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मनु स्मृति दहन दिवस पर प्रवोधन कार्यक्रम का आयोजन

मनु स्मृति दहन दिवस पर प्रवोधन कार्यक्रम का आयोजन
Organizing enlightenment program on Manu Smriti Dahan Day
बस्ती, 25 दिसम्बर। बुधवार को भारत मुक्ति मोर्चा द्वारा जिलाध्यक्ष आर.के. आरतियन के संयोजन में प्रेस क्लब सभागार में मनु स्मृति दहन दिवस पर प्रवोधन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता चन्द्रिका प्रसाद ने कहा कि बाबा साहब ने समाज के विपन्न, दलित वर्ग की वेदना को समझा और लम्बे अध्ययन के बाद महसूस किया कि समाज में शूद्रों की उपेक्षा और उत्पीड़न के लिये मनु स्मृति जिम्मेदार है। 



उन्होने 25 दिसम्बर 1927 का दिन था जब डॉ. अम्बेडकर ने मनुस्मृति का सार्वजनिक दहन किया। बहुजन मुक्ति पार्टी के मण्डल अध्यक्ष हृदय गौतम ने कहा कि बाबा साहब के दौर में भारतीय समाज में जो कानून चल रहा था वह मनुस्मृति के विचारों पर आधारित था। यह पुरुष सत्तात्मक, भेदभाव वाला कानून था, जिसमें इंसान को जाति और वर्ग के आधार पर बांटा गया था। कहा कि मनुस्मृति के अनुसार, एक ही अपराध के लिए अपराधी की जाति और जिसके साथ अपराध हुआ है, उसकी जाति देखकर सजा दी जानी चाहिए. जिन धर्म शास्त्रों में समान अधिकारों की बात ना हो उस को बढ़ावा देने से इस तरह की घटनाओं में और इजाफा होगा। 


कहा कि आज भी दलितों का सर्वाधिक उत्पीड़न हो रहा है और इसके लिये जाति व्यवस्था और मनु स्मृति जिम्मेदार है। प्रवोधन कार्यक्रम को आर.के. गौतम, रामानुज भाष्कर, राम सुमेर यादव, तिलकराम गौतम, डा. रिफाकत अली, प्रहलाद गौतम, दुर्गेश कुमार, बुद्धेश राना, आर.बी. भारती, राम बचन, विजय प्रताप, विक्रम चौहान, ठाकुर प्रेम नन्दबंशी, सरिता भारती, बुद्धि प्रकाश आदि ने कहा कि  हजारों वर्षों से देश जातिवाद का दंश झेल रहा है जो आज के इस आधुनिक दौर में और भी विकराल रूप लेता दिखाई पड़ रहा है।


महिलाओं के अधिकारों की बात हो या वर्ण व्यवस्था में सबसे निचले पायदान पर माने जाने वाले शूद्र की, ऊंची जातियों को इसमें अपना स्वामित्व ही क्यूं नजर आता रहा? क्यूं आज के इस वैश्विक दौर मे हमारा देश और पिछड़ता चला जा रहा है? जहां मॉब लिंचिंग के बहाने जाति विशेष को निशाना बनाया जा रहा है. क्या यह सब अचानक ही हो रहा है या इसके पीछे कुछ मंशाएं काम कर रही हैं? या हम इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि मनुष्य-मनुष्य न होकर सिर्फ जाति रूपी कार्ड दिखाई देने लगा है जो सिर्फ वोट के समय खेला जाता है। यह स्थितियां खतरनाक है। इसके लिये संघर्ष जारी रखना होगा। कार्यक्रम में मुख्य रूप से अनीता देवी, अखिलेश्वरी, रंगई प्रसाद, विकास कुमार, राजेश, विनय, सुग्रीव चौधरी, कृपाशंकर वर्मा, चन्द्र प्रकाश गौतम, सत्येन्द्र कन्नौजिया, बच्चूलाल, रामवृक्ष के साथ ही अनेक लोग उपस्थित रहे। 

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