लाइलाज है आरटीओ दफ्तर का भ्रष्टाचार, नाराज युवक धरने पर
बस्ती, 19 फरवरी। आरटीओ दफ्तर का भ्रष्टाचार कौन नही जानता। यहां अनेकों घटनायें घट चुकी हैं और अनेकों बार जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक तक शिकायत पहुंची है। लेकिन कोई कार्यवाही नही हुई। कई बार औचक निरीक्षण कर औपचारिकता निभाई गई। नतीजा सिफर रहा। सहायक से लेकर अफसर तक सभी निरंकुश हैं। पानी सिर से ऊपर पहुंच गया तो पीड़ित युवकों ने निरंकुश हो चुके अफसरों और सहायकों के विरूद्ध मोर्चा खोल दिया और दफ्तर के बाहर ही धरने पर बैठ गये। देवानंद पांडेय, शिवम् पांडेय, सत्यम पांडेय, सुधांशु त्रिपाठी, आकाश पाण्डे, धीरज त्रिपाठी, गोलू त्रिपाठी, आदि का कहना है कि 42 सौ रुपए लेकर कार्यालय में लाइसेंस बनाया जाता है।
अंदर से बाहर तक पैसा वसूलने को सहायकों और अफसरों ने सैकड़ों दलाल पाल रखें हैं, हम लोगों ने घूस नहीं दिया तो लाइसेंस जारी नही किया गया। ऐसे अनेक मामले हैं जिसमे रिश्वत ने देने वाले आवेदक दफ्तर का चक्कर लगाते लगाते थक गये, लाइसेंस नही जारी हुआ। यही काल हर काम का है। वाहनों का ट्रांसफर, परमिट, एनओसी सहित कोई भी काम कराना हो बगैर रिश्वत के नही होता। एआरटीओ, आरटीओ, डीएम यहां तक कि परिवहन मंत्री तक यहां के भ्रष्टाचार से परिचित हैं लेकिन इनकी कार्यवाही का कोई असर नही हुआ। यहां संगठित लूट हो रही है, आवेदकों का खून चूसकर अधिकारी कर्मचारी मालामाल हो रहे हैं, और सरकार भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस का दावा करते नही थकती।
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