्ज नही लिया जाता। दवाओं के भुगतान में भी डा. वर्मा गरीबों, पत्रकारों, साहित्यकारों की मदद किया करते हैं। इनकी सेवाओं या परामर्श के लिये इस नम्बर पर संपर्क किया जा सकता है। मो.न. 9415163328











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