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नयी पीढी के साहित्यकारों के लिये मार्ग दर्शक हैं डॉ. जगमग- डॉ. राम नरेश सिंह मंजुल

नयी पीढी के साहित्यकारों के लिये मार्ग दर्शक हैं डॉ. जगमग- डॉ. राम नरेश सिंह मंजुल


बस्ती, 05 जुलाई।
पिछले 5 दशक से साहित्य साधना में समर्पित 8 पुस्तकां के रचयिता और दुमदार दोहों के जनक 72 वर्षीय डॉ. राम कृष्ण लाल ‘जगमग’ के रचना संसार और व्यक्तित्व कृतित्व पर प्रेस क्लब सभागार में गोष्ठी के साथ ही राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य भूषण डा. राम नरेश सिंह मंजुल और संचालन डा. अफजल हुसेन अफजल ने किया।


संगोष्ठी में वक्ताओं और कवि, शायरों ने डॉ. राम कृष्ण लाल ‘जगमग’ को अंग वस्त्र भेंट करने के साथ ही फूल मालाओं के साथ सम्मानित किया। साहित्यिक संस्था अदबी संगम द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक दिनेश सांकृत्यायन ने कहा कि डॉ. जगमग की साहित्य यात्रा स्वंय में विविधता लिये हुये हैं. उनकी कृति ‘चाशनी’ से लेकर ‘ किसी की दिवाली किसी का दिवाला’ विलाप खण्ड काव्य, ‘हम तो केवल आदमी है’ ‘सच का दस्तावेज’ ‘बाल सुमन’ आदि कृतियों में वे कभी हास्य तो कभी गंभीर दर्शन के रूप में आम आदमी की पीड़ा व्यक्त करते हुये उनका प्रतिनिधित्व करते हैं।



कहा कि इन दिनों वे ‘स्वामी विवेकानन्द’ पर केन्द्रित महाकाव्य का सृजन कर रहे हैं, निश्चित रूप से उनका साहित्यिक संसार घोर तमस में समाज का पथ पदर्शन करेगा। कवि एवं चिकित्सक डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि डा. जगमग ने जहां स्वयं अनेकों कृतियां समाज को दिया वहीं वे पूर्वान्चल में समर्थ कवियों की पीढी तैयार कर रहे हैं। निश्चित रूप से यह कठिन कार्य है, नई पीढी उनसे बहुत कुछ सीख सकती है। जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष राजेन्द्रनाथ तिवारी ने कहा कि डा. जगमग का रचना संसार जन सरोकारों से जहां सीधा जुड़ा है वहीं उनके कटाक्ष और तीखे व्यंग्य श्रोताओं की जुबान पर चढ़े हुये है।



समाजसेवी राना दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि डॉ. जगमग का रचना संसार व्यापक है। डॉ. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र ने कहा कि डॉ. जगमग का जीवन साहित्य को समर्पित है. कवि सम्मेलनों में वे आम आदमी की भावना को सहज रूप में छू जाते हैं। अदबी संगम, वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति और विक्रमशील हिन्दी विद्यापीठ भागलपुर द्वारा विभिन्न अंलकरणों से किये गये सम्मान से अभिभूत डा. जगमग ने कहा कि उन्होने जिस तरह से जीवन को देखा उसे शव्दों में उतार दिया. यह क्रम अनवरत जारी है। कहा कि स्वामी विवेकानन्द पर केन्द्रित महाकाव्य की रचना शीघ्र पाठकों के सम्मुख होगी। नौवी पुस्तक के रूप में ‘हम बच्चे भारत की शान’ बाल काव्य संग्रह प्रकाशन प्रक्रिया में है।



पत्रकार प्रदीप चन्द्र पाण्डेय, प्रेस क्लब अध्यक्ष एवं शायर विनोद उपाध्याय ने कहा कि देश विदेश के कवि मंचों पर अनिवार्य स्थान बना चुके डा. जगमग नयी पीढी के लिये साहित्य की पाठशाला हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. राम नरेश सिंह ‘मंजुल’ ने कहा कि डा. जगमग साहित्य के क्षेत्र में नयी पीढी के मार्गदर्शक हैं। इस अवसर पर वी.के. मिश्र, राजेश कुमार, श्याम प्रकाश शर्मा, बटुकनाथ शुक्ल, डा. एल.के. पाण्डेय, फूलचंद चौधरी, प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, हरीराम वंसल, जय प्रकाश गोस्वामी, आदि ने डॉ. राम कृष्ण लाल ‘जगमग’ के साहित्यिक योगदान के विविध पहलुओं को रेंखाकित किया। कार्यक्रम के दूसरे चरण में आयोजित कवि सम्मेलन में डा. ज्ञानेन्द्र द्विवेदी ‘दीपक’ डा. अंजना कुमार, पं. चन्द्रबली मिश्र, अर्चना श्रीवास्तव, मशहूर शायर वसीउल हक ‘वसी’, मकसूद वस्तवी, असद बस्तवी, जगदम्बा प्रसाद ‘भावुक’, हरिकेश प्रजापति, डा. राजेन्द्र सिंह ‘राही’, विनोद उपाध्याय, डा. वी.के. वर्मा, रहमान अली ‘रहमान’ श्रीमती चन्द्रमती चर्तुवेदी आदि ने रचनाओं के माध्यम से वातावरण को सरस कर दिया।

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